-कांग्रेस पदाधिकारियों को साफ निर्देश, पीडीएफ पर न बोलें

>DEHRADUN: कल तक प्रदेश कांग्रेस संगठन प्रोग्रेसिव डिमोक्रेटिक फ्रंट यानि पीडीएफ के खिलाफ जमकर आग उगल रहा था और अब उसकी बोलती बंद हो गई है। पीसीसी चीफ ने सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे पीडीएफ के बारे में कोई कमेंट न करें। इधर, पीडीएफ अब ऐसे सियासी बिसात बिछा रहा है जिससे कांग्रेस भी डर रही है। अंदर की खबर है कि पीडीएफ नेता अपने ही बैनर तले चुनाव लड़ने की रणनीति भी बना रहे हैं।

आखिर ऐसा क्या हुआ?

दो दिन पहले तक खुद पीसीसी चीफ पीडीएफ को लेकर आग उगल रहे थे। इसके पीछे संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के हितों की दुहाई दे रहे थे, लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि संगठन के सभी पदाधिकारियों को पीडीएफ के बारे में कुछ भी न बोलने की हिदायत दे दी गई? दरअसल इसके पीछे हाईकमान का डंडा है जो संगठन पर चला है। आई नेक्स्ट ने सबसे पहले ये खबर बताई थी पीडीएफ ने पीसीसी चीफ की शिकायत ऊपर तक की है जिसके बाद पीसीसी चीफ को फटकार भी लगाई गई। दरअसल कांग्रेस हाईकमान किसी भी तरह प्रदेश में पार्टी की सत्ता रिपीट करना चाहता है। इसके लिए वो सरकार के साथियों को नाराज नहीं कर सकता। पीडीएफ के अलग होने से जो संदेश जाएगा वो कांग्रेस को चुनाव में भारी पड़ सकता है।

वर्जन

हमें साफ आदेश है कि पीडीएफ के मामले में कोई कमेंट न करें। पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय ने साफ दिशा निर्देश दिए हैं।

जोत सिंह बिष्ट, प्रदेश उपाध्यक्ष, कांग्रेस

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पीडीएफ बनेगी अलग पार्टी

-पीडीएफ नेता खींच रहे हैं अलग राह का खाका

-कांग्रेस से नहीं बनी बात तो चुनाव लड़ेंगे अपने बैनर तले

देहरादून : कांग्रेस के साथ अपने तल्खी भरे रिश्तों के बीच पीडीएफ एक अलग सियासी दल की शक्ल ले सकता है। हालांकि सीएम हरीश रावत पूरी ताकत के साथ पीडीएफ का सपोर्ट कर रहे हैं। पीडीएफ के नेता कह रहे हैं कि कांग्रेस से बात न बनी, तो अलग दल बनाने की राह में वह आगे निकल सकते हैं। हाल में पीडीएफ नेता तो यहां तक धमकी दे चुके हैं कि कांग्रेस व मुख्यमंत्री को सरकार चलानी है या नहीं? दरअसल पीडीएफ नेता अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं। अलग-अलग दलों के नेता अपनी-अपनी सीट पर बिसात बिछा रहे हैं और पीडीएफ नेता अब तक इस गफलत में ही फंसे हैं कि वे आखिर चुनाव कांग्रेस से लड़ेंगे या निर्दलीय। इसीलिए उन्होंने पीडीएफ के बैनर तले चुनाव लड़ने का विकल्प भी तैयार कर लिया है। पीडीएफ का कहना है कि उनके पास कई विकल्प खुले हैं। परिस्थितियां सटीक बैठीं तो निर्दलीय विधायक पीडीएफ के बैनर तले ही चुनाव लड़ सकते हैं। पीडीएफ ऐसी संभावनाएं भी तलाश रहा है कि उसके बैनर तले बीजेपी, कांग्रेस व बाकी दलों से नाराज नेताओं को भी जोड़ा जाए। पीडीएफ सदस्य दिनेश धनै ने तो यह भी कह दिया है कि कांग्रेस से टिकट का मामला न सुलझने की संभावनाओं में पीडीएफ खुद अपने बैनर तले चुनाव लड़ सकता है।

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::वर्जन:::

पीडीएफ के पास सारे विकल्प खुले हैं। कुछ ऐसी परिस्थितियां सामने आती हैं तो पीडीएफ के नेता पीडीएफ के बैनर तले ही चुनाव लड़ सकते हैं।

दिनेश धनै, पीडीएफ सदस्य व कैबिनेट मंत्री।

पीडीएफ ने हालातों से अंबिका सोनी को अवगत कराया है। फिर भी हमारे पास कई विकल्प हैं, जिन पर विचार किया जा रहा है।

मंत्री प्रसाद नैथानी, पीडीएफ संयोजक व कैबिनेट मंत्री।

पीडीएफ ने कांग्रेस की सरकार बचाई है। पार्टी हाईकमान से बातचीत जारी है, लेकिन संभावनाएं न बनने पर पीडीएफ ने अपने विकल्प खुले रखे हैं।

हरीश चंद दुर्गापाल, कैबिनेट मंत्री व पीडीएफ सदस्य।

Posted By: Inextlive