महाराष्‍ट्र निकाय चुनाव में तकरीबन 107 सीटों पर जीत के साथ कांग्रेस ने प्रदेश में जबरदस्‍त वापसी के संकेत दिए हैं वहीं भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना को पराजय का झटका सहना पड़ा है। मध्य प्रदेश के बाद ये दूसरा मौका है जब भाजपा को महाराष्‍ट्र स्थानीय निकाय चुनाव में करारी हार मिली है। इन चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा और शिवसेना को एकतरफा मात दी है।


चौथे नंबर पर है भाजपा महाराष्ट्र निकाय चुनाव में कांग्रेस को अभी तक 289 में से 107 सीटों पर जीत मिल चुकी है, जबकि भारतीय जनता पार्टी के खाते में अभी तक सिर्फ 24 सीटें ही आई हैं. महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़नवीस की सरकार होने के बावजूद भाजपा स्थानीय निकाय चुनावों में चौथे पायदान पर रह गयी है। सरकार में पार्टी की सहयोगी शिवसेना को अब तक 55 सीटें मिल चुकी हैं, जबकि एनसीपी 58 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर है।राज्य के गृह मंत्री और वित्त मंत्री के चुनाव क्षेत्र में भी पिछड़ रही है
हैरानी की बात तो ये है कि इन चुनावों में राज्य सरकार के मंत्रियों के चुनाव क्षेंत्र में कांग्रेस और एनसीपी बढ़त बनाये हुए हैं। गृह राज्य मंत्री राम शिंदे और वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के चुनाव क्षेत्र में भाजपा काफी पिछड़ रही है। ताला और पोलादपुर में शिवेसना को बहुमत मिला है। जबकि मुंबई और अहमदनगर महानगरपालिका की एक-एक सीट शिवसेना को मिली है।उपचुनाव में शिवसेना को जीत


इस माहौल में शिवसेना के लिए सबसे अबड़ी राहत की बात ये है कि उसे बीएमसी की एक सीट उपचुनाव के चलते हासिल हो गयी है। ये उपचुनाव बोरला मध्य घाटला गांव में हुआ था और यहां से शिवसेना के अनिल रामचंद्र पाटणकर ने कांग्रेस के राजेंद्र नगराले को 6,627 वोटों से मात दे दी। पाटणकर को 11,517 जबकि नगराले को 4,890 वोट मिले। ये उपचुनाव कांग्रेस से मनमुटाव होने के चलते पाटणकर के इस्तीफा देने के कारण हुआ था। पिछली बार बीएमसी चुनाव में पाटणकर ने इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। तो एक तरह से इसे पाटणकर की जीत कहा जा सकते है बजायए शिवसेना के।

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Posted By: Molly Seth