मंगलवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद विपक्षी दलों की उस पर प्रतिक्रिया आने लगी हैं। इसी क्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इस पर कमेंट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में गरीबों और देश की अर्थ व्यवस्था को संभालने के बारे में कोई ठोस कदम उठाने की बात नहीं कही है।

नयी दिल्ली (पीटीआई)। कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री के संबोधन को बयानबाजी और खोखला करार दिया, और कहा कि इसमें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए वित्तीय पैकेज या ठोस कदमों का कोई जिक्र नहीं है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि कोरोनोवायरस से लड़ने के लिए देश का रोडमैप कहां है। उन्होंने कहा कि नेतृत्व का मतलब लोगों को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराना ही नहीं है बल्कि देश के लोगों के प्रति जवाबदेही के सरकार के कर्तव्य को पूरा करना भी है। उन्होंने एक और सवाल उठाते हुए कहा कि बहुत सारी बातें हुई हैं, लेकिन, कोरोना से लड़ने का रोडमैप कहां है इस बारे में भी कुछ नहीं कहा गया है।

CMs&य demand for money elicited no response. Not a rupee has been added to the miserly package of March 25, 2020
From Raghuram Rajan to Jean Dreze, from Prabhat Patnaik to Abhijit Banerji, their advice has fallen on deaf years.

— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 14, 2020क्वारंटीन कर चुके मजदूरों के बारे में क्या है फैसला

इस बारे में पी चिदंबरम और कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कई जरूरी सवाल उठाये। मनीष ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन प्रवासी कामगारों की दुर्दशा के बारे में बात नहीं की है, जो राज्य की सीमाओं पर मौजूद हैं और उनमें से ज्यादातर ने अपना क्वारंटीन का समय पूरा कर लिया है। सरकार उनके बारे में क्या करना चाहती है।

#Pm address wo single specific and wo guidelines is like #Hamlet wo #Prince of #Denmark. Like #PM wo details! We want increased #GDP allocation; specific targeted monetary injections; #Keynesian spending; loosen #FMRB etc. not a single word!

— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) April 14, 2020गरीबों को किसके भरोसे छोड़ा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भी पूछा कि गरीबों को किसके भरोसे छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि गरीबों को पहले 21 और अब 19 दिनों के लिए खुद के भरोसे छोड़ दिया गया है, उनके पाक काम नहीं है तो पैसा नहीं है और इसलिए भोजन की मांग भी पूरी करना मुश्किल है। उन्होंने उन्होंने ट्विटर करके कहा कि सरकार के पास पैसा और खाना है पर उसे कब और कैसे रिलीज करेगी इस बारे में क्या सोचा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को घोषणा है की कि देश भर में कोरोनोवायरस महामारी से लड़ने के लिए लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया जाएगा इससे महामारी पर कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि पीएम का संबोधन बिना हैमलेट के डेनमार्क के राजकुमार जैसा था। उन्होने कमेंट किया कि पीएम का संबोधन अद्भुत था इस पर मेहनत की गई थी, बयानबाजी, प्रेरणा सब डाला गया पर मुद्दों से खाली रहा, क्योंकि इसमें न कोई वित्तीय पैकेज, न कोई ब्योरा, न कोई ठोस योजना थी, न तो गरीबों, न ही मध्यम वर्ग और न ही उद्योग धंधों के लिए कोई राहत थी। लॉकडाउन अच्छा है, लेकिन यह खुद खत्म नहीं हो सकता आजीविका मुद्दा इसमें कहां है।

जनता से आश्वासन चाहते हैं पीएम देते नहीं

I support the announcement by @PMOIndia @narendraModi of #Lockdown extension. Can't discard the gains being made. But he should have also announced serious relief for those who cannot make ends meet. MNREGA payments, JanDhan accounts, GST dues to states,&aid to sweeten the pill.

— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) April 14, 2020

सिंघवी ने ट्वीट करते हुए ये भी कहा कि पाएम मोदी लोगों से आश्वासन चाहते हैं कि वे अपनी ड्यूटी निभायेंगे, लॉकडाउन के नियम फॉलो करेंगे और इसके बाद प्रार्थना करेंगे क्योंकि कमजोरों के लिए कोई व्यवस्था है ही नहीं। चिदंबरम ने भी यही कहा कि वे लॉकडाउन का स्वागत करते हैं और इसके विस्तार का कारण समझते हैं, लेकिन ये भी सच है कि अपने वक्तव्य में पैसे की मांग को लेकर पीएम ने कोई जानकारी नहीं दी है और 25 मार्च, 2020 के पैकेज में एक रुपया भी नहीं जोड़ा गया है। रघुराम राजन से लेकर जीन ड्रेज तक, प्रभात पटनायक से लेकर अभिजीत बनर्जी तक, किसी की सलाह नहीं सुनी गई है। पीएम द्वारा तालाबंदी की घोषणा करने का समर्थन करते हुए, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी कहा कि पीएम को उन लोगों के लिए भी राहत की घोषणा करनी चाहिए जो इस दौरान कमाई नहीं कर सकते। थरूर ने ट्वीट किया, "मैं लॉकडाउन एक्सटेंशन के लिए पीएम का समर्थन करता हूं, लेकिन इस दौरान गरीबों को राहत देने के लिए कोई घोषणा होनी चाहिए। इसके लिए उन्होने मनरेगा भुगतान, जनधन खाते, स्टेट के जीएसटी ड्यूज का इस्तेमाल करने की सलाह भी दी।

Posted By: Molly Seth