बॉम्‍बे हाइकोर्ट ने कहा है कि अगर एक महिला शिक्षित और 18 साल से ज्‍यादा उम्र की है और किसी यौन संबंध के लिए उसने इनकार नहीं किया है तो वह बाद में रिश्‍ते में कड़वाहट आने पर रेप का आरोप नहीं लगा सकती।

सबंध बनाने पर नहीं जताया एतराज
कोर्ट ने यह भी माना कि हालांकि समाज में यौन संबंधों को लेकर टैबू है, फिर अगर कोई महिला किसी यौन संबंध के लिए ना नहीं कहती है तो इसे एक आम सहमति ही माना जाएगा। यह हाइकोर्ट ने तब कहा जब 25 साल के एक व्यक्ति की ओर से अग्रिम जमानत की याचिका की सुनवाई चल रही थी। उसकी याचिका के मुताबिक, इस व्यक्ति की गोरेगांव की 24 साल की एक महिला के साथ एक साल से रिश्ता था। वे दोनों शारीरिक रूप से करीब थे और इस व्यक्ति ने महिला से शादी करने का वादा किया था। हालांकि साल के अंत में वह अपना वादा पूरा नहीं कर पाया और दोनों के बीच ब्रेक अप हो गया।
गिरफ्तारी के डर से पहुंचा कोर्ट
इसके बाद इस महिला ने उसे पर रेप का आरोप लगाया। उसने इस पुरुष के खिलाफ कई चार्जेस जैसे रेप, चीटिंग और असॉल्ट के साथ एफआईआर दर्ज की। महिला ने आरोप लगाया कि जब वे रिश्ते में थे तो यह आदमी उसे शहर के कई होटलों में ले जाता था और उससे संभोग करने के लिए मजबूर करता था, यह कहकर वह उससे शादी करेगा। महिला ने यह भी आरोप लगाया कि वह इस अवधि के दौरान गर्भवती हो गई और कथित आरोपी ने उसे गर्भपात के लिए मजबूर किया। वह यह भी कहती है कि आर्थिक रूप से भी उसकी मदद की थी। गिरफ्तारी के डर से, इस पुरुष ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। महिला के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि शादी के झूठे वादे पर शारीरिक संबंध बनाने को रेप माना जाना चाहिए।
यह रेप नहीं माना जा सकता
इस मामले की अध्यक्षता कर रही लेकिन जस्टिस मृदुला भाटकर ने महिला की याचिका से किनारा कर लिया। जस्टिस भाटकर ने इस पुरुष को अग्रिम जमानत देते हुए कहा ' यह रेप नहीं माना जा सकता। आप एक शिक्षित महिला है और आपके पास ना कहने का विकल्प है। लेकिन अगर आपने उस समय ना नहीं कहा तो यह आपसी सहमति के रूप में विचार किया जाएगा। जब महिला शिक्षित और परिपक्व है तो वह ना कह सकती है। जब वह हां कहती है तो यह आपसी सहमति मानी जाती है।'

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari