9 मार्च - मुकेश रजक नाम के सिपाही ने साथ ही ड्यूटी पर तैनात हवलदार राम विशुन यादव और सिपाही सदानंद कुमार को गोली मारकर हत्या कर दी।

29 जनवरी - अभिषेक आनंद उपाध्याय नाम के सिपाही ने रुपसपुर में नशे में धुत होकर बिजनेसमैन धनंजय कुमार को गोली मारकर जख्मी कर दिया। अभिषेक बाडीगार्ड के रूप में तैनात था।

21 दिसम्बर- पुलिस लाइन में सेन्ट्रल मिनिस्टर रामकृपाल यादव के बॉडीगार्ड भरत यादव ने सरकारी पिस्टल से खुद को मार ली गोली। वह भी नशे में था।

13 दिसम्बर- बेऊर जेल की सिक्योरिटी में तैनात सिपाही पैट्रिक मिंज ने नशे में धुत जेल के वाच टावर पर चढ़ गया और जमकर फायरिंग की।

PATNA: पुलिस डिपार्टमेंट सबसे अधिक डिसिप्लीन फॉलो करने वाला विभाग है, लेकिन कुछ महीनों से इसकी छवि एक बार नहीं कई बार अपने ही नुमाइंदों के कारण खराब हुई है। कुछ वारदातों ने यह साबित कर दिया है कि कैसे पुलिसकर्मी डिसिप्लीन भूलकर लापरवाह हो रहे हैं। मारपीट, फायरिंग कौन कहे ये तो हत्या तक कर रहे हैं। अगर आने वाले दिनों में ये सब यूं ही चलता रहा तो प्राब्लम और बढ़ती ही जाएगी। इस तरह की घटनाओं का सबसे बड़ा कारण यह है कि ऐसे पुलिसकर्मियों को न तो कोई ट्रेनिंग दी जाती है और न ही उनके लिए कोई वर्कशाप का आयोजन किया जाता है। उनसे सिर्फ और सिर्फ ड्यूटी ली जाती है। ऐसे में वे नशे के आदी हो रहे हैं जिससे उनकी सोचने व समझने की क्षमता कम होती जा रही है।

सालों से नहीं हुई कोई ट्रेनिंग

पटना पुलिस की ओर से ऐसी कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती जिसमें कांस्टेबल रैंक के आफिसर भी आ सके। एक कांस्टेबल ने बताया कि जब से वह नौकरी में है अबतक उसने न तो कोई वर्कशाप अटेंड किया है और न ही उसे कोई ट्रेनिंग दी गई है। उसने बताया कि ' हमें तो हथियार चलाने का मौका मिले भी चार साल हो गया'। वहीं थाने में तैनात अन्य कांस्टेबल ने बताया कि कभी कभी कुछ ट्रेनिंग दी जाती है लेकिन कोई वर्कशाप का आयोजन नहीं किया जाता। पटना डिस्ट्रिक्ट में ही म्फ्क्0 कांस्टेबल हैं, जबकि ख्0भ्फ् पोस्ट अभी वेकेंट हैं।

नशे की लगी लत

यदि पटना पुलिस की ओर से एक सर्वे कराया जाए जिसमें पुलिसकर्मियों के शराब की लत की पड़ताल हो तो आंकड़े चौंकाने वाले होंगे। पुलिसकर्मियों ने अबतक जितनी भी ऐसी वारदातों को अंजाम दिया है सबने नशे में धुत होकर किया है। चाहे बेऊर जेल की घटना हो या फिर बिजनेसमैन को बाजार में गोली मारने का। ये पुलिस वाले होश में नहीं थे। कई बार तो सड़क पर ऐसे पुलिसकर्मी मिल जाते है जो ड्यूटी के दौरान वर्दी में भी नशे में धुत रहते हैं। एक्सपर्ट की माने तो ऐसे पुलिसकर्मियों को चुनकर उनकी काउंसलिंग कराने की जरूरत है।

छुट्टी लेने में भी फजीहत

पुलिस पर काफी प्रेशर है यह बात किसी से छिपा नहीं। कांस्टेबल रैंक के पुलिसकर्मियों को छुट्टी के लिए कितनी फजीहत झेलनी पड़ती है वही जानते हैं। घर में यदि शादी भी हो तो छुट्टी के लिए आफिसर के पास जाने से पहले हिम्मत जुटानी पड़ती है। एक कांस्टेबल का कहना है कि मेरे घर में शादी है पर मुझे छुट्टी नहीं मिल रही। उसे दरभंगा जाना था। वह मन से अपने डिपार्टमेंट के लिए काम नहीं पा रहा। दो साथियों को मारने वाले मुकेश रजक के बारे में भी यह बात सामने आई है कि वह भी छुट्टी के लिए भी झगड़ा कर रहा था। कुछ दिनों पहले ही पत्रकार नगर थाना एरिया में एक एएसआई युगेन्द्र ने फांसी लगाकर जान दे दी। वह भी कई चीजों से प्रताडि़त था और उसका वेतन भी दो साल से बंद था।

Posted By: Inextlive