हैलट के आर्थोपेडिक ब्लॉक निर्माण में 'गड़बड़ी'
- हैलट के आर्थोपेडिक ब्लॉक के निर्माण में मिली भारी गड़बडि़यां, कंपनी ने पूरा पैसा लेने के बाद भी किया अधूरा निर्माण
- प्रमुख सचिव ने दिए मामले की जांच के आदेश, पीडब्लूडी इंजीनियर देगे रिपोर्ट, एनसीसीएफ के पास था निर्माण का ठेकाअनियमितताओं पर जांच के आदेशइसी दौरान कार्यदायी संस्था भी निर्माण बंद कर चली गई। कई साल बीतने के बाद भी इस ब्लॉक की हालत वैसी की वैसी ही है। वहीं प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा जब हैलट का निरीक्षण करने पहुंचे तो उन्होंने इस ब्लॉक के निर्माण की अनियमितताओं पर जांच के आदेश दे दिए। इसके लिए पीडब्लूडी विभाग के इंजीनियर से रिपोर्ट मांगी कि कार्यदायी संस्था ने जितना फंड लिया उसमें कितना काम होना चाहिए था और कितना हुआ।
प्रिंसिपल बदलते ही बंद हुआ काम
हैलट कैंपस में बने आर्थोपेडिक ब्लॉक का निर्माण बसपा शासन काल में शुरू हुआ था। इस दौरान ऑर्थोपेडिक विभाग के ही प्रो। आनंद स्वरूप मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल थे। उन्होंने ही नए ऑर्थोपेडिक ब्लॉक का निर्माण शुरू कराया। 20 करोड़ की से ज्यादा की लागत से इसका निर्माण होना था। एनसीसीएफ ने निर्माण शुरू किया। पूरा ढांचा खड़ा हो गया और ओटी ब्लॉक से लेकर ऑक्सीजन प्लांट चार वार्ड भी बन गए। इसी दौरान डॉ। आनंद स्वरूप का तबादला हुआ तो ब्लॉक का काम धीमा पड़ गया। सूत्रों की मानें तो काम धीमा पड़ने को लेकर जब कार्यदायी संस्था के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने रिवाइज बजट देने का बहाना कर दिया। इसके बाद तो कभी काम शुरू नहीं हुआ और न ही अधूरे पड़े ब्लॉक को पूरा कराने का किसी ने प्रयास किया।
अधूरे पड़े आर्थोपेडिक ब्लॉक के निर्माण में गड़बड़ी की आशंका पर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ। रजनीश दुबे ने मामले की जांच के आदेश दिए। उन्होंने पीडब्लूडी विभाग के एक्सईएन राकेश कुमार सिंह को ब्लॉक में हुए निर्माण का मूल्याकंन करने के साथ ही यह रिपोर्ट देने को कहा है कि जितना फंड ब्लॉक के निर्माण में खर्च हुआ। उसमें कितना काम होना था और कितना काम हुआ। आर्थोपेडिक ब्लॉक में होने से ये काम - दो मंजिला एयरकंडीशंड ब्लॉक के निर्माण का प्रस्ताव था- चार एयरकंडीशंड वार्ड, पीओपी वार्ड के साथ-180 बेड की क्षमता होती इस ब्लॉक की- फैकल्टी के बैठने के लिए चेंबर का निर्माण और क्लॉसरूम व लाइब्रेरी का निर्माण- 75 फीसदी निर्माण के बाद एनसीसीएफ ने काम छोड़ा
आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट एक नजर में
- 95,727 मरीज आए बीते साल आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट की ओपीडी में
आर्थोपेडिक ब्लॉक के निर्माण को लेकर प्रमुख सचिव ने रिपोर्ट मांगी है। इसका निर्माण करने वाली संस्था ने रिवाइज बजट की मांग को लेकर काम बंद कर दिया था। लेकिन उसने उस समय जारी फंड से कितना काम हो सकता था इस बारे में कुछ नहीं बताया।- डॉ.आरसी गुप्ता, एसआईसी, एलएलआर एंड एसोसिएटेड हॉस्पिटल