-3,699 रुपए में बेड शीट खरीदने पर शोरूम ओनर ने अलग से 444 रुपए लगाई जीएसटी

BAREILLY :

एमआरपी यानि मैक्सिमम रिटेल प्राइस से इतर जीएसटी की वसूली करना बॉम्बे डाइंग शोरूम के ओनर को महंगा पड़ गया। जब कंज्यूमर फोरम के अध्यक्ष ने वेडनसडे को सुनवाई करते हुए शोरूम ओनर पर जुर्माना लगा दिया है। कोर्ट ने माना कि एमआरपी में जीएसटी शामिल होता है, उससे अलग जीएसटी कस्टमर से वसूल नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने शोरूम ओनर पर 4,444 रुपए जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जुर्माना राशि शोरूम ओनर बेडशीट खरीदार को एक माह के अंदर भुगतान कर दे अन्यथा 7 प्रतिशत साधारण ब्याज भी देना होगा।

3 नवम्बर 2017 को खरीदी थी बेडशीट

शहर के इज्जतनगर पीलीभीत बाइपास रोड महानगर 70 उमंग पार्ट-2 निवासी नरेश चन्द्र गुप्ता ने दायर किए वाद में बताया कि उन्होंने 3 नवम्बर 2017 को एक बॉम्बे डाइंग ब्रांड बेडशीट सिविल लाइंस से खरीदी थी। बेडशीट 3,699 रुपए की थी, जिस पर शोरूम ओनर ने जीएसटी के नाम पर 444 रुपए सहित 4143 रुपए वसूल लिए। नरेश चन्द्र गुप्ता ने जब विरोध किया तो उससे शोरूम पर अभद्रता की गई। जिसकी शिकायत उसने द बॉम्बे डाइंग एंड मैन्युफैक्चरिंग निदेशक मुम्बई से भी की। सुनवाई नहीं होने पर नरेश चन्द्र ने कोर्ट में शोरूम ओनर और बॉम्बे डाइंग निदेशक पर वाद दायर कर दिया। जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कंपनी के निदेशक और शोरूम ओनर को तलब किया लेकिन दोनों ही अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट नहीं पहुंचे। जिस पर कोर्ट ने 16 मार्च 2018 को एकपक्षीय सुनवाई करते हुए दोषपूर्ण सेवा प्रदान करने के लिए शोरूम ओनर को दोषी माना।

निर्माता कंपनी नहीं वसूली करने वाला दोषी

कंज्यूमर फोरम के अध्यक्ष घनश्याम पाठक ने सुनवाई करते हुए माना कि कंपनी के निदेशक सिर्फ निर्माता है। इसमें उसे दोषी नहीं बनाया जा सकता है। इसीलिए जीएसटी के नाम पर वसूली करने वाला शोरूम ओनर इसके लिए दोषी है। शोरूम ओनर ने दिए बिल पर 444 रुपए एडिसनल सीजीएसटी के नाम पर लिया था। जबकि पि्रंट रेट में ही जीएसटी शामिल होता है। शोरूम ओनर ने अलग से जीएसटी के नाम पर वसूली कर उपभोक्ता को धोखा दिया है। इसके लिए कोर्ट ने शोरूम ओनर को आदेश दिया कि जीएसटी के नाम पर वसूले गए 444 रुपए नरेश चन्द्र को वापस करेगा। साथ ही 2 हजार रुपए वाद व्यय और 2 हजार रुपए मानसिक व शारीरिक कष्ट के भी देना होंगे।

अधिसूचना के मुताबिक एमआरपी में जीएसटी शामिल होता है। प्रिंट रेट पर लिखा भी होता है कि सभी करो सहित मूल्य। इस तरह के मामलों में उपभोक्ता को अपने अधिकारों के प्रति सजग होना चाहिए और कंज्यूमर फोरम में वाद दायर करना चाहिए ताकि न्याय मिल सके।

मुहम्मद खालिद जीलानी, एडवोकेट

Posted By: Inextlive