- जुलाई में आए 49 मामले, सिर्फ छह का हुआ निस्तारण

GORAKHPUR: 90 दिन में बिजली से जुड़ी समस्याएं दूर करने के दावे करने वाला विद्युत व्यथा निवारण फोरम भी परेशान हाल कंज्यूमर्स को राहत देने में फेल है। फोरम में आने वाली शिकायतों और उनके निस्तारण के आंकड़े तो यही बयां करते नजर आ रहे हैं। बार-बार विभाग के दफ्तरों का चक्कर लगा थक चुके कंज्यूमर्स को यहां भी न्याय नहीं मिल पा रहा। हाल ये कि जुलाई में करीब 49 मामले फोरम के सामने आए, जिनमें सिर्फ छह का ही निस्तारण हो सका है। जबकि जिम्मेदारों का दावा है कि 50 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस जमा करने पर 90 दिन के अंदर ही समस्या का समाधाम हो जाता है। जबकि हकीकत यही है कि अभी भी फोरम में तमाम मामले पेंडिंग हैं।

90 दिन

बता दें, विद्युत व्यथा निवारण फोरम में जुलाई माह में बिजली बिल से संबंधित 49 मामले सामने आए जिनमें महज छह मामलों का ही निस्तारण किया जा सका है। जबकि विद्युत व्यथा निवारण फोरम ऐसे कंज्यूमर्स को न्याय दिलाने का दावा करता है। फोरम में हर महीने बिजली बिल से संबंधित 20 मामले आते हैं जिनमें एक से दो मामले का ही निस्तारण हो पाता है। जबकि अन्य मामलों में कंज्यूमर्स को तारीख दे दी जाती है। फोरम द्वारा हर महीने मंडल लेवल पर लोक अदालत का भी अयोजन किया जाता है। वहीं कंज्यूमर्स बिजली विभाग के ऑफिस और अधिकारियों के पास अपनी समस्या लेकर जाते हैं तो शिकायत को दरकिनार कर दिया जाता है। आज भी कंज्यूमर्स चक्कर लगा रहे हैं फिर भी उनकी सुनवाई नहीं हो पाती है।

फोरम के पास आती शिकायतें

- अधिक गलत बिलिंग

- वोल्टेज संबंधी शिकायतें

- मीटर संबंधी शिकायतें

- नया कनेक्शन देने में देरी

- विद्युत दर (टैरिफ) का गलत प्रयोग

- भार, मांग में कमी व वृद्धि में देरी

- विद्युत सप्लाई में रुकावट

- कंज्यूमर्स के उपकरण, नेटवर्क, परिसर को नुकसान

केस 1

रेलवे स्टेशन के पास दिनेश की दुकान है। उन्होंने किराए पर दुकान दे रखी थी। बिजली कनेक्शन पत्नी परी के नाम से हैं। एक साल पूर्व दुकानदार ने कनेक्शन कटवा दिया लेकिन उसकी पीडी नहीं हो सकी। जिसके चलते बिजली का बिल बढ़ता गया परेशान होकर उन्होंने कंज्यूमर फोरम की शरण ली लेकिन निस्तारण नहीं हो सका।

केस 2

घोष कंपनी के पास रहने वाले गुलाब ने हर माह बिजली का बिल जमा किया लेकिन अचानक उनका बिल दो लाख से अधिक आ गया। बिजली ऑफिस का काफी चक्कर लगाया और अफसरों से भी मुलाकात की लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। जब विभाग में सुनवाई नहीं हुई तो वह विद्युत व्यथा निवारण फोरम का सहारा लेने पहुंचे लेकिन मामला पेंडिंग ही है।

Posted By: Inextlive