बिलों में धांधली से परेशान हैं कंज्यूमर्स
- प्रोवाइडिंग एजेंसी के सिस्टम की खराबी बनी कंज्यूमर्स के सिर का दर्द
-बिलों में सुधार के लिए बिजली दफ्तरों के चक्कर काट रहे कंज्यूमर्स Meerut। कंज्यूमर सर्विस की बेहतरी का दावा करने वाला पीवीवीएनएल बिलिंग सिस्टम को सुधार नहीं पा रहा है। हालांकि इस बार परेशानी का कारण प्रोवाइडर एजेंसी बनी है। एजेंसी के सिस्टम में खराबी होने के कारण बढ़कर आ रहे बिलों को लेकर कंज्यूमर बिजली दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। क्या है मामलाएक माह से बढ़कर आ रहे बिजली बिलों ने कंज्यूमर्स की तौबा करा दी है। दुगने से भी अधिक बनकर आए बिलों जहां कंज्यूमर्स की उलझन बढ़ा दी है, वहीं बिल ठीक कराने के लिए उनको अपना काम छोड़कर बिजली दफ्तरों के बेहिसाब चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। वहीं बाकि कसर विभाग के मीटर रीडर्स ने भी पूरी कर दी है। गलत रीडिंग उठाने के कारण गलत बन रहे बिलों ने समस्या को दुगना कर दिया है।
ये है गड़बड़ी का कारणदरअसल, कभी-कभी सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के सिस्टम में खराबी होने के कारण बिल अपडेट नहीं हो पाते। जिसके कारण कंज्यूमर्स के पिछले बिल भी जुड़कर नए बिल में आ जाते हैं। वहीं विभाग के मीटर रीडर्स रीडिंग भरते समय गलती से एक और जीरो अधिक लगा देते हैं, जिससे बिल अत्यधिक बढ़कर आ जाता है।
केस वन भेजा पांच लाख का बिल गंगानगर निवासी विनीता का दिसंबर माह का घरेलू बिल पांच लाख का बनाकर भेज दिया गया। जबकि उसका वास्तविक बिल केवल 3200 रुपए का था। इस संबंध में जब विनीता ने कंप्लेंट की तो उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। कई बार दफ्तरों के चक्कर लगाने के बाद उसका बिल ठीक किया गया। केस टू - घंटाघर निवासी मसीचरण का बिल 34 हजार का बनाकर भेज दिया गया। जबकि उनका वास्तविक बिल केवल 2200 रुपए ही था। ऐसे में कई बार चक्कर लगाने से लेकर पीडि़त को कर्मचारियों तक से खुशामद तक करनी पड़ी। केस थ्री- अजंता कॉलोनी निवासी कृष्ण मोहन शर्मा का एक माह का बिल 15 हजार रुपए आया। ऐसे में जब पीडि़त बिल लेकर अफसरों के पास पहुंचा तो उसका बिल दुरुस्त किया गया। जिसके बाद उसका वास्तविक बिल 2100 रुपए आया। बिलों में यदि कोई गड़बड़ी है तो उसको दुरुस्त किया जाएगा। हालांकि यह एक अस्थाई किस्म की समस्या होती है। शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है। -आरके राणा, एसई अर्बन