RANCHI : पहाड़ी मंदिर के मिट्टी का तेजी से हो रहा कटाव बड़े खतरे का संकेत दे रहा है। दो दिनों की बारिश के दौैरान विवाह मंडप से होकर मंदिर जाने वाले रास्ते में दर्जनों जगह मिट्टी कटकर जहां-तहां फैल गई है। बारिश की पानी के साथ यह मिट्टी मंदिर की सीढि़यों पर बह रही है। मिट्टी में कटाव से चट्टानें भी खिसक रही हैं। अगर समय रहते मिट्टी कटाव रोकने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो पहाड़ी मंदिर जमींदोज भी हो सकता है।

हो रहे हैं नए कंस्ट्रक्शन

जियोलॉजिस्ट्स के मुताबिक, नए निर्माण से पहाड़ी मंदिर के वजूद पर खतरा बढ़ता जा रहा है। यहां चबूतरा और टावर समेत कई और कई कंस्ट्रक्शन हो रहे हैं। ये कंस्ट्रक्शन 26 एकड़ क्षेत्र में फैले पहाड़ी मंदिर के स्वरूप के साथ छेड़छाड़ कर किया जा रहा है। इस साल 23 जनवरी को पहाड़ी मंदिर के मुख्य सीढि़यों के बाईं ओर 26 टन का फ्लैग पोस्ट खड़ा बनाया गया है, जहां से मिट्टी का कटाव काफी तेजी से हो रहा है।

जल निकासी की व्यवस्था नहीं

पहाड़ी मंदिर में सावन में लाखों श्रद्धालु शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। एक श्रद्धालु कम से कम शिवलिंग पर 500 एमएल पानी अर्पित करता है। ऐसे में सावन महीने में लाखों लीटर जल पहाड़ी मंदिर पर अर्पित होता है, लेकिन इसकी समुचित निकासी की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में अर्पित जल भी मिट्टी कटाव का मुख्य कारण है। पहाड़ी मंदिर विकास समिति के कोषाध्यक्ष हरि जालान का कहना है कि शिवलिंग पर जल अर्पण के बाद पानी नाग मंदिर होते हुए बाहर की ओर चला जाता है।

मिट्टी में तब्दील हो रहा चट्टान

जिस तरह से पहाड़ी मिट्टी पर नए कंस्ट्रक्शन हो रहे हैं, उससे वह बहुत दबाव बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है। एक हजार टन से ज्यादा बोझ होने पर यह पहाड़ी टूट सकती है। यहां का खोंडालाइट चट्टान अब मिट्टी में बदल रहा है। इसमें ज्यादा शक्ति नहीं है। हल्के दबाव से ही यह टूट जाता है। मिट्टी में ग्रेनाइट चट्टान के अंश को आसानी से देखा जा सकता है।

काटे हरे पेड़, नहीं लगे नए पौधे

पहाड़ी मंदिर विकास संघर्ष समिति के सदस्य अमृत रमण ने बताया कि पहाड़ी मंदिर परिसर में मुख्य रूप से मिट्टी है। इसके अपर हरे भरे पेड़ मिट्टी के संरक्षक का काम करते हैं। परिसर के सौंदर्यीकरण के नाम पर पेड़ों के कटाई की गई, इसके बदले नए पेड़ भी नहीं लगाए गए। परिसर के संरक्षण व मूल स्वरूप के बचाव के लिए हम आंदोलन कर रहे हैं।

तेजी से हो रहा अपरदन

पहाड़ी से मिट्टी का अपरदन तेजी से हो रहा है। बारिश के दिनों में मिट्टी का कटाव तो सामान्य है, लेकिन जब अपरदन ज्यादा होने लगे तो यह चिंता की बात है। गार्डवाल और नए निर्माण के रूप में पहाड़ी पर लोड ज्यादा है। पहाड़ी मंदिर को हेरिटेज घोषित किया जाना चाहिए, ब्रिटिश हुकूमत के समय भी लोग यहां सर्वे करने आते थे। इसका जिक्र गजेटियर में भी है। जब इसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा तो आर्कियोलॉजी के छात्रों के लिए शोध करने के लिए भी शायद कोई स्थान नहीं बचे।

Posted By: Inextlive