- बीओटी अनुबंध में डायरेक्शन बोर्ड लगाकर विज्ञापन की दी गई है अनुमति

- बिजली के खंबों पर ही विज्ञापन करने का है ठेकेदार को अधिकार

Meerut : शहर के छह प्रमुख मार्गो तथा क्7 चौराहों पर नगर निगम द्वारा बीओटी के तहत अनुबंध करके विज्ञापन की अनुमति दी गई थी, लेकिन विज्ञापन के लिए केवल बिजली के खंबों पर ही अधिकार दिया गया है। यूनिपोल लगाने की अनुमति अनुबंध में कहीं नहीं है। जबकि ठेकेदारों ने डिवाइडर पर विशाल यूनिपोल खड़े करके उन्हें डायरेक्शन बोर्ड का नाम दिया है। सवाल यह है कि ठेकेदारों को यूनिपोल लगाने की अनुमति किसने दी? जबकि डिवाइडरों पर यूनिपोल लगाना कोर्ट से प्रतिबंधित है।

डायरेक्शन बोर्ड लगाएं

बीओटी ठेकेदारों ने शहर में डेढ़ सौ से ज्यादा विशाल यूनिपोल सड़कों के बीचोबीच डिवाईडरों पर खड़े कर दिए हैं। नगर निगम प्रशासन का कहना है कि केवल ख्म् डायरेक्शन बोर्ड लगाने की अनुमति दी गई थी, वह भी यूनिपोल पर नहीं। बीओटी अनुबंध में भी छह मार्गो पर बिजली के कुल ब्ब्0 खंबों पर फ्0 गुना ब्0 इंच साइज का विज्ञापन लगाने की अनुमति दी गई है। इनके अलावा डायरेक्शन बोर्ड लगाकर विज्ञापन की अनुमति दी गई है लेकिन डायरेक्शन बोर्ड यूनिपोल पर लगेंगे ऐसा कहीं नहीं लिखा है। ठेकेदारों ने अपनी मर्जी से डायरेक्शन बोर्ड के नाम पर पूरे शहर को विशाल यूनिपोल से पाट दिया है। जिससे शहर के लोगों की जान खतरे में है। विज्ञापन समिति की चेयरमैन रीता सिंह ने दोनों बीओटी अनुबंध निरस्त करने की मांग की है।

होगी विधिक कार्रवाई

वहीं निगम के विज्ञापन प्रभारी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि अनुबंध में डायरेक्शन बोर्ड यूनिपोल पर लगाने की अनुमति नहीं दी गई है। डिवाइडर पर यूनिपोल लगाने पर कोर्ट के प्रतिबंध की भी जानकारी करके विधिक कार्रवाई की जाएगी। ठेकेदार यदि नगर आयुक्त के नोटिस के अनुपालन में विज्ञापन का साइज कम नहीं करेंगे तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

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डेढ़ साल बाद नगर आयुक्त को दिखे यूनिपोल

यूनिपोल का साइज कम करने का नोटिस दिया, ठेकेदार का इंकार

मेरठ : नगर आयुक्त अब्दुल समद ने बीओटी ठेकेदार को नोटिस जारी करके उसके द्वारा पूरे शहर में लगाए गए विशाल यूनिपोल पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि आंधी व तेज के साथ साथ कभी भी इनके गिरने से आम जनता की जान माल को खतरा हो सकता है। उन्होंने एक सप्ताह में इनका आकार छोटा करके पीडब्लूडी के बोर्ड के बराबर ब् गुना एक मीटर करने का आदेश दिया है।

वहीं अभिनव एडवरटाइजिंग एजेंसी के मालिक ज्ञानेंद्र चौधरी ने नगर आयुक्त के इस आदेश को मानने से साफ इंकार कर दिया है। ज्ञानेंद्र ने बताया कि अनुबंध में विज्ञापन का आकार निर्धारित नहीं है। जितना बड़ा भी विज्ञापन लगा है उसका पूरा शुल्क निगम को अदा दिया जा रहा है। नगर निगम को इससे क्षति नहीं बल्कि आर्थिक लाभ है। ज्ञानेंद्र ने कहा कि डायरेक्शन बोर्ड को ही यूनिपोल कहते हैं। क्योंकि किसी अन्य ठेकेदार को यूनिपोल लगाने की अनुमति नहीं मिल रही है लिहाजा वे सभी मिलकर उसके खिलाफ साजिश कर रहे हैं।

Posted By: Inextlive