छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : बात 2002 की है। करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आरके दास का ट्रांसफर होने के बाद डॉ एसएस रजी वहां के प्रोफेसर-इन-चार्ज इंचार्ज बनाए गए। अब 19 फरवरी 2015 को को-ऑपरेटिव कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आरके दास को सस्पेंड किए जाने के बाद प्रोफेसर इन-चार्ज की जिम्मेवारी फिर से डॉ एसएस रजी को सौंपी गई। इन दोनों ही कॉलेज से प्रिंसिपल के पद से डॉ आरके दास के हटने के बाद डॉ रजी को प्रोफेसर-इन-चार्ज की जिम्मेवारी मिलना महज एक संयोग है या फिर कुछ और, यह बड़ा सवाल है। डॉ दास एलबीएसएम कॉलेज में 1999 से 2002 तक और को-ऑपरेटिव कॉलेज में 31 जुलाई 2011 से 19 फरवरी 2015 तक प्रिंसिपल के पद पर रहे।

डॉ रजी इसे संयोग मानते हैं

एलबीएसएम के बाद को-ऑपरेटिव कॉलेज में भी डॉ आरके दास के प्रिंसिपल के पद से हटने के बाद प्रोफेसर-इन-चार्ज बनाए गए डॉ एसएस रजी इसे सिर्फ एक संयोग मानते हैं। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार पद से रिजाइन करने के बाद वे सीनियर होते हुए भी डॉ दास के अधीन काम करते रहे क्योंकि वे प्रिंसिपल के पद पर थे।

करते रहे हैं इज्जत

रजिस्ट्रार का पद छोड़ने के बाद डॉ रजी को-ऑपरेटिव कॉलेज वापस आ गए। उन्हें शायद इस बात का दुख रहा कि सीनियर मोस्ट टीचर होने के बाद भी उन्हें न तो प्रोफेसर-इन-चार्ज बनाया गया और न ही कोई महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी गई। जूलॉजी डिपार्टमेंट का एचओडी नहीं बनाए जाने से भी वे नाराज थे। उन्होंने खुलकर तो नाराजगी जाहिर नहीं कि पर बातों बातों में सबकुछ बता गए। उन्होंने एक बात जरुर कही कि सीनियर होने की वजह से डॉ दास उनकी इज्जत करते थे।

मैंने पूछा था, डॉ दास का पोस्टिंग कहां हो रही है

डॉ आरके दास का सस्पेंशन कहां तक उचित था। क्या एक कमीशन प्रिंसिपल के खिलाफ इस तरह का एक्शन लिया जाना चाहिए था। इसपर डॉ रजी का कहना था कि उन्हें भी यकीन नहीं था कि डॉ दास को सस्पेंड किया जाएगा। उनका कहना था कि जब उन्हें प्रोफेसर-इन-चार्ज बनाए जाने का लेटर दिया गया तो उन्होंने रजिस्ट्रार से पूछा कि डॉ दास की पोस्टिंग किस कॉलेज में की जा रही है। ऐसा पूछे जाने पर रजिस्ट्रार ने बताया कि डॉ दास को सस्पेंड किया गया है। ऐसे में एक सवाल तो जरुर सामने आता है कि अगर डॉ आरके दास के साथ गलत हुआ और यह डॉ रजी मानते हैं तो उन्हें एक सिंडिकेट मेंबर होने के नाते केयू के एक फैसले पर कुछ कहा क्यों नहीं।

वर्जन

मेरे साथ जो कुछ भी हुआ उससे तो यही लगता है कि सबकुछ प्लानिंग के साथ किया गया। पहले से तय कर लिया गया था कि क्या करना है। पहले भी एक दूसरे कॉलेज से मेरे हटने के बाद भी एक खास व्यक्ति को ही जिम्मेवारी दी गई थी। सबकुछ सामने दिख रहा है, इसमें संयोग क्या है।

- डॉ आरके दास, एक्स प्रिंसिपल को-ऑपरेटिव कॉलेज

कहने को तो बहुत सारी बातें हो सकती हैं पर एलबीएसएम और को-ऑपरेटिव कॉलेज में डॉ दास के हटने के बाद मेरा आना एक संयोग ही है और कुछ नहीं। यह तो यूनिवर्सिटी ने किया है। मुझे तो उम्मीद भी नहीं थी कि डॉ दास को सस्पेंड किया जाएगा। मेरा कहीं कोई रोल नहीं।

- डॉ एसएस रजी, प्रोफेसर इंचार्ज को-ऑपरेटिव कॉलेज

Posted By: Inextlive