RANCHI: राजधानी के चौक-चौराहों पर बिकनेवाले कोरियन कंबल ने सेमल की रुई से बनी रजाई की बादशाहत खत्म कर दी है। सस्ती और लाइटवेट होने के कारण लोग रजाई बनवाने की जगह कोरियन कंबल खरीदना पसंद कर रहे हैं। एक कोरियन कंबल फ्00 से 800 रुपए तक में आता है वहीं एक रजाई बनाने में क्म्00-क्800 रुपए तक का खर्चा आता है। इसलिए लोगों का रुझान कोरियन कंबल की ओर हो गया है।

डेली बिक रहे म्00 कंबल

मेन रोड में शहीद चौक पर फुटपाथ पर कंबल की दुकान सजानेवाले सुरेंद्र साव ने बताया कि उनके यहां डेली ख्भ्-फ्0 कंबल बिक जाते हैं। मेन रोड के पास ऐसी ख्0 से ज्यादा दुकानें हैं ऐसे में केवल अल्बर्ट एक्का चौक के पास की दुकानों में औसतन म्00 कंबल रोज बिक रहे हैं। यहां कंबल खरीदने आए शिव कुमार ने बताया कि रजाई बनवाने में खर्चा ज्यादा आता है और उसमें हर साल रुई बदलवाने का झंझट होता है। कोरियन कंबल में ऐसी कोई बात नहीं। यह ओढ़कर सोने में भी आरामदेह है इसलिए यही खरीदने आए हैं।

रजाई के धंधे में जान नहीं

लालपुर स्थित हिंद कॉटन शॉप में रजाई बनाने का काम करनेवाले मो। असलम मंसूरी ने बताया कि रजाई के धंधे में अब जान नहीं रही। क्00 परसेंट की जगह अब ख्0 परसेंट ही काम मिल रहा है। एक डबल साइज की रजाई क्म्00-क्700 रुपए में बनती है। इससे आधे दाम पर डबल बेड का कोरियन कंबल मिल जाता है, इसलिए लोग उधर शिफ्ट हो रहे हैं। जाड़े में पहले हमलोग इस समय रजाइयां बनाया करते थे, अब गददे बना रहे हैं। इसका भी आर्डर कम ही आ रहा है। वहीं मो। सगीर ने बताया कि बिक्री कम होने से दुकान बंद होने की नौबत आ गई है। अब काम सिर्फ तकिये और गददे का मिल रहा है।

बॉक्स का मैटर

क्ब्.म् डिग्री रहा मिनिमम टेंपरेचर

नवंबर फ‌र्स्ट वीक खत्म होते-होते राजधानी में सर्दी की शुरुआत हो गई है। सुबह और शाम में लोगों को ठंड महसूस हो रही है और रात में कंबल ओढ़ना पड़ रहा है। शनिवार को राजधानी का न्यूनतम तापमान क्ब्.म् डिग्री रिकार्ड किया गया। यह सामान्य से एक डिग्री कम है। वहीं दिन का तापमान ख्7 डिग्री रिकार्ड किया गया। यह भी सामान्य से एक डिग्री नीचे है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के निदेशक बीके मंडल ने बताया कि रांची में ठंड की शुरुआत हो चुकी है। अब दिन-ब-दिन तापमान में गिरावट आएगी और ठंड का असर बढ़ता जाएगा। रांची में सर्दियों का मौसम नवंबर से फरवरी लास्ट तक रहता है, इसमें भी दिसंबर और जनवरी सर्दियों का पीक सीजन है।

क्या कहते हैं कारोबारी

कोरियन कंबल के कारण रजाई का व्यवसाय खत्म हो गया। अब हमें पीक सीजन में भी आर्डर नहीं मिल रहे। अब काम गददा और तकिये का ही मिल रहा है।

मो। असलम मंसूरी

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एक रजाई क्म्00 रुपए में बनती है, जबकि कोरियन कंबल 800 रुपए में आसानी से बन जाता है। रेट कम होने के कारण लोग उसे ही पसंद कर रहे हैं। इसका बुरा असर धुनियों के व्यवसाय पर पड़ा है।

सगीर, लालपुर

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डेली हमलोग ख्0 से ख्भ् कंबल बेच लेते हैं। सिंगल का रेट फ्00 है और डबल का म्00 से लेकर 800 तक है। नगड़ी के मनसुख इसका होलसेल कारोबार करते हैं। हम वहीं से कंबल लाते हैं और बेचते हैं। इसके अलावा अपर बाजार से भी कंबल आता है।

-सुरेंद्र साव, कंबल विक्रेता, मेन रोड

Posted By: Inextlive