- ड्राइवर और कंडक्टर्स को नहीं मिला रहा वेतन, इसके बाद भी बखूबी कर रहे ड्यूटी

DEHRADUN: कोरोना काल के दौरान कुछ योद्धा ऐसे हैं, जो लगातार निस्वार्थ भाव से अपनी जान की परवाह किए बिना काम में जुटे हुए हैं। इनमें डॉक्टर, नर्सेज, ड्राइवर, कंडक्टर्स सहित प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। ड्राइवर और कंडक्टर बसों के जरिये प्रवासियों को दूसरे राज्यों में उनके घर पहुंचाने और बाहरी राज्यों में फंसे उत्तराखंड के लोगों को वापस लाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इन्हें दो माह से वेतन भी नहीं मिला है। इसके बाद भी वे अपने काम को बखूबी कर रहे है। विरोध या आंदोलन के लिए कभी सोचा भी नहीं, वह मानवता के आधार पर लगातार अपना काम कर रहे है।

65 हजार लोगों को डेस्टिनेशन तक पहुंचाया

ड्राइवर और कंडक्टर प्रवासियों को उनके राज्य पहुंचाने और बाहरी राज्यों में फंसे उत्तराखंड के लोगों को लाने का काम कर रहे हैं। गुजरात के 1300 लोगों को बसों के जरिए उनके घर भेजा गया। इसके अलावा अन्य राज्यों के लोगों को भी लगातार भेजा जा रहा है। अब तक 65 हजार से ज्यादा लोगों को प्रदेश से बाहर और प्रदेश लौटाने का काम यह योद्धा कर चुके हैं।

खौफ के साये में कर रहे काम

इस योद्धाओं के पास सुरक्षा की दृष्टि से बचाव का कोई साधन नहीं है। जिससे हर समय संक्रमण का डर बना रहता है। न तो वेतन और न ही बीमा किया गया है। इसके बाद भी यह अपनी जान की परवाह किए बिना निस्वार्थ भाव से अपना काम कर रहे हैं।

जब भी हमें कहा जाता है। इसे कोरोना संकट समझते हुए हम चले जाते हैं, लेकिन हमेशा डर जरूर बना रहता है। हम ड्यूटी से सीधे घर जाते हैं। जहां परिवार के सम्पर्क में भी आते हैं। ऐसे में संक्रमण फैलने का डर बना रहता है।

- जसबीर सिंह

अब तक हरियाणा, गुडगांव, पंजाब, चंडीगढ़, भटिंडा, गुजरात से प्रवासियों को लेकर आ चुके हैं। यहां से निकल जाते है लेकिन रास्ते में न तो पानी और न खाना मिलता है। वेतन न मिलने के बाद भी खुद के पैसे लगाकर ड्यूटी कर रहे हैं।

- ललता सिंह

मैं विशेष श्रेणी के ग्रामीण डिपो का ड्राइवर हूं। प्रवासियों को लाने के लिए हरियाणा, प्रयागराज, गुजरात, पंजाब, भटिंडा, चंडीगढ़ भेजा गया। वेतन नहीं मिल रहा, इसके बाद भी हम मानवता के आधार पर काम कर रहे हैं।

- संजीव सिसोदिया

लॉकडाउन के दौरान कई लोग अन्य राज्यों मे फंसे थे। इस बीच हमें उन्हें लाने के लिए कहा गया। हमें वेतन नहीं मिल रहा, इसके बाद भी हम निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं।

- रामपाल

हमारी ओर से शासन को पत्र भेजा गया है। ताकि कर्मचारियों के वेतन को राशि उपलब्ध हो सके। जब शासन से पैसा मिलेगा तो वेतन डिस्ट्रीब्यूट किया जाएगा।

- दीपक जैन, जीएम संचालन, उत्तराखंड रोडवेज

Posted By: Inextlive