एक रिपोर्ट से पता चला है कि कोरोना वायरस से गोरे लोगों की तुलना में एक समुदाय विशेष के मरने की संभावना अधिक है। ब्रिटिश सांख्यिकी कार्यालय ने इस बात की जानकारी दी है।

लंदन (रॉयटर्स)दुनिया में एक समुदाय विशेष (ब्लैक), बांग्लादेशी और पाकिस्तानियों को गोरे लोगों की तुलना में कोरोना वायरस से मरने की संभावना काफी अधिक है। ब्रिटिश सांख्यिकी कार्यालय ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी है। सामाजिक-आर्थिक कारकों की एक सीमा के लिए समायोजित किए गए मॉडल का उपयोग करते हुए, सांख्यिकी कार्यालय ने कहा कि यह स्पष्ट है कि विभिन्न जातीय समूहों के बीच कोविड-19 के जोखिम में महत्वपूर्ण अंतर है। ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स ने कहा, 'कुछ जातीय समूहों के बीच कोरोना वायरस से मरने का खतरा गोरे लोगों की तुलना में काफी अधिक है। हमारी रिपोर्ट बताती हैं कि बांग्लादेशी, पाकिस्तानी, भारतीय और मिश्रित नस्लों के लोगों को गोरों की तुलना में कोविड-19 से मरने का ज्यादा खतरा है।'

जेनेटिक्स सुझा सकते हैं दवा के लिए रास्ता

कोरोना वायरस का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने इस जानकारी को हासिल करने के लिए काफी मेहनत की है और उम्र, लिंग व जातीयता के आधार पर मृत्यु दर में अंतर का पता लगाया है। उन्होंने बताया कि जेनेटिक्स में कई सुराग हो सकते हैं जो अंततः दवाओं या वैक्सीन के लिए एक रास्ता सुझा सकते हैं, जिससे इस बीमारी का इलाज संभव है। मरने वाले लोगों पर किए जाने वाले रिसर्च के दौरान ओेएनएस ने पाया कि कोरोना वायरस से गोरे लोगों की तुलना में ब्लैक पुरुषों की मृत्यु दर 4.2 गुना अधिक थी और गोरे पुरुषों व महिलाओं की तुलना में ब्लैक महिलाओं की मृत्यु दर 4.3 गुना अधिक थी। समायोजित मॉडल से पता चला कि श्वेत समूह की तुलना में कोरोना से ब्लैक पुरुषों और महिलाओं की मृत्यु दर 1.9 गुना अधिक थी। समायोजित मॉडल के अनुसार, बांग्लादेशी और पाकिस्तानी पुरुषों की मृत्यु की संभावना 1.8 गुना अधिक है।

Posted By: Mukul Kumar