Coronavirus कोरोना वायरस के खिलाफ यूपी सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में फैसला लिया गया कि सीएम मंत्रियों तथा विधायकों के वेतन से भी 30 फीसद की कटौती के साथ उनकी एक वर्ष की निधि को कोविड केयर फंड में जमा की जाएगी। वहीं बिहार में भी राज्य के मंत्रियों एवं विधान मंडल के सदस्यों के वेतन में अगले एक साल तक 15 प्रतिशत कटौती कर वो राशि कोरोना उन्मूलन कोष में जमा की जाएगी।

लखनऊ (पीटीआई)। Coronavirusकोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के खिलाफ चल रहे युद्ध में केंद्र की तरह उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने बुधवार को कोरोना वायरस प्रकोप के मद्देनजर मंत्रियों और राज्य विधायकों के वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती को मंजूरी दे दी। इसके अलावा, राज्य के विधायकों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों की विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए मिलने वाली विधायक निधि भी 1 वर्ष के लिए रोक दी गई है। इस संबंध में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि कोरोना वायरस प्रकोप से बनी इस स्थिति से निपटने के लिए और चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा स्थापित COVID केयर फंड में ये सारा पैसा जाएगा।

आपदा निधि की सीमा दोगुनी कर दी गई है

मंत्री ने कहा कि वेतन में कटौती के कारण, 56 मंत्रियों सहित सभी 503 विधायक, लगभग 17.50 करोड़ रुपये का योगदान करेंगे। उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने चालू वित्त वर्ष के लिए विधायकों के स्थानीय क्षेत्र विकास निधि 1,509 करोड़ रुपये को भी कोविड केयर फंड में जमा करने का फैसला किया है। प्रत्येक विधायक को विकास निधि के तहत हर साल 3 करोड़ रुपये मिलते हैं। खन्ना ने कहा कि कैबिनेट ने आपदा निधि की सीमा को मौजूदा 600 करोड़ रुपये से दोगुना कर 1,200 करोड़ रुपये करने का फैसला लिया। इस राशि का उपयोग भोजन के वितरण के अलावा चिकित्सा और क्वाॅरंटीन सर्विस को मजबूत करने के लिए किया जाएगा।

बिहार मंत्रिमंडल में इन फैसलों पर लगी मुहर

वहीं बिहार मंत्रिमंडल ने बुधवार को द्विसदनीय विधायिका के सभी सदस्यों के वेतन में एक वर्ष के लिए 15 प्रतिशत की कटौती करने और उस राशि को राज्य सरकार द्वारा स्थापित कोरोना उन्मूलन कोष में देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सभी मंत्रियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस बैठक में भाग लिया। इस बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्णय यह था कि कक्षा 5 और 8 के छात्रों को बिना परीक्षा के अगली कक्षा में प्रमोट किया क्योंकि वे शैक्षणिक वर्ष 2019-20 में कोविड-19 संकट के मद्देनजर स्कूल और कॉलेज बंद हैं।शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि 10 को छोड़कर कक्षा 1 से 9 तक के सभी छात्रों को अब कैबिनेट के फैसले के तहत प्रमोट किया जाएगा।

Posted By: Shweta Mishra