- 1 करोड़ की लागत से असुरन से मेडिकल कॉलेज तक हुआ था सड़क चौड़ीकरण

- पूरी रोड पर आ गई दरार, जगह-जगह बन गए गड्ढे

- दरार और गड्ढों से पब्लिक को हो रही प्रॉब्लम

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र:

जीडीए एक तरफ से रोड बनाना शुरू करता है और दूसरी तरफ से वह रोड उखड़ने लगती है। गोरखपुर विकास प्राणिकरण अपने इसी तरह के कारनामों के लिए जाना जाता है। कुछ इसी तरह का कारनामा प्राधिकरण ने इस बार भी किया है। 6 करोड़ रुपए की लागत से सात माह पहले असुरन चौक से मेडिकल कॉलेज तक के रोड का चौड़ीकरण जीडीए ने कराया। सात माह में ही इस रोड के परखच्चे उड़ने लगे हैं। गिट्टियां बिखर गई है, जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं।

सात माह में उखड़ गई सड़क

-जीडीए के रोड निर्माण के बाद लोगों को उम्मीद बंधी की मेडिकल कॉलेज के रास्ते पर अब जाम नहीं लगेगा। दिसंबर 2014 में रोड बनकर तैयार भी हो गई। सड़क बनने के सात माह बाद ही सड़क उखड़ने लगी है। असुरन पुलिस चौकी के पास, विष्णु मंदिर के आगे, वी मार्ट के सामने खजांची चौराहा सहित कम से कम एक दर्जन जगहों पर गिट्टी उखड़ गई। जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जीडीए जेई अरविंद सिंह ने बताया कि जनवरी 2014 में इस रोड का निर्माण कार्य शुरू हुआ और कुल 8 से 10 माह में दिसंबर 2014 में यह रोड बन कर तैयार हो गई।

6 करोड़ की लागत से हुआ था निर्माण

असुरन चौक से मेडिकल कॉलेज की कुल दूरी लगभग 8 किमी है। पहले यह रास्ता 30 फीट था। इस रास्ते के चौडीकरण की लगातार मांग चल रही थी। 2013-14 के अवस्थापना निधि के तहत 6 करोड़ रुपए की लागत से इस रोड के दोनों तरफ पांच-पांच फिट चौड़ीकरण की स्वीकृति डीएम और कमिश्नर ने दी। उसके बाद 2014 में इस रोड के चौड़ीकरण का काम शुरू हुआ। 6 करोड़ की लागत से बनने वाली सड़क को जीडीए ने तीन हिस्सों में बांट कर काम कराया था।

पूर्वाचल की प्रमुख सड़क है

गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज रोड सिटी ही नहीं बल्कि पूर्वाचल की प्रमुख सड़कों में से एक है। क्योंकि इस सड़क पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज है। यहां पूर्वाचल के हर जिले से लगभग सैकड़ों लोग डेली इस रोड पर आते हैं। इसके अलावा यह सड़क महराजंग जिले के साथ सिटी के शाहपुर, राप्तीनगर, चारगांवा, खजांची, सेमरा फर्टिलाइजर कॉलोनी सहित एक दर्जन एरिया को शहर से जोड़ती है। इस रोड पर डेली कम से कम 3 से 4 लाख लोग आते-जाते हैं।

कमिश्नर के विशेष निर्देश पर शुरू हुआ था काम

-मेडिकल कॉलेज रोड की गिनती सिटी के सबसे व्यस्त सड़कों में की जाती है। रोड चौड़ी होने के पहले अक्सर लोग जाम की प्रॉब्लम झेलते थे। कई बार इसको लेकर पब्लिक अफसरों के यहां धरना प्रदर्शन कर चुकी थी। पब्लिक की विशेष मांग पर पिछले साल कमिश्नर ने जीडीए की अवस्थापना निधि से सड़क चौड़ीकरण की जिम्मेदारी दी। कमिश्नर का निर्देश था कि सड़क के दोनों तरफ की पटरियों कीे पिचिंग की जाए। पहले इस रोड की चौड़ाई 30 फीट थी, जबकि इसको वर्तमान में बढ़ाकर 40 फीट कर दिया गया है। इसमें सड़क को दोनों तरफ 5-5 फीट चौड़ा किया गया।

रोड जब चौड़ी हो रही थी तो बहुत अच्छा लगा कि अब इस सड़क पर कहीं भी जाम नहीं लगेगा, लेकिन बनने के बाद से ही रोड टूटने लगी है। स्थिति यह है कि जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं। कई बार तो रात को गड्ढों के कारण दुर्घटना हो जाती है।

चंदू पासवान, राप्तीनगर

पिछले साल ठंडी के महीने में रोड बनकर तैयार हुआ। रोड बन कर तैयार हुआ तो लगा कि अब इस सड़क पर जाम से मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन रोड टूटने के कारण अब जाम से दुर्घटना होने लगी है।

बबलू चौधरी, खजांची चौराहा

रोड टूटने की कंप्लेन मेरे पास नहीं आई है। अगर रोड टूटी है या उखड़ी है तो ठेकेदारों का बांड हमारे पास जमा है, फिर से रोड बनवाई जाएगी।

शिव श्याम मिश्र, वीसी जीडीए

Posted By: Inextlive