- अधिकारियों के दबाव में नहीं किया गया पुलिस वालों को अरेस्ट

- जिला पुलिस पर उच्चाधिकारियों ने बनाया था मामले को निपटाने का दबाव

- आरोपी पुलिस वालों ने कैश नहीं लौटाया, तब दर्ज की गई एफआईआर

- अब गेंद एसआईटी के पाले में है, कार्रवाई का इंतजार

देहरादून

चुनावी चेकिंग के नाम पर प्रॉपर्टी कारोबारी की कार रोककर आईजी के ड्राइवर सहित अन्य पुलिस वालों द्वारा कैश से भरा बैग लूटने के मामले में जिला पुलिस की सुस्ती सवालों के घेरे में है. जिला पुलिस इस मामले में फरियादी से लूटे गए कैश की डिटेल तक नहीं ले पाई. आईजी की कार और उसमें सवार तीन पुलिसवालों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिल जाने के बावजूद भी पुलिस ने उनको गिरफ्तार नहीं किया. अब मामले की इनवेस्टिगेशन एसआईटी को चली गई. एसआईटी इस केस की नए सिरे से तथ्यों के साथ पड़ताल कर रही है, ऐसे में आरोपी और संदिग्ध अभी पकड़े नहीं जा सके. जिला पुलिस ने इस मामले में तमाम एविडेंस कलेक्ट करने के बावजूद भी आरोपी और संदिग्धों की गिरफ्तार नहीं किया, इसके पीछे किसी का बड़ा दबाव बताया जा रहा है.

अफसरों ने कहा था, डरा धमकाकर निकलवाओ कैश

चुनाव में खर्च होने आए कालेधन को कथित पुलिसवालों के लूट लिए जाने के मामले में पुलिस सूत्रों से बड़ा खुलासा हुआ है. प्रॉपर्टी डीलर अनुरोध पंवार ने जब पुलिस अधिकारियों से मामले की शिकायत की तो पड़ताल कराई गई. पड़ताल में आईजी की कार संदेह के घेरे में आ गई और तीन पुलिसकर्मी फंस गए. महकमे की बदनामी के डर से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने जिला पुलिस पर दबाव बनाया. सीनियर ऑफिसर मामले में संदिग्ध पुलिस वालों को डरा धमकाकर कैश वापस दिलाने का प्रेशर डालते रहे. आईजी के ड्राइवर हिमांशु उपाध्याय, दरोगा दिनेश नेगी और घुड़सवार पुलिस के कांस्टेबल महेश को गिरफ्तार करने के बजाय उन पर कैश लौटाने के लिए दबाव बनाते रहे. तीनों ने जब कैश मिलने से ही साफ तौर पर इनकार कर दिया तो अफसरों ने एफआईआर दर्ज करने पर सहमति दी.

आईजी की कार भी होगी जब्त

मामले में आईजी की कार का संदिध्ग फुटेज मिला है. ऐसे में एसआईटी जल्द वारदात में प्रयुक्त वाहन के रूप में आईजी गढ़वाल रेंज को अलॉट सरकारी स्कार्पियो कार को जब्त करने की तैयारी में है. कार को सीसीटीवी फुटेज से मिलान किया जाएगा और साथ ही उसे केस में बतौर एविडेंस यूज किया जाएगा. इस मामले में पुलिस की सुस्ती को लेकर फिलहाल बड़े अधिकारी की कार और स्टाफ का वारदात में नाम आने के कारण मामले को निपटाने की कोशिश हुई, लेकिन इस बीच केस उजागर हो गया और पुलिस के दामन पर लूट जैसा दाग लगता नजर आ रहा है.

कैश को लेकर अभी स्थित साफ नहीं

सरेआम पुलिस द्वारा कार रोककर प्रॉपर्टी कारोबारी का बैग लूटने, वारदात में आईजी को अलॉट सरकारी कार इस्तेमाल होने, एफआईआर दर्ज हो जाने और केस में दिल्ली में एक पूर्व सीएम के बंगले से चुनाव के लिए कैश भेजे जाने समेत तमाम महत्वपूर्ण तथ्य होने के बावजूद अभी यह खुलासा नहीं हो पाया कि बैग में कैश कितना था. एफआईआर दर्ज कराने वाले का कहना है कि उसे प्रॉपर्टी के बदले कैश से भरा बैग दिया गया था, जिसे उसने खोलकर नहीं देखा. संदिग्ध पुलिसकर्मी भी प्रारम्भिक पूछताछ में बैग में कैश नहीं होने की बात कह रहे थे. फरियादी अभी बैग में मौजूद कैश की डिटेल पुलिस और एसटीएफ किसी को नहीं दे पाया. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अािखर बैग में कैश कितना था. था भी या फिर प्रॉपर्टी डीलर को बैग सौंपने से पहले ही पार कर लिया गया.

Posted By: Ravi Pal