- जमीदारों को बना दिया मनरेगा में मजदूर

- रोजगार सेवक ने अपने पूरे परिवार के नाम पर निकाले लाखों रुपये

आगरा। अंधा बांटे रेवड़ी, फिर-फिर अपनों को दे वाली कहावत फतेहपुरसीकरी विकास खंड में चरितार्थ हो रही है। यहां के ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक ने अपने परिवार के सदस्यों को लाभ पहुंचाया है। इन लोगों ने अपने करीबियों के नाम दर्शाकर करोड़ों रुपये योजना के तहत निकाल लिए हैं। जरूरतमंद लोगों को रोजगार नहीं दिया गया।

बहरावती गांव का है मामला

फतेहपुरसीकरी विकास खंड के गांव बहरावती गांव का मामला है। वर्ष 2010 से 15 तक अशोक ग्राम प्रधान थे और रोजगार सेवक मुकेश कुमार। ग्राम प्रधान अशोक कुमार का भाई एमसीआर इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य के तौर पर तैनात हैं। इनका मनरेगा में जॉब कार्ड बनाया गया, और लाखों रुपये इनके खाते से निकाले गए। यही नहीं टै्रक्टर और दस-दस बीघा जमीन वाले अपने रिश्तेदारों को मनरेगा में मजदूर दर्शाते हुए लाखों रुपये उनके नाम पर निकाले गए हैं।

एक व्यक्ति के दो खाते

रोजगार सेवक मुकेश कुमार के बाबा हरी सिंह पुत्र हुकम सिंह हैं। उनकी उम्र करीब 80 वर्ष है। उनके बैंक में दो खाते हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि उनकी उनके पिता के नाम में मात्र सिंह का अंतर है। इस साजिश में बैंक मैनेजर भी शामिल है। एक ही व्यक्ति के दो खाते एक ही ब्रांच में कैसे संभव हैं।

एक करोड़ के करीब निकाले गए रुपये

इस ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना के तहत विभिन्न खातों के द्वारा करीब एक करोड़ रुपये निकाले गए हैं। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि काम मुश्किल से 20 लाख रुपये के हुए होंगे।

इन्हें मिलना चाहिए लाभ

मनरेगा योजना का उद्देश्य गरीब, मजदूर, जिन्हें काम नहीं मिल रहा। रोजगार के साधन नहीं हैं, उन्हें रोजगार दिए जाने का था। लेकिन इस योजना का अपने लाभ के लिए ग्राम प्रधान, सेक्रेट्री और रोजगार सेवकों ने दुरुपयोग किया है। अपने सगे संबंधियों के नाम पर जॉब कार्ड बनवाकर पैसा निकाला गया है। बहरावती गांव में इस योजना का जमकर दुरुपयोग किया गया है।

Posted By: Inextlive