- प्रेमनगर सीएचसी में सीएमएस के आदेश ठेंगे पर

-केवल एक केमिस्ट ही दे सकता है डॉक्टर साहब की लिखी दवा

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के स्टिंग में हुआ खुलासा

DEHRADUN : हर रोज म् से 7 सौ मरीजों का इलाज करने वाला सीएचसी प्रेमनगर इन दिनों दलालों का अड्डा बना हुआ है। निजी पैथोलॉजी लैब के लिए काम करने वाले ये दलाल अक्सर इस अस्पताल के कुछ डॉक्टरों के केबिन में जमे रहते हैं। अस्पताल की सीएमएस भी इस बात को स्वीकार करती हैं कि कुछ डॉक्टरों के बारे में लगातार इस तरह की शिकायतें आई हैं, कई बार वार्निग देने के बाद भी वे अपना रवैया नहीं बदल रहे हैं।

दलाल को बताया प्रशिक्षु

सीएचसी प्रेमनगर के डॉक्टरों की कार्यप्रणाली को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों के बाद बुधवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम सीएचसी पहुंची। एक डॉक्टर की केबिन में एक व्यक्ति काफी देर से बैठा हुआ था। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि वह एक निजी पैथालॉजी लैब के लिए दलाली करता है। आई नेक्स्ट टीम डॉक्टर के केबिन में पहुंची और परिचय दिया तो वह व्यक्ति उठ कर चला गया। जब डॉक्टर से पूछा गया कि ये व्यक्ति कौन हैं, तो डॉक्टर का कहना था कि ये यहां अप्रेंटिस करता है। बाहर आकर उसी व्यक्ति से जब पूछा गया कि वे कौन सी अप्रेंटिस करते हैं तो उसका कहना था कि वह तो निजी लैब में नौकरी करता है। हालांकि बाद में पता चला कि वह निजी लैब में नौकरी नहीं करता, बल्कि डॉक्टर के केबिन से मरीज को एक खास लैब में ले जाता है। इसके लिए उसका कमीशन बंधा हुआ है।

ये कैसी दवाएं?

अस्पताल के बाहर एक महिला दवाइयों के लिए इधर-उधर भटक रही थी। अस्पताल में स्थित जन औषधि केन्द्र में उसने दवाओं के बारे में पूछा तो उसे मना कर दिया गया। दरअसल डॉक्टर ने एक पर्ची में महिला को जो दवाइयां लिखकर दी थी, उन्हें दुनिया में कोई भी व्यक्ति नहीं पढ़ सकता, सिवाए अस्पताल के ठीक बाहर दुकान करने वाल केमिस्ट के। आखिरकार उक्त महिला को भी उसी केमिस्ट के पास वे दवाइयां मिलीं।

एक मरीज की आपबीती

अस्पताल में श्यामपुर निवासी एक व्यक्ति अपनी बेटी को दिखाने अस्पताल लाया था। नाम न छापने की शर्त पर उक्त व्यक्ति ने बताया कि मैं दो-तीन दिन से आ रहा है। पहले दिन डॉक्टर से कुछ टेस्ट लिखे और कहा कि बाहर से करवाओ। डॉक्टर ने अपने पास बैठे एक व्यक्ति को भी मेरे साथ भेज दिया। वह व्यक्ति मुझे एक खास लैब पर ले गया, लेकिन तक तक मेरी समझ में कुछ-कुछ आ गया था। मुझे टेस्ट के लिए 800 रुपये देने को कहा गया, लेकिन मैंने उस लैब से बजाय एक अन्य लैब से म्भ्0 रुपये में टेस्ट करवाया। इसके साथ ही डॉक्टर ने पैरासीटामोल और गैस की दो गोलियां अन्दर से लिखी, जबकि 800 रुपये की बाहर की दवाइयां लिख दी। ये दवाइयां भी जन औषधि केन्द्र में नहीं मिली। मुझे बताया गया है कि ये दवाइयां केवल बाहर की एक खास दुकान पर ही मिलेंगी।

बहुत बुरी हालत

सामाजिक कार्यकर्ता और प्रेमनगर अस्पताल में सुविधाओं के लिए काफी समय तक संघर्ष कर चुकीं तरुण चक्रवर्ती बताती हैं कि अस्पताल की यह हालत देखी नहीं जाती। किसी समय बहुत अच्छा चलता था, लेकिन अब लगातार शिकायतें आ रही हैं। कुछ डॉक्टरों के कारण पूरा अस्पताल बदनाम हो रहा है, जबकि ज्यादातर डॉक्टर अच्छा काम कर रहे हैं। ऐसे डॉक्टरों को तुरन्त हटा दिया जाना चाहिए।

क्या कहते हैं सीएमओ

पीएम दौरे की ड्यूटी पर होने के कारण सीएमओ डॉ। टीसी पंत बुधवार को कार्यालय में नहीं मिले। फोन पर संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि यदि पर्ची पर किसी डॉक्टर ने दवाइयों के नाम स्पष्ट नहीं लिखे हैं तो यह गंभीर मामला है। इस पर्ची की फोटो कॉपी उपलब्ध होने पर नियमानुसार जांच और कार्रवाई की जाएगी।

मुझे भी कुछ डॉक्टरों के बारे में लगातार शिकायतें मिल रही हैं। उन्हें वार्निग भी दी गई है। हालांकि बाहर के लोगों को डॉक्टर के केबिन में बैठना कुछ कम हुआ है। कई तरह से ऐसे डॉक्टरों को समझा चुकी हूं, फिर भी वे नहीं मान रहे हैं। कई मरीज मेरे पास आकर भी शिकायत कर रहे हैं। अब ऐसे लोगों के खिलाफ नियमानु़सार कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। नूतन भट्ट

सीएमएस, सीएचसी प्रेमनगर

Posted By: Inextlive