मंगल ग्रह को लेकर लगातार कई नई नई बाते सामने आ रही है। ऐसे में अब यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी ईएसए ने इसको लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। ईएसए अब 2018 तक यहां पर पानी की खेती करने की तैयारी कर रही है। उसका कहना है कि इसमें उसका हैबिटेट सिस्‍टम काफी मदद गार साबित होगा। हाल ही में मंगल ग्रह पर नमी होने की पुष्‍टि हुई है।

ऐसा पहली बार होगा:
मंगल ग्रह एक सूखा और बंजर ग्रह नहीं रह गया है। अब तक कई वैज्ञानिक इस पर पानी तरल अवस्था में पाए जाने का दावा कर चुके हैं। जिससे उनका कहना है कि मंगल ग्रह पर एक ठंडी सांस लेना काफी आसान हो जाएगा। ऐसे में यूरोपीय स्पेस एजेंसी यानि की ईएसए का कहना है कि वह अपने कारगर सफल हैबिटेट सिस्टम का प्रयोग कर रही है। ऐसे में यहां पर लाल ग्रह पर पानी की खेती शुरू हो जाएगी। ऐसा पहली बार होगा जब यह पर खेती के लिए पानी का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। इस हैबिटेट डिवाइस को यूरोपीय स्पेस एजेंसी के नेतृत्व में वैज्ञानिक जेवियर मार्टिन टॉरिस बना रहे हैं।


कई जांचे की जाएंगी:

इतना ही नही उनका यह भी है कि इसके ऑपरेशन में करीब एक साल का समय आसानी से लग जाएगा। इसमें जमीन से लेकर मंगल ग्रह तक कई बड़े परीक्षणों से गुजरना होगा। जिसमें विज्ञान मंच,लैंडिंग साइट इमेजिंग, जलवायु की निगरानी, वातावरण की जांच जैसे कई जांचे की जाएंगी। इस संबंध में एक्साइटेड वैज्ञानिक मार्टिन का कहना है कि वे सब मिलकर मंगल ग्रह पर हरियाली लाने की कोशिश कर रहे है। उन सबका सपना है कि मंगल ग्रह ग्रीन हाउस बनाए जा सकें। ऐसे उन्हें उम्मीद है कि पानी की खेती शुरू करने के बाद इस दिशा में भी उनको बहुत जल्द ही सफलता मिलेगी।

नासा को मिले सबूत:
गौरतलब है कि मंगल ग्रह पर पानी होने का दावा हाल ही में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा भी कर चुकी है। हाल ही में नासा ने दावा किया था कि इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि गर्मी के दौरान यह पर कुछ ऐसी जगहें दिखीं है जहां पर पानी के सबूत मिले हैं। इतना ही नहीं जितना यहां पर गर्मी बढ़ती है उतनी पानी की धाराएं मोटी दिखती हैं। जिस पर वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे साफ होता है कि मंगल ग्रह पर जीवन की मौजूदगी की संभावनाएं बेहद बढ़ गई हैं। ऐस में अब यूरोपीय स्पेस एजेंसी इस दिशा में और तेजी से काम में लग गई है।

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Posted By: Shweta Mishra