- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से 'सिनेरियो ऑफ हॉयर एजुकेशन इन इंडिया' विषय पर हुआ सेमिनार

- राजधानी के नामी एजुकेशनिस्ट ने रखी अपनी राय

LUCKNOW: बच्चों के साथ पैरेंट्स और टीचर्स को भी ओपन माइंडेड होना होगा। बच्चों पर डॉक्टर या इंजीनियर बनने का दबाव नहीं, बल्कि उनके इंट्रेस्ट के अनुसार अपनी फील्ड को चुनने का मौका देना चाहिए। वहीं टाइम एंड नीड के अनुसार करिकुलम में बदलाव, बच्चों को स्किल अनुसार जॉब ओरिएंटेड बनाना, बदलाव के प्रति अवेयर करना और टीचर्स का भी टाइम टू टाइम ट्रेनिंग आदि बेहद जरूरी है। तभी हम बच्चों को हॉयर एजुकेशन के लिए प्रिपेयर कर सकेंगे। ये बातें गुरुवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ऑफिस में 'सिनेरियो ऑफ हॉयर एजुकेशन इन इंडिया' विषय पर आयोजित सेमिनार के दौरान सामने निकल कर आई, जिसमें दैनिक जागरण आईनेक्स्ट लखनऊ के संपादकीय प्रभारी धर्मेद्र सिंह सहित शहर के नामी एजुकेशनिस्ट मौजूद रहे।

कोट

7. हॉयर एजुकेशन से पहले बच्चों की काउंसलिंग करने की जरूरत है कि उनका ड्रीम क्या है? उस ड्रीम को लेकर क्या करना होगा? उसपर काम करना चाहिए, जिसके बाद उनको बताना चाहिए कि आप हॉयर एजुकेशन में जाकर क्या ऑप्ट कर सकते हैं। इसके बाद आपका ड्रीम सक्सेस हो सकता है। पैरेंट्स की यही डिमांड रहती है कि उनका बच्चा वही करे जो वे चाहते हैं जबकि उनको बच्चों से पूछना चाहिए कि वो क्या करना चाहते हैं। ऐसे में बच्चे के साथ पैरेंट्स की काउंसलिंग कराना बेहद जरूरी होता है ताकि दोनों अवेयर हो सकें कि क्या उनके लिए बेहतर होगा।

- राखी सचान, प्रिंसिपल क्रिएटिव कॉन्वेंट कॉलेज

8. हम लोग पहले 9वीं में सोच पाते थे कि आगे क्या करना है, लेकिन आजकल बच्चों का एक्सपोजर बेहद ज्यादा है। ऐसे में करियर काउंसिलिंग कराने की जरूरत है। आज के करियर कल होंगे या नहीं इस बारे में भी सोचना होगा। समय के अनुसर खुद को अपडेट करने की जरूरत है। 7वीं-8वीं से ही उनको गाइडेंस देने की जरूरत है। बच्चों के साथ पैरेंट्स को भी ओपन माइंडेड होना चाहिए। बच्चों को उनके स्किल के अनुसार प्रिपेयर करना चाहिए। आज जो बदलाव होंगे उसका असर आगे आने वाले समय में पता चलेगा। तबतक खुद और बदलाव होने लगेंगे। ऐसे में वक्त रहते खुद को चेंज करना बेहद जरूरी है।

- रिचा खन्ना, प्रिंसिपल वरदान इंटरनेशनल एकेडमी

9. पैरेंट्स बच्चों पर दबाव डालते हैं कि यही कोर्स तुमको करना है, लेकिन जब काउंसिलिंग कराई जाती है तो उसके इंट्रेस्ट के अनुसार उसको दूसरी फील्ड बताई जाती है। ऐसे में बच्चों को उनके इंट्रेस्ट के अनुसार ही काम करने देना चाहिए। बोर्ड भी समय के साथ अपने सिलेबस में चेंज कर रहा है। इसके साथ पैरेंट्स के लिए भी कई चीजें लेकर आया है। ताकि पैरेंट्स भी समझ सकें कि बच्चे के इंट्रेस्ट के अनुसार क्या उनके लिए बेहतर होगा।

- संजय सिंह तोमर, पीजीटी-केमेस्ट्री डीपीएस जानकीपुरम

समय के हिसाब से बदले कोर्स

1. ज्यादातर कॉलेज केवल मेडिकल या इंजीनियरिंग पर ही फोकस करते हैं जबकि स्टूडेंट्स को दूसरी फील्ड के बारे में भी बताना चाहिए क्योंकि बच्चों के साथ पैरेंट्स को भी अन्य फील्ड के बारे में पता नहीं होता है। अगर हॉयर लेवल से लोवर लेवल को सही गाइडेंस मिले तो बच्चों के लिए बेहतर होगा। इसके साथ समय पर कोर्स को भी अपडेट करने की जरूरत है ताकि बच्चों को समय के अनुसार प्रिपेयर करते हुये जॉब ओरिएंटेड बना सकें।

- योगेंद्र सचान, फाउंडर मैनेजर क्रिएटिव कॉन्वेंट कॉलेज सरोजनीनगर

वोकेशनल कोर्स की ट्रेनिंग होनी चाहिये

2. पैरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा मेडिकल या इंजीनियरिंग करे इसलिए बच्चा उस अनुसार काम करता है, लेकिन टीचर ज्यादा बेहतर तरीके से जानते हैं कि बच्चे की क्या कैपिसिटी है। बच्चे आज भी बीटेक या कॉमर्स के कई सेक्शन के बारे में नहीं जानते हैं। ऐसे में उनकी करियर काउंसिलिंग कराने की जरूरत है। वोकेशनल कोर्सेस की ट्रेनिंग होनी चाहिए ताकि बच्चों की जो स्किल है वह उसके अनुसार काम कर सकें। हॉयर एजुकेशन में जाते समय अपने इंट्रेस्ट के अनुसार कम पढ़ाई करते हुये जॉब हासिल कर सकें।

- चंद्र नारायण चतुर्वेदी, एमएससी एंड पीजीटी, डीपीएस जानकीपुरम

3.

यह भी देखने की जरूरत है कि जो हॉयर एजुकेशन संस्थान है, वो खुद कितना अपडेटेड हैं। लिबर्टी ऑफ वर्क होना चाहिए। एमएचआरडी के अनुसार 15-17 परसेंट बच्चे ही एंप्लायबल है। यानि 85 परसेंट से ज्यादा ऐसे बच्चे हैं, जिनको किसी तरह की कोई जॉब ही नहीं दी जा सकती है इसलिए मुद्दा यह है कि ऐसे कॉलेजों में कमी कहां है, उसको देखना चाहिए। इन जगहों पर जो कोर्स है, वो कैसा डिजाइन किया गया है? क्या वो समय के साथ अपडेट है? क्या वो पढ़ाई कर रहे छात्र को स्किल्ड बनाने में सक्षम है? इन सब बातों पर गौर करने और सुधार करने की जरूरत है।

- डॉ। एलएस अवस्थी, डीन एलपीसीपीएस

4.

जॉब या कंप्टीशन में जाना है तो यह भी देखना चाहिए रोजगार देने की क्षमता स्कूल में है या नहीं। जिन स्किल की जरूरत है, उन स्किल पर फोकस कैसे किया जाये और बच्चे का इंट्रेस्ट क्या है, इसको देखते हुये ही उनकी करियर काउंसिलिंग होनी चाहिए। हमे बच्चों पर ध्यान देना चाहिए कि उनका इंट्रेस्ट क्या है? उसको कैसे डवलप किया जाये, जिससे आगे चलकर वह बेहतर जॉब या आंत्रप्रेन्योर बन सकें। इसके लिए सभी स्कूलों को करियर काउंसिलिंग पर काम करना चाहिए, जिससे बच्चा हॉयर एजुकेशन के लिए जाने से पहले ही तैयार हो सके।

- विजय मिश्रा, मीडिया हेड एलपीएस

5. पैरेंट्स से लेकर स्कूल हर कोई चाहता है कि बच्चा काबिल बने। उसके लिए जरूरत महज पास होने या डिग्री लेने भर की नहीं है। बल्कि रियल टाइम स्किल होने की जरूरत है। स्किल को लेकर गवर्नमेंट की कई योजनाएं हैं, लेकिन हम लोग उसपर कितना फोकस और काम कर रहे हैं इसपर बात करने की जरूरत है। बच्चों के बिहेवियर, सिचुएशन के अनुसार उनका रिस्पांस और प्रेजेंट कैसा है, यह सब देखना चाहिए। बच्चों के साथ पैरेंटस की भी काउंसिलिंग करने की जरूरत है ताकि वो भी अपने बच्चों को बेहतर से समझ सकें।

- नेहा सिंह, डायरेक्टर एकेडमिक्स एंड इनोवेशन एलपीएस ग्रुप

6. बच्चा 12वीं के बाद ऐसे कॉलेज जाता है, जिनका खुद का कोई विजन नहीं होता है। कई कॉलेज ऐसे हैं जो कुछ नहीं कर रहे हैं। ऐसे में इन जगहों पर पढ़ने वाले बच्चों में कोई स्किल नहीं होता है। इससे उसको सही जॉब भी नहीं मिलती है। गवर्नमेंट की कई स्कीम है, लेकिन कितने स्कूलों ने इसपर काम किया? यह भी देखने की जरूरत है। स्कूलों को समय के अनुसार अपना करिकुलम अपडेट करते रहना होगा। मार्केट के अनुसार किस स्किल की जरूरत ज्यादा है उसपर फोकस करना होगा। बच्चों को केवल पढ़ाना भर नहीं है बल्कि उनको ओवरऑल डेवलप करने की जरूरत है।

- डॉ। पुनीत गोस्वामी, प्रोफेसर एसआरएम यूनिवर्सिटी दिल्ली-एनसीआर

Posted By: Inextlive