गंगा के उच्चतम बिंदु से 500 मीटर के दायरे में स्थायी निर्माण पर कोर्ट ने दी अनुमति

निर्माण करा रहे संस्थानों को नोटिस जारी, जवाब दाखिल करने को छह सप्ताह का मौका

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निर्माण कराने वाली संस्था सरकारी हो या प्राइवेट, नियम सबके लिए समान हैं। स्थायी निर्माण गंगा के उच्चतम बिंदु से पांच सौ मीटर के दायरे में प्रतिबंधित है तो बिना नक्शा पास कराये निर्माण कराया कैसे जा सकता है? इस सवाल के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप्र जल निगम के कंस्ट्रक्शन एवं डिजाइन सर्विसेज व शहरी विकास प्राधिकरण को पार्टी बनाने की अनुमति देते हुए नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने बिना अनुमति के स्थायी निर्माण करने पर छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।

चल रहा अखाड़े का निर्माण कार्य

यह आदेश जस्टिस शशिकान्त गुप्ता तथा पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने भालचन्द्र जोशी व 2 अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता वीसी श्रीवास्तव व अन्तरिक्ष वर्मा ने बहस की। याची का कहना है कि अखिल भारतीय श्री पंचनिर्माणी अनी अखाड़ा हनुमानगढ़ी, अयोध्या के महन्त धर्मदास द्वारा गंगा किनारे स्थायी निर्माण कराया जा रहा है। याचिका दाखिल होने पर कोर्ट ने कुंभ मेला प्राधिकरण व एडीए से पूछा था कि गंगा के उच्चतम बाढ़ बिन्दु से 500 मीटर तक निर्माण पर रोक के बावजूद स्थायी निर्माण कैसे किया जा रहा है। प्राधिकरण की तरफ से हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि निर्माण कंस्ट्रक्शन एवं डिजाइन सर्विसेज जल निगम द्वारा कराया जा रहा है। कोर्ट ने शहरी विकास प्राधिकरण व निर्माण एवं डिजाइन सेवाएं जल निगम को याचिका में पक्षकार बनाये जाने की अनुमति देते हुए नोटिस जारी की है।

Posted By: Inextlive