कोरोना वायरस के इलाज को लेकर जिस प्लाज्मा थेरेपी की बात चल रही है। एक स्टडी में खुलासा हुआ कि यह थेरेपी पूरी तरह से सेफ है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।

ह्यूस्टन (पीटीआई) कोरोना वायरस के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी को एक विकल्प माना जा रहा। मगर यह कितनी सुरक्षित है, इसको लेकर अध्ययन किया गया और पाया गया कि इस पद्घति से कोरोना वायरस को हराया जा सकता है। यही नहीं प्लाज्मा थेरेपी के कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं। 28 मार्च को, अमेरिका में ह्यूस्टन मेथोडिस्ट अस्पताल के शोधकर्ताओं ने, कोविड -19 रोगियों को गंभीर रूप से बीमार रोगियों में प्लाज्मा से ट्रांसफ्यूज करने के लिए क्लिनिकल परीक्षण शुरू किया था। द अमेरिकन जर्नल ऑफ पैथोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने इसके परिणामों के बारे में जानकारी दी। जिसमें 25 में से 19 रोगियों में उपचार के साथ सुधार हुआ और 11 को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। हालांकि रिसर्चर्स का कहना है, इस थेरेपी को फुल प्रूफ बनाने के लिए इसका बड़े पैमाने में परिक्षण करना होगा।

पहले भी कई बीमारियों में हुआ प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग

ह्यूस्टन मेथोडिस्ट अस्पताल के सह-लेखक जेम्स मूसर ने कहा, 'दुनिया भर के चिकित्सक कोविड-19 वायरस के खिलाफ नई दवाओं और उपचारों का परीक्षण करने में लगे हैं। इस बीच प्लाज्मा थेरेपी बेहतर विकल्प में हमारे सामने आई है।' वैज्ञानिकों ने उल्लेख किया कि सदियों पुराना चिकित्सीय दृष्टिकोण कम से कम 1918 की शुरुआत में स्पैनिश फ्लू से लड़ने के लिए था। हाल ही में, शोधकर्ताओं ने कहा कि 2003 SARS महामारी, 2009 इन्फ्लूएंजा H1N1 महामारी, और अफ्रीका में 2015 इबोला प्रकोप के दौरान कुछ सफलता के साथ प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग किया गया था।

कैसे काम करती है प्लाज्मा थेरेपी

दिल्ली के मैक्स हेल्थकेयर अस्पताल के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ संदीप बुधिराजा भी प्लाज्मा थेरेपी के पक्षधर रहे हैं। उनका कहना है, 'जब हमारे पास किसी बीमारी का इलाज करने के लिए एक विशिष्ट उपचार नहीं होता है, तो प्लाज्मा थेरेपी ऐसी स्थिति में काफी कारगर साबित होती है। यह जादू नहीं है, लेकिन यह निश्चित रूप से रोगियों की मदद करता है। एंटीबॉडी शरीर में वायरस को मारने या रोकने में मदद करते हैं। बस यही फॉर्मूला कोविड 19 पेशेंट के इलाज में कारगर साबित हो रहा। डॉक्टर कहते हैं, 'हम एक कोरोना पेशेंट (जो स्वस्थ हो चुका है) से प्लाज्मा लेते हैं और इसे एक ऐसे मरीज में इंजेक्ट करते हैं जो गंभीर रूप से बीमार है। प्राप्तकर्ता के शरीर में स्थानांतरित विरोधी शरीर वायरस के भार को कम कर सकते हैं यह रोग की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकता है।'

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari