- गोसाईगंज में कोयला कारोबारी के घर डकैती का मास्टरमाइंड निकला एएसपी क्राइम का गनर

- लूट-खसोट व अपराधियों से मिलीभगत के आरोपों में कई बार भंग हो चुकी है क्राइम ब्रांच

- तमाम बार स्क्रीनिंग के बाद पोस्टिंग के बावजूद खाकी की फजीहत कराने की जिम्मेदार

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LUCKNOW : लखनऊ क्राइम ब्रांच..वर्ष 2000 में जिसका गठन तो हुआ था राजधानी में सक्रिय कुख्यात अपराधियों पर नकेल कसने और संगीन आपराधिक वारदातों का खुलासा करने के लिये पर, इसमें तैनात अधिकारी व कर्मचारी ही अपराध करने में मशगूल हो गए. शनिवार को गोसाईगंज में कोयला कारोबारी के घर डकैती का मास्टरमाइंड एएसपी क्राइम का गनर प्रदीप सिंह भदौरिया निकला. खाकी की कई बार फजीहत कराने की जिम्मेदार क्राइम ब्रांच को छह साल में चार बार भंग किया जा चुका है. भंग होने के बाद हर बार अधिकारी दावा करते हैं कि इस बार इसमें स्क्रीनिंग के बाद ईमानदार व तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों व कर्मियों की तैनाती होगी. लेकिन, इसे क्राइम ब्रांच के माहौल का असर कहें या फिर कुछ और लेकिन, कुछ दिनों बाद ही उसके कई 'तेजतर्रार व ईमानदार' पुलिसकर्मी अव्वल दर्जे के भ्रष्ट और आपराधिक प्रवृत्ति के हो जाते हैं. इसके बाद वे न तो डकैती या लूट की घटना को अंजाम देने से कतराते हैं और न ही अपराधियों से मिलीभगत कर किसी को भी फर्जी ढंग से फंसाने या हत्या करने में. आइए आपको बताते हैं क्राइम ब्रांच कर्मियों की उन करतूतों के बारे में जिन्होंने खाकी को शर्मसार किया-

कई बार करा चुकी है फजीहत

गुटखा कारोबारी को लूटा: 11 मई 2013 को क्राइम ब्रांच में तैनात तीन दारोगा और छह सिपाही बिना किसी अधिकारी को बताए गुडंबा के कुर्सी रोड स्थित अलीगंज निवासी ओम नारायण की गुटखा फैक्ट्री पर छापा मारा. छापेमारी ऐसी मानो कारोबारी ने फैक्ट्री में किसी आतंकी को छिपा रखा हो. क्राइम ब्रांच कर्मियों ने काफी देर तक चली छानबीन के बाद वहां रखे 10 लाख रुपये लूट लिये और फरार हो गए.

पैरोकार को फर्जी मुकदमे में फंसाया: 16 अक्टूबर 2013 को सआदतगंज निवासी श्रवण साहू के बेटे आयुष की ठाकुरगंज बीयर बार में गोली मारकर हत्या कर दी गई. मृतक के पिता श्रवण साहू ने पुलिस के मुखबिर अकील और उसके साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. 10 जनवरी 2017 को क्राइम ब्रांच के दारोगा धीरेंद्र शुक्ला व उनकी टीम ने चार फर्जी शूटरों को पकड़कर बताया कि श्रवण उनके बेटे के हत्यारे अकील की हत्या कराना चाहते थे. तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने जांच कराई तो गुडवर्क फर्जी निकला.

इंस्पेक्टर ने किशोर की कराई हत्या: 29 मई 2013 को इंदिरानगर के फरीदीपुर में 14 साल के छात्र माज की अज्ञात शूटरों ने हत्या कर दी. पुलिस ने पांच शूटरों को अरेस्ट करते हुए केस का खुलासा किया तो सभी हैरान हर गए. यह हत्याकांड क्राइम ब्रांच में तैनात इंस्पेक्टर संजय राय ने कराया था. दरअसल, वह मारे गए किशोर की रिश्तेदार से इश्क करता था. लेकिन, वह युवती दूसरे युवक से प्रेम करने लगी थी. प्लान था कि इस हत्या का केस युवती के प्रेमी पर खोलकर अपना रास्ता क्लियर कर लिया जाए.

एएसपी क्राइम का स्टेनो असलहा तस्कर: 20 अगस्त 2016 को हसनगंज पुलिस ने अवैध असलहों के तस्करों की मौजूदगी की सूचना पर गुलजार साहब की मजार के पास छापा मारा. पुलिस ने मौके से एक संदिग्ध को दबोच लिया जबकि, उसका साथी फरार हो गया. पुलिस ने उसके कब्जे से एक रिवॉल्वर .32 बोर व तीन कारतूस बरामद किये. पूछताछ में पता चला कि उसका नाम खदरा निवासी जयनारायण अवस्थी है और वह एएसपी क्राइम का स्टेनो है. तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने उसे अरेस्ट कर जेल भेजने का आदेश दिया.

दोषी कर्मियों से ज्यादा मॉनीटरिंग करने वाले अधिकारी जिम्मेदार

पूर्व डीजीपी एके जैन कहते हैं कि क्राइम ब्रांच का काम अपराध व अपराधियों पर नकेल कसने का होता है. लेकिन, अगर क्राइम ब्रांच कर्मी ही अपराध में लिप्त हो जाएं तो यह बेहद गंभीर बात है. उन्होंने कहा कि ऐसी सूरत में वे उन दोषी पुलिसकर्मियों की जगह उनकी मॉनीटरिंग के जिम्मेदार अधिकारियों को दोषी मानते हैं. अगर इन कर्मियों की मॉनीटरिंग सही तरीके से हो तो उनकी हिम्मत नहीं कि वे कोई भी गलत काम कर सकें. पूर्व डीजीपी जैन आगे कहते हैं कि क्राइम ब्रांच के पास ज्यादा पावर होती है, वह पूरे जिले में कहीं भी किसी पर भी कार्रवाई कर सकती है. ऐसी स्थिति में अधिकारियों को क्राइम ब्रांच में तैनात कर्मियों पर गहन और विशेष नजर रखनी चाहिये. उन्होंने कहा कि एक तय अवधि के बाद क्राइम ब्रांच में नियमित छंटनी करनी चाहिये और नये पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग करनी चाहिये. लंबे समय तक टिकने की वजह से भी इन कर्मियों ने लालच के चलते अपराध की प्रवृत्ति बढ़ती है.

कब-कब भंग हुई क्राइम ब्रांच

- 2017 में एसएसपी दीपक कुमार ने क्राइम ब्रांच को भंग किया

- 2016 में एसएसपी राजेश पांडेय ने भी क्राइम ब्रांच को भंग कर दिया

- 2015 में तत्कालीन आईजी जकी अहमद ने अपराधियों से मिलीभगत के चलते भंग किया

- 2013 में एसएसपी जे. रवींद्र गौड ने क्राइम ब्रांच को भंग किया

क्राइम ब्रांच पर लगते रहे आरोप

-अपराधियों को संरक्षण देना

-अपराधियों के लिये मुखबिरी करना और वसूली करना

-दबिश के नाम पर लूटपाट करना

-अपराधियों के साथ मिलकर किसी को भी फर्जी मुकदमे में फंसा देना

-संगीन वारदातों का खुलासा करने के बजाय वसूली करना

Posted By: Kushal Mishra