-डेढ़ घंटे बाद शुरू हुआ तड़पते पिता और बेटियों का इलाज

दीपक के परिजनों का आरोप है कि जहर की वजह से तड़प रहे बाप और बेटियों को रात साढ़े तीन बजे मारवाड़ी अस्पताल ले गए. यहां उनका इलाज करने की बजाय एसएसपीजी मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा भेज दिया गया. परिवार के सदस्य गोलू जायसवाल और अभिषेक गुप्ता ने बताया कि कबीरचौरा पहुंचे तो कोई डॉक्टर पहले सामने नहीं आया, फार्मासिस्ट और वॉर्ड ब्वाय ही इलाज करते रहे. फिर बाद में एक चिकित्सक आया तो ड्रिप और इंजेक्शन दे दिए. सुबह चार से छह बजे तक यही प्रकिया चली. जब दीपक का शरीर ठंडा पड़ने लगे तो डॉक्टर बीएचयू ट्रामा सेंटर ले जाने की बात कहने लगे. ट्रामा सेंटर पहुंचने पर सुबह साढ़े सात बजे सभी ने दमतोड़ दिया. परिजनों का आरोप है कि करीब डेढ़-दो घंटे तक मंडलीय हॉस्पिटल में बेहतर इलाज मिलता तो शायद बाप और बेटियों की जान बच जाती.

वॉर्ड ब्वाय करते हैं इलाज

आंखों में गम और सिस्टम के खिलाफ गुस्से से उबाल में रहे लोगों का कहना है कि मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा के इमरजेंसी वॉर्ड में जाइए तो चिकित्सक से पहले फार्मासिस्ट, वॉर्ड ब्वाय से सामना होता है. पहले तो कोशिश करेंगे कि दवा देकर छोड़ दे लेकिन यदि कोई बहुत गंभीर है तो तुरंत पानी चढ़ाकर इंजेक्शन ठोक देंगे. दोबारा यह भी देखने कोई नहीं आता है कि ड्रिप चल रहा है या बंद है. इमरजेंसी वॉर्ड की हालत चिंताजनक है.

Posted By: Vivek Srivastava