- पूरी रात नहीं सोए थे अवधेश, रात भर जग कर लिखा था सुसाइड नोट

ठेकेदार अवधेश श्रीवास्तव ने खुद को खत्म कर लेने का फैसला मंगलवार की रात में ही कर लिया था। पीडब्ल्यूडी से बकाया साढे़ चार करोड़ रुपये नहीं मिलने से सिर पर मैटेरियल्स वालों का कर्ज, सूदखोरों का ब्याज और परिवार चलाने की चिंता ने अवधेश को अंदर से एकदम तोड़ दिया था। छह माह से बकाये के भुगतान को लेकर अवधेश चीफ इंजीनियर से लेकर एक्सईएन और एई तक का चक्कर लगाकर थक गये थे। मगर, किसी का दिल नहीं पसीजा। यह सब फेस करने के बाद डिप्रेशन में आकर अवधेश ने रात में छह पन्नों का सुसाइड नोट लिखा। मोबाइल में सुसाइड पन्नों की फोटो भी खींची थी। रात भर बैचेन रहे, खाना भी नहीं खाया था।

सुसाइड की दी थी चेतावनी

बुधवार की सुबह उठे और पूजा-पाठ करने के बाद अपनी गाड़ी से सीधे पीडब्ल्यूडी ऑफिस पहुंचे। यहां एक्सईन और फिर चीफ इंजीनियर से मिले। बकाया भुगतान को लेकर एक बार फिर चीफ इंजीनियर अंबिका सिंह से बात कर एक्सईएन व एई पर पेमेंट पास नहीं करने की शिकायत भी की। चीफ इंजीनियर अंबिका सिंह को चेतावनी भी दिया कि यदि बकाया नहीं मिला तो सुसाइड कर लुंगा। लेकिन इस बात को चीफ इंजीनियर ने गंभीरता से नहीं लिया। आखिरकार आजिज अवधेश ने अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर निकाली और चीफ इंजीनियर के सामने खुद को कनपटी पर सटाकर गोली मार ली।

पन्नों में लिखा कमीशनखोरों का नाम

मरने से पहले अवधेश श्रीवास्तव ने पीडब्ल्यूडी में करप्शन की पोल भी खोली। सुसाइड नोट में लिखा कि कबीरचौरा महिला अस्प्ताल का कार्य कराने के दौरान नक्शे को कई बार बदलकर काम कराने का दबाव बनाया जाता था। एक ही काम को तोड़फोड़ कर कराया जाता था और उसके भुगतान के लिए परेशान किया जाता था। इसमें अवर अभियंता मनोज सिंह व सहायक अभियंता आशुतोष सिंह पर लगातार दबाव बनाने और कमीशनखोरी का भी सुसाइड नोट में जिक्र किया है।

कार्य का नहीं होता था इंस्पेक्शन

सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि पीडब्ल्यूडी के अधिकारी कार्य का इंस्पेक्शन तक नहीं करते थे। लिखा कि अस्पताल निर्माण के दौरान अनुबंध में सरिया की क्वांटिटी 6300 कुंतल के जगह 28 अगस्त तक माप पुस्तिका पर कोई मापी नहीं चढ़ाई गई और दबाव बनाकर केवल बिल फार्म पर हस्ताक्षर कराकर भुगतान किया जाता रहा और भुगतान होता था जब मैं आर्थिक तंगी में रहता था। इसकी सूचना चीफ इंजीनियर, एक्सईएन सहित अन्य अधिकारियों को भी दी। लेकिन अधिकारियों को तो सिर्फ अपने कमीशन से ही मतलब रहा। मेरे ही तरह अन्य और भी कई ठेकेदार हैं, जो इन अधिकारियों से पीडि़त हैं।

Posted By: Inextlive