वाहन चेकिंग करने वाले जवान सुनते हैं खरी-खोटी के साथ धमकियां

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियलिटी चेक में सामने आई हकीकत

PRAYAGRAJ: क्या बात है बताओ स्टाफ का आदमी हूं, गाड़ी बड़ा-बड़ा लिखा है, दिखाई नहीं देता क्या? दूसरे सज्जन, हाईकोर्ट में वकील हूं, सोच समझ कर रोका करो समझे?, तीसरे शख्स, हेलमेट कहां है? के जवाब में, दूर से बात करो जवान, हेलमेट कहां हैंजवाब, विधायक जी ने तुरंत बुलाया तो जल्दबाजी में भूल गए। कोई दिक्कत? जवान, चालान होगा? जवाब, बेटा दो मिनट में वर्दी उतर जाएगीसमझे, चालान करेंगे। जवान बोला, सर मैं तो आप सबकी सुरक्षा व सरकार के नियम का ही पालन कर रहा हूं? हां तो, मैं भी सरकार का आदमी हूं चलो हटो यह तो सिर्फ एक उदाहरण हैं। चौराहों पर वाहन चेकिंग कर रहे ट्रैफिक के जवानों को इस तरह की खरी-खोटी व धमकियां रोज सुनने को मिलती हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने रियलिटी चेक किया तो यह हालात सामने आए।

देखते ही सकपका गए जवान

म्योहाल चौराहे पर शाम करीब पांच बजे वाहन चेकिंग कर रहे जवानों के पास रिपोर्टर जाकर खड़ा हो गया। ट्रैफिक के जवान गाडि़यां रोक कर चेकिंग में मशगूल रहे। इस बीच तमाम ऐसे गाड़ी चालक नजर आए जिनका लहजा जवानों के साथ पढ़े लिखे शख्स व इंसानियत वाला बिल्कुल नहीं रहा। आधे घंटे में करीब एक दर्जन लोगों की गाडि़यों को जवानों ने चेकिंग के लिए रोक लिया। इनमें आधा दर्जन से अधिक बाइक चालक ट्रैफिक पुलिस पर अपने पद व रसूल का धौंस जमाते नजर आए। विभागीय नियम व रूल्स से बंधे जवान उन्हें सर, सर करते धौंस सुनते रहे।

दर्द है, चुभन है पर खमोशी है

उनकी धौंस व खरी-खोटी सुनने के बावजूद ट्रैफिक के जवानों का पेशेंस काबिले तारीफ दिखा। रिपोर्टर सब कुछ चुपचाप सुनता व देखता रहा। चेकिंग की तस्वीर खींचते देख एक जवान बोला आप फोटो क्यों खींच रहे हैं? मकसद बताने पर वह सकपका गया। उससे कुछ सवाल भी किए गए। पहले तो वह कुछ बोलने को तैयार न हुआ। धोबी घाट पर भी कुछ ऐसे ही हालात नजर आए। यहां एक जवान से रिपोर्टर ने बात की। पहले तो कुछ बोलने से कतराता रहा, फिर नाम न छापने की शर्त पर बोला। कहा भाई यकीन मानिए परिवार पालने की जिम्मेदारी न होती तो नौकरी छोड़ देता। लोग ऐसी ऐसी बातें बोलते हैं कि कलेजा फट जाता है।

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जवानों के जेहन में डर ही डर

आठ घंटे की ड्यूटी सिर्फ कहने की है, जवान रोज दस-दस घंटे की नौकरी करते हैं

पानी पीने भी चले गए और गुजर रहे साहब को न दिखे तो कार्रवाई का डर है

रोकने के लिए हाथ देने पर भागने वाले गाड़ी चालकों से एक्सीडेंट का डर

चौराहों पर रेड लाइट देखने के बावजूद रूल्स तोड़ने वालों को रोकने पर गाड़ी चढ़ा कर भागने का डर

चौराहों पर गाडि़यों के धुएं व धूल व धूप से बीमार होने का डर

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ऐसे में कैसे सुधरेगी व्यवस्था

चौराहों पर लगी रेड लाइट जलने के बावजूद रुकने के बजाय गाड़ी लेकर भागने वालों पढ़े लिखे व समझदारों की संख्या ज्यादा रही

ट्रैफिक जवानों के टोकने या रोकने पर झगड़े भी ऐसे लोग ही सबसे ज्यादा किए

रेड लाइन पर एक के पीछे एक गाड़ी लगाने के बजाय पहले से खड़ी गाड़ी के बगल या आगे जाने की आदत

Posted By: Inextlive