RANCHI:शहर में लगातार व्यवसायियों से मोबाइल पर रंगदारी मांगने के मामले सामने आ रहे हैं। कई मामले तो पुलिस के पास आने से पहले रंगदारी भुगतान से सेटल किए जा रहे हैं। पुलिस की जांच में जो चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं उसके अनुसार कई मामलों में यह रंगदारी जेल के भीतर से मांगी गयी है। पुलिस ने अहले सुबह जेलों में छापामारी भी की लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। वहीं स्पेशल ब्रांच ने भी रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि जेल के भीतर से कई अपराधियों का बेखौफ रंगदारी नेटवर्क चल रहा है। कुख्यात अपराधी अनिल शर्मा द्वारा जेल से मोबाइल पर कॉल कर कारोबारियों से रंगदारी मांगने के मामले में पुलिस और जेल प्रशासन आमने-सामने हो चुका है।

दो एजेंसियों को नकारा जेल प्रशासन ने

झारखंड पुलिस की दो स्पेशल जांच एजेंसी विशेष शाखा और सीआईडी दोनों विभागों ने अनिल शर्मा की गतिविधियों नजर रखते हुए रिपोर्ट की है कि अनिल शर्मा जेल से रंगदारी नेटवर्क चला रहा है। दुमका जेल में बैठ कर रेलवे के ठेकों के लिए अनिल शर्मा रंगदारी मांगता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए रांची पुलिस ने अनिल शर्मा के गुर्गे डब्लू शर्मा को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा था।

क्या कहता है जेल प्रशासन

अब पूरे मामले में दुमका जेल प्रशासन ने एक जांच कर रिपोर्ट दुमका एसपी व गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग को भेजा है। इसमें अनिल शर्मा को जेल प्रशासन ने क्लीन चिट दे दी है। रिपोर्ट में लिखा है कि अनिल शर्मा को सुरक्षा कारणों से 23 जुलाई 2017 को हजारीबाग से दुमका जेल लाया गया था। यहां उसे कारा प्रकोष्ठ में रखा गया है, जहां विशेष चौकसी होती है।

जेल बूथ की रिकार्डिग का दावा

दुमका जेल प्रशासन का दावा है कि जेल के बूथ से अनिल शर्मा अपने परिजनों से घरेलू बातचीत भर करता है। इसकी रिकार्डिंग भी सुनी जा सकती है। इस रिकार्डिंग में धमकी दिए जाने संबंधी कोई बात नहीं है। जेल अधीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जब इस संबंध में अनिल शर्मा से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उसके असमय कारा मुक्ति का मामला हाईकोर्ट एवं राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद के समक्ष है। ऐसे में वह कोई गलती नहीं कर सकता।

जेल से खूब चल रहे मोबाइल फोन

राज्य पुलिस की विशेष शाखा और सीआईडी को जानकारी मिली है कि जेल में बंद कई अपराधी धड़ल्ले से मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन्हीं मोबाइल के जरिए रंगदारी मांगने से लेकर गैंग को कंट्रोल करने तक का काम मैनेज किया जाता है। दुमका जेल में जांच के लिए एसडीपीओ पूज्य प्रकाश को भेजा गया था। जांच में पूज्य प्रकाश ने पाया था कि जेल में अबतक टू जी जैमर ही लगे हैं। ऐसे में अपराधी आसानी से थ्री जी और फोर जी नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। यही वजह है कि जैमर को अपग्रेड करने की सिफारिश भी एसडीपीओ ने की थी।

वर्जन

जेल प्रशासन किसी तरह की चूक नहीं करता। राज्य के जेलों में कई गंभीर मामलों के अपराधी बंद हैं। जेल मैनुअल के अनुसार सारी व्यवस्था का कड़ाई से पालन किया जाता है।

दीपक विद्यार्थी। जेल डीआईजी

Posted By: Inextlive