- चालान के डर से दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु से भी डीएल बनवाने आ रहे लोग

- आरटीओ से जल्दी डीएल बनवाने की लगा रहे गुहार

GORAKHPUR: पूरे देश में चालान को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। सोशल मीडिया से लेकर व्हाट्सएप ग्रुप तक में इसी के चर्चे हो रहे हैं। गोरखपुर आरटीओ ऑफिस में तो अचानक इतनी भीड़ उमड़ गई है कि उन्हें समझाने में अधिकारियों के भी पसीने छूट रहे हैं। आरटीओ में इस समय डीएल बनवाने के लिए लंबी-लंबी लाइनें देखने को मिल रही हैं। इसमें वह लोग भी हैं जो बाहर शहरों में नौकरी या फिर कारोबार करने वाले हैं और डीएल बनवाने घर आए हैं। बाहर से आए लोग आरटीओ से जल्दी प्रोसेस पूरा करने की गुहार लगा रहे हैं ताकि फिर वापस जा सकें।

स्मार्ट कार्ड वाला डीएल ही मान्य

दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु समेत अन्य बड़े शहरों में रहने वाले अधिकतर लोग आज भी कागज वाला लाइसेंस लेमिनेट कराकर काम चला रहे हैं। जबसे सख्ती बढ़ी है तब से उन्हें भी ये डर सता रहा है कि कागज वाले डीएल से कहीं चालान न कट जाए। इस वजह से वे अपना कामकाज छोड़कर घर वापस केवल इसलिए आ रहे हैं कि उन्हें डीएल बनवाना है।

रिश्तेदारों को भेज रहे फोटो

कई लोग तो बाहर से अपने रिश्तेदारों को फोटो भेज रहे हैं, जिससे उनका डीएल जल्दी बन जाए। लेकिन जब उन्हें ये पता चल रहा है कि अब बिना आए डीएल बन ही नहीं सकता तब वे निराश होकर घर वापसी की तैयारी कर रहे हैं। इन्हीं सब वजहों से इस समय आरटीओ कैंपस में इतनी भीड़ हो रही है कि गाड़ी खड़ी करने के लिए भी जगह नहीं बच रही।

पॉल्युशन सर्टिफिकेट लगा रहा जाम

अभी तक पॉल्युशन सर्टिफिकेट को जरा भी अहमियत नहीं देने वाले लोग लाइन लगाकर वाहनों की जांच करवा रहे हैं। आरटीओ ने तीन एजेंसियों को पॉल्युशन सर्टिफिकेट बनाने के लिए ऑथराइज किया है। हालत ये है कि तीनों एजेंसियां आरटीओ ऑफिस के पास आ गई हैं। सड़क पर पॉल्युशन जांच होने की वजह से दिनभर आरटीओ रोड पर जाम लगा रह रहा है।

हैलो, आरटीओ के बाबू बोल रहे हो

आरटीओ प्रशासन श्याम लाल ने बताया कि इस समय क्वेरी करने के लिए दिनभर तो कॉल्स आ ही रही हैं, रात में भी लोग परेशान कर रहे हैं। एक दिन कॉल आई तो उधर से एक शख्स ने बोला कि आरटीओ के बाबू बोल रहे हो ऑफिस कितने बजे खुलता है और कितने बजे बंद होता है ऐसे तमाम सवाल लोग पूछ रहे हैं।

फैक्ट फिगर

डीएल के लिए पहले डेली आते थे लोग - 300-400

अब डीएल के लिए आ रहे लोग - 500-600

कोट्स

मैं गुरुग्राम में प्राइवेट कंपनी में काम करता हूं। छुट्टी जल्दी मिलती नहीं है लेकिन पुराना कागज वाला लाइसेंस है। इससे काम नहीं चलेगा। इसलिए स्मार्ट कार्ड वाला लाइसेंस बनवाने आया हूं।

सत्येंद्र सिंह

मैं हैदराबाद में जॉब करता हूं। वहां मेरा डीएल बन नहीं सकता है इसलिए गोरखपुर अपने घर वापस आया हूं ताकि डीएल बन सके।

विनोद साहनी

वर्जन

इस समय तो डीएल के लिए भीड़ बढ़ गई है। बाहर रहने वाले लोगों को भी अब डीएल की याद आई है। वो चाह रहे हैं कि जल्दी बन भी जाए।

- श्याम लाल, आरटीओ प्रशासन

Posted By: Inextlive