- अष्टमी से शुरू हुआ कन्या पूजन का दौर

- नवरात्रि पर कन्या पूजन से मिलता है विशेष लाभ

ALLAHABAD: नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। वैसे तो पूरे नवरात्र कन्या पूजन करने का विधान है। लेकिन, सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन घर-घर कन्या पूजन किया जाता है। संडे को सप्तमी से शुरू हुआ कन्या पूजन का सिलसिला नवमी तक जारी रहेगा। कन्या पूजन को लेकर ज्योतिषाचार्य पं। आदित्य कीर्ति त्रिपाठी बताते हैं कि इसमें संख्या और उम्र का भी विशेष महत्व है।

पूजन विधि

कन्या या कंजक पूजन में साम‌र्थ्य के अनुसार इन नौ दिनों तक अथवा नवरात्रि के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित किया जाता है। एक से दस वर्ष तक की कन्याओं का पूजन किया जाता है। कन्याओं की संख्या नौ हो तो उत्तम है नहीं तो कम से कम दो कन्या तो अवश्य होनी ही चाहिए।

विशेष है अष्टमी में कन्यापूजन

नवरात्र में प्रतिदिन कन्या पूजन का विधान है, कुछ लोग नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। लेकिन, अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। अष्टमी को कन्या पूजन में कन्याओं की संख्या नौ हो तो अति उत्तम है यदि नौ कन्या न हों तो दो कन्या का पूजन फलदायक होता है।

सप्तमी पर मां कालरात्रि स्वरूप के हुए दर्शन

संडे को नवरात्र की सप्तमी पर सिटी के देवी मंदिरों में मां शक्ति के कालरात्रि स्वरूप का श्रृंगार किया गया। श्री ललिता कल्याण समिति की ओर से भी मां ललिता देवी का कालरात्रि रूप में भव्य श्रृंगार किया गया। इस दौरान देर रात क्ख् बजे मंदिर में त्रिकाल आरती का आयोजन भी हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए। उधर कल्याणी देवी मंदिर में भी मां का कालरात्रि स्वरूप में श्रृंगार किया गया। यहां भी सुबह से भक्तों की भारी भीड़ मां के दर्शन को पहुंची। ये सिलसिला देर रात तक चलता रहा।

Posted By: Inextlive