-राष्ट्रीय शिल्प मेले में आंचलिक लोक संस्कृति के संगम ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

-देर शाम तक लोक कलाओं की प्रस्तुति से रौशन रहा मुक्ताकाशी मंच

ALLAHABAD: उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र में चल रहे राष्ट्रीय शिल्प मेले में शुक्रवार को शापिंग के लिए पहुंची पब्लिक ने कथक के साथ लावणी और घूमर को भी एंज्वॉय किया। देश के अलग-अलग राज्यों के आंचलिक लोक संस्कृति की झलक ने दर्शकों को बांधे रखा। दिल्ली से आयी अनु सिन्हा द्वारा कथक की प्रस्तुति को देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

विष्णु आराधना से शुरुआत

अनु सिन्हा ने शिव के नटराज स्वरूप को समर्पित वंदना नमामि शम्भो से अपनी प्रस्तुति का आगाज किया। उसके बाद उन्होंने शांताकारं भुगजशयनं पद्मनाभं सुरेशम् के जरिए भगवान विष्णु की वंदना की प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति के दौरान मणिपुर के कलाकारों द्वारा पेश किए गए लोक नृत्यों ने रोमांच और कठिन प्रशिक्षण के मिश्रण को लोगों के सामने पेश किया। दर्शकों ने तालियां बजाकर लोक कलाकारों का उत्साह बढ़ाया। मणिपुर के कलाकारों ने ढोल चोलम नृत्य के जरिए ढोल वादन की तीव्रता, लयात्मकता की शानदार प्रस्तुति की। इसके बाद राजस्थान के कलाकारों द्वारा कॉमण समुदाय की महिलाओं द्वारा बाबा रामदेव की आराधना में किए जाने वाले तेराताली नृत्य की प्रस्तुति दी। हरियाणवी युवतियों द्वारा घूमर नृत्य की प्रस्तुति पर दर्शकों ने भी तालियां बजाकर उनका साथ दिया। बिहार के कलाकारों द्वारा झिझिंया, तमिलनाडु के लोक कलाकारों द्वारा कावड़ी कड़गम, महाराष्ट्र की लोक संस्कृति में बसे लावणी नृत्य और पश्चिम बंगाल के छाऊ नृत्य की प्रस्तुतियों को भी दर्शकों ने खूब सराहा। एनसीजेडसीसी के डायरेक्टर गौरव कृष्ण बंसल ने राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत पुतुल दास को सम्मानित किया। पुतुल दास धान के आभूषण बनाने के सिद्धस्त शिल्पकार हैं।

Posted By: Inextlive