सोचिएगा जरूर

टेक्नोलॉजी का प्रभाव बढ़ने के साथ उसका यूज भी खूब होने लगा है। हाईटेक सिस्टम से जहां पब्लिक की सहूलियत बढ़ी है। वहीं, इसके इस्तेमाल में मामूली सी लापरवाही बड़े नुकसान का सबब बन सकती है। ऑनलाइन सिस्टम का यूज करते समय किसी ने यह नहीं सोचा था कि सहूलियत भी मुसीबत बन जाएगी। पहले लोगों के जेब में रखी नकदी लूटने के लिए उचक्के बदमाश हथियार चलाते थे। आज भी चोर-उचक्के और बदमाश लोगों को लूटपाट का शिकार बना रहे। बस, फर्क सिर्फ इतना है कि उनका तरीका बदल गया है। अब पढ़े-लिखे तकनीकी के जानकार शातिर लोगों को चपत लगा रहे हैं। ऐसी घटनाओं के सामने आने पर एफआईआर दर्ज कर पुलिस कार्रवाई कर रही है। जरा सोचिए कि क्या हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती है, जो इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए खुद सावधानी बरतें। यदि हम अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे। लापरवाही पूर्वक ऑनलाइन सिस्टम का यूज करते रहेंगे तो ऐसे में साइबर जालसाज रुपए लूटते रहेंगे। ऐसे में सोचिएगा जरूर।

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साइबर क्रिमिनल पब्लिक को परेशान कर रहे हैं। पब्लिक की बढ़ती जा रही शिकायतों से पुलिस भी हैरान-परेशान हैं। शहर में रोजाना चार से पांच मामले साइबर ठगी के सामने आ रहे हैं। ऑनलाइन फ्राड करने वालों के चक्कर में पड़कर रोजाना लोग अपनी मेहनत की कमाई गंवा रहे हैं। ऐसे में जितनी घटनाएं हो रही हैं उनकी अपेक्षा बदमाशों को पकड़ने, रुपए की रिकवरी कराने में पुलिस टीम कार्रवाई नहीं कर पा रही। एटीएम पिन-पासवर्ड बदलने से लेकर ऑनलाइन शापिंग एप्स के जरिए क्राइम बढ़ता जा रहा है। किसी प्रतियोगिता में ईनाम जीतने, लकी ड्रा में वाहन निकलने, फ्री में किसी अन्य सुविधा का लाभ देने के बहाने जालसाज लोगों को चूना लगा रहे। फर्जी एप्स और चेकबुक के इस्तेमाल भी ठगी के लिए हो रहे हैं। हालत यह है कि इसकी जानकारी होने तक लोगों की रकम हवा हो चुकी होती है।

साइबर क्राइम से बचने के हैं उपाय

-बैंक की तरफ से कभी कोई डिटेल नहीं मांगी है। इसलिए फोन पर कोई जानकारी न दें।

-एटीएम पिन का पासवर्ड, ओटीपी सहित अन्य जानकारी किसी को न दें।

-इंटरनेट पर कोई भी ऐसा लिंक क्लिक न करें जो संदिग्ध हो।

-ऑनलाइन बुकिंग के दौरान फेमस और प्रचलित एप्स का यूज करें।

-एटीएम में कार्ड यूज करते अलर्ट रहें। किसी से मदद न मांगे। कार्ड के जगह की जांच करें।

- एटीएम में स्कैमर लगाकर जालसाज लोगों की डिटेल चुरा लेते हैं।

-किसी तरह की लाटरी, पुरस्कार के चक्कर में पड़े। इस बात का ध्यान रखें कि कोई चीज फ्री में नहीं मिलती।

-ऑनलाइन शापिंग एप के जरिए खरीदारी के पूर्व पूरी जांच पड़ताल करें। सामान नकद खरीदने की कोशिश करें।

-सर्च इंजन पर किसी तरह किसी तरह के कस्टमर केयर नंबर का फर्जीवाड़ा हो सकता है। इसलिए इसका इस्तेमाल सावधानी से करें।

हाल के दिनों में सामने आए मामले

22 सितंबर: सिविल लाइंस में रहने वाले सूरज निषाद के एकाउंट से जालसाजों ने 98720 रुपए निकाल लिए थे।

20 सितंबर: कैंट एरिया में रहने वाले छात्र को आनलाइन व्हीकल बेचने का झांसा देकर 24 हजार रुपए की ठगी।

16 सितंबर: कोतवाली के हजारीपुर के निवासी सुरेश जायसवाल को झांसा देकर 15 हजार का चूना लगाया।

17 जुलाई: आरपीएफ के आईजी की बेटी को झांसा देकर जालसाजों ने पांच हजार रुपए ट्रांसफर कर लिए।

थानों पर अलग से बनेगी पुलिस की टीम

साइबर फ्राड के बढ़ते मामलों को देखते हुए थानों पर इसके निस्तारण का इंतजाम किया जा रहा है। जिला स्तर पर बनी साइबर सेल अब गंभीर अपराधों ई कामर्स, फेक ट्विटर हैंडल, लॉटरी, वेबसाइट डिफेसमेंट, डेटा थेप्ट जैसे क्राइम की जांच करेगी। इसके लिए नए सिरे से थाना स्तर पर भी एक साइबर क्राइम टीम बनाई जाएगी। इसमें एक इंस्पेक्टर, एक एसआई, दो हेड कांस्टेबल शामिल होंगे। इस टीम की जिम्मेदार होगी कि एटीएम, क्रेडिट कार्ड और ई वालेट फ्राड से जुड़े मामलों को सुनकर विवेचना करेगी। जबकि जोन स्तर पर बनी टीम के जिम्मे डेटा थेप्ट, रैंसमवेयर, विटक्वायन, डार्क वेब, साइबर आतंकवाद, एक्सटार्शन जैसे गंभीर मामलों की विवेचना होगी। जोन स्तर पर इनविस्टीगेशन और सपोर्ट टीम होगी। इसमें एक इंस्पेक्टर, एक एसआई और दो हेड कांस्टेबल शामिल होंगे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जिले के 10 थानों कैंट, गुलरिहा, खोराबार, शाहपुर,चिलुआताल, कोतवाली, गोरखनाथ, गोला, पिपराइच, बड़हलगंज में नई व्यवस्था बनाई जाएगी।

वर्जन

साइबर क्राइम रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। पब्लिक को बताया जा रहा है कि किसी तरह के लालच में आने से बचें। सावधानी बरतकर इससे बचाव किया जा सकता है। साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए पुलिस की टीम भी बढ़ाई जा रही है।

प्रवीण सिंह, सीओ क्राइम

Posted By: Inextlive