- साइबर ठगी के मामलों को टरका नहीं पाएंगे थानेदार

- डीजीपी ने जारी किया निर्देश, पीडि़तों की मदद करेगी पुलिस

GORAKHPUR: साइबर ठगी के मामलों में पीडि़तों को थाने का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। मुकदमा दर्ज करने से बचने के लिए पुलिस किसी मामले में टालमटोल नहीं कर सकेगी। घटनास्थल वाले थाना पर जाकर एफआईआर दर्ज कराने की सलाह देना पुलिस कर्मचारियों पर भारी पड़ेगा। साइबर जालसाजी के मामलों में टालमटोल को देखते हुए डीजीपी ने पीडि़त के निवास स्थान वाले पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है। नए निर्देश से थानेदारों में हड़कंप मचा हुआ है। क्राइम का ग्राफ बढ़ने की आशंका स्टेशन अफसर को सताने लगी है।

किसी से पूछा पिन तो किसी का बदला एटीएम कार्ड

कैशलेश सिस्टम में ज्यादातर लोग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने लगे हैं। पब्लिक के ऑनलाइन यूज के हिसाब से जालसाजी के मामलों में इजाफा हुआ है। जिले में हर महीने साइबर ठगी के तीन से चार मामले सामने आते हैं। नौ माह में करीब 60 से अधिक केसेज की जांच में क्राइम ब्रांच की साइबर सेल जुटी है। 15 दिन पूर्व शाहपुर पुलिस ने एटीएम कार्ड से फर्जीवाड़ा करने वाला बिहार का एक गैंग पकड़ा था। इसके अलावा ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के 40 मामलों की शिकायत हो चुकी है।

देरी से होता था नुकसान, कर सकेंगे शिकायत

साइबर क्राइम का शिकार होने पर पीडि़त व्यक्ति अपने नजदीक के पुलिस स्टेशन से संपर्क करते हैं। ऐसे में केस दर्ज करने के बजाय थानेदार अक्सर लोगों को टरका देते हैं। दूसरी जगह का घटनास्थल बताकर वहां जाने की सलाह देते हैं। अगर कैंट एरिया के सिविल लाइंस में रहने वाले व्यक्ति का पैसा नोएडा में निकल गया तो उसे नोएडा में जाकर रपट दर्ज कराने की सलाह दी जाएगी। थानों के इस चक्कर पीडि़त भटकते रह जाते हैं। पुलिस की भागदौड़ का मौका पाकर जालसाज लोगों के अकाउंट से पूरी रकम निकाल लेते हैं। ऐसे में फौरी कार्रवाई के लिए डीजीपी ने पीडि़त के अपने थाने पर केस दर्ज कराने की व्यवस्था शुरू कराई है।

इन तरीकों से करते थे ठगी

- बैंक अधिकारी बनकर जालसाज कॉल करते हैं।

- एटीएम कार्ड बदलने का झांसा देकर ठगी होती है।

- एटीएम में खराबी या अन्य कोई प्रॉब्लम बताकर पिन-पासवर्ड पूछना।

- ऑनलाइन आवेदन करने, फीस जमा कराने के मामलों की शिकायतें

- फर्जी वेबसाइट के जरिए रजिस्ट्रेशन, रुपए के लेनदेन का मामला

- सोशल मीडिया पर वीडियो, फोटो वायरल करने की धमकी

यह जारी किए गए निर्देश

- एसपी क्राइम हर माह साइबर क्राइम के मामलों की समीक्षा बैठक करेंगे।

- पीडि़त अपने निवास स्थान के थाने पर पहुंचे तो उसका एप्लीकेशन लेकर रिसीविंग दे दी जाए। इसकी सूचना थाना से साइबर सेल को तत्काल उपलब्ध कराई जाए।

- घटना किसी भी थाना क्षेत्र में हुई हो। मामला दूसरे एरिया का होने के बावजूद एफआईआर दर्ज की जाएगी।

- डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड के पिन-पासवर्ड और किसी तरह के डाटा के लीक होने की दशा में पीडि़त की मदद करके ब्लॉक कराया जाएगा।

- ईमेल का पासवर्ड हैक करके डाटा लीक होने पर ई मेल ब्लॉक करने में पुलिस मदद करेगी।

- पुलिस की ओर से बैंक को सूचना देकर पीडि़त के एकाउंट से ट्रांजेक्शन ब्लॉक कराया जाएगा।

- ताजा सूचना पर साइबर क्राइम एक्सपर्ट की मदद से पीडि़त की रकम वापस कराने में सहयोग करेंगे।

Posted By: Inextlive