साइबर क्राइम कंट्रोल करने में यूपी पुलिस सबसे फिसड्डी है. दस साल से पेंडिंग पड़े 50 से ज्यादा केसेज में एक भी मामले को यूपी पुलिस साल्व नहीं कर सकी है.


यह कहना है आईटी एक्सपर्ट और इथिकल हैकर दीपक कुमार का। दीपक संडे को पुलिस लाइन में आयोजित सेमिनार में पुलिस को साइबर क्राइम का पाठ पढ़ा रहे थे। दीपक साइबर क्राइम के तरीकों और उनसे निपटने के लिए पुलिस अधिकारियों को टिप्स दे रहे थे। पुलिस अधिकारियों ने इस में काफी दिलचस्पी दिखाई। सभी सीओ के साथ एसपी टीजी नितिन तिवारी, एसपी वेस्ट राकेश सिंह और खुद डीआईजी डीके ठाकुर भी मौजूद थे। UP में नहीं हैं संसाधन


दीपक ने बताया कि साइबर क्राइम को किस तरह रोका जा सकता है। क्राइम होने के बाद किस तरह से उसकी इंवेस्टीगेशन की जाए। हाल ही में आशियाना और हुसैनगंज में दर्ज हुए दो साइबर क्राइम के केस का जिक्र करते हुए दीपक ने बताया कि नेट बैंकिंग के थ्रू गायब हुए पैसे के बारे में पता करना आसान है। उक्त मामले में नीरज के एकाउंट से पैसा यात्रा डाट काम के एकाउंट में गया है। ऐसे में बैंक से आईपी एड्रेस और जिसने टिकट बुक कराया है उसकी डिटेल निकाल कर उस तक पहुंचा जा सकता है। आईपी चेक करने के लिए दीपक ने पुलिस अधिकारियों को कुछ ऑफिशियल साफ्टवेयर और आनलाइन लिंक भी बताये।

दीपक ने आइनेक्स्ट के साथ बात करते हुए कहा कि कि साइबर क्राइम कंट्रोल करने के लिए यूपी पुलिस के पास दिल्ली और मुम्बई पुलिस द्वारा बनाये गये साइबर सेल जैसे संसाधन होने चाहिए। यहां न तो साइबर एक्सपर्ट हैं और न ही संसाधन। यूपी पुलिस के पास पिछले कुछ सालों में जो भी केस आये हैं उसमें नेट बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड से पैसा निकाला जाना, पासवर्ड हैकिंग और फेक आईडी हैं। इसमें से किसी भी मामले का साइबर सेल खुलासा नहीं कर सकी है। क्या है cyber crimeएक ऐसा क्राइम जिसमें न तो किसी वेपन का इस्तेमाल होता है और न ही खूनखराबा। इस क्राइम में एंटी मार्टम और पोस्टमार्टम भी मायने नहीं रखता। यह क्राइम सीधे आपके कम्प्यूटर सिस्टम पर अटैक करता है। यह इंटरनेट से जुड़ी सेवाओं में ही होता है। प्रदेश पुलिस इस क्राइम को हल्के में ही लेती है। लेकिन जैसे-जैसे टेक्नालॉजी का यूज बढ़ रहा है वैसे ही इस क्राइम का ग्राफ भी बढ़ रहा है।यह हैं cyber crime

किसी कम्प्यूटर की इंफार्मेशन को दूसरे कम्प्यूटर के थ्रू चुराना (हैकिंग), कम्प्यूटर पर वायरस के जरिये अटैक कर सर्विस फाइलों को करप्ट करना, साफ्टवेयर पायरेसी, (कापी करना), पोर्नोग्राफी, क्रेडिट कार्ड फ्राड, इंटरनेट बैंकिंग फ्राड, नेट एक्स्टोर्शन (कंपनी की इम्पोर्टेंट डाटा को चुरा लेना और फिर डाटा वापस मांगने के लिए पैसों की वसूली करना), फिशिंग, स्पूफिंग, साइबर स्टॉल्किंग, साइबर डिफेमेशन, थ्रेटनिंग, और सलामी अटैक (बैंक खातों से बहुत छोटी राशि निकालना).सलामी अटैक में पीडि़त दो-तीन रुपये माइनस होने की शिकायत करने नार्मली बैंक नहीं जाता। ऐसे में हजारों बैंक खातों से यह क्रिमनल एक मोटी रकम कमा लेते हैं।कौन करता है cyber crime?दीपक बताते हैं कि साइबर क्राइम अभी आउट आफ कंट्रोल नहीं है लेकिन आने वाले दिनों में यह पुलिस के लिए मुसीबत बनेगा यह भी तय है। इस क्राइम को करने वाले टीन एजर्स, या ऑफिस में नेट यूज करने वाले अपने ही कलीग्स, प्रोफेशनल हैकर्स, बिजनेस राइवल, एक्स ब्वाय फ्रेंड, गर्लफ्रेंड, या फिर डाइवोर्स कराने के लिए इस क्राइम का इस्तेमाल कर रहे हैं। जल्दी अमीर बनने के शार्टकट के लिए भी लोग इसका क्राइम का सहारा ले रहे हैं।कौन बनता है निशाना
साइबर क्राइम करने वाले उसे निशाना बनाते हैं जो कम्प्यूटर का कम जानकार हो। उन्हें मेल के जरिये उसकी सारी इंफार्मेशन ली जाती है और फिर उसे अपनी जाल में फंसा लिया जाता है। इससे न सिर्फ आपके कम्प्यूटर का डाटा चुराया जा सकता है बल्कि आपके सिस्टम पर वायरस भेज कर सिस्टम पर मौजूद फाइलों को करप्ट कर दिया जाता है।

 

Posted By: Inextlive