-सउदी अरब व पाकिस्तान से ऑपरेट होता है आनलाइन लॉटरी गेम

-चेहरा पहचानने के नाम ठगने वाले खिलाडि़यों का भी लम्बा है नेटवर्क

-एक दर्जन से अधिक बैंक खाते खुद ऑपरेट करते हैं खिलाड़ी

ALLAHABAD: ये किस्मत से खेलने वाले खिलाड़ी हैं। रातों रात तकदीर बदल देने का सपना बेचते हैं। गलती से एक बार इनके झांसे में आ जाने वाले का इनके चंगुल से बच निकलना बेहद मुश्किल है। इसके दो कारण हैं एक तो पहले नुकसान की भरपाई के लिए आप खुद अपना दूसरा नुकसान करते हैं और दूसरा सपने के पीछे भागने के चलते कदम पीछे खींचना संभव नहीं होता। खाड़ी देश और पाकिस्तान में बैठे अपराधी फ्राड से होने वाली इनकम का इस्तेमाल मनी लांड्रिंग के जरिए हमारे ही देश में कर रहे हैं।

इंटरनेट से मोबाइल तक पकड़

इंटरनेट और मोबाइल के परमानेंट यूजर हैं तो बहुत संभव है जब किसी साइट पर जाने पर एक मैसेज फ्लैश होता हुआ मिल गया हो। इसमें आप को बम्पर प्राइज जीतने की बात कही जाती है। आपके पास कोई ऐसी मेल आई हो जिसमें आपको लाखों पाउंड जीत लेना बताया गया है। यह वह एमाउंट होता है जो सपने में भी आपने नहीं देखा होता। यह बेसिकल जाल होता है जो कस्टमर को फंसाने के लिए डाला गया होता है। एक बार इसके चक्कर में फंसे तो फिर फंसते ही चले जाएंगे। वसूली का खेल भी शातिर उन नामों पर खेलते हैं जिन पर आसानी भरोसा कर लेना किसी के लिए भी संभव होता है। यह वसूली होती है टीडीएस के नाम पर। टैक्स के नाम पर ट्रांजेक्शन के नाम पर। इस चक्कर में फंसने वाले करोड़पति बनने के चक्कर में अपना हजारों रुपया भी गंवा देते हैं। ठगी का ऐसा ही बिजनेस करने वाले एक इंटरनेशनल रैकेट के छह मेम्बर्स को पुलिस ने वेडनसडे को गिरफ्तार किया।

महीनों की मेहनत का नतीजा

वेडनसडे को मामले का खुलासा करते हुए एसएसपी मंजिल सैनी ने बताया कि चेहरा पहचानो, लॉटरी जीतने और इंटरनेट फ्राड की तमाम शिकायतें मिलने पर उन्होंने एसपी क्राइम के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच व साइबरसेल को लगाया गया था। इनके पास दर्जनों मामले थे और उन्होंने इसकी तह तक जाने के लिए महीने भर से अधिक समय इंवेस्ट किया। जांच में पता चला कि जालसाजों का नेटवर्क इंटरनेशनल लेवल तक फैला हुआ है। ये पाकिस्तान और सउदी अरब में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से फोन कराकर लोगों को अपना शिकार बनाते थे। पैसा वसूलने के लिए उन्होंने सिटी में ही कई नाम से बैंक एकाउंट खुलवा रखा है। एकाउंट होल्डर को ये चार परसेंट कमीशन देते थे। शिकार के जाल में फंसने पर वे उससे टीडीएस व दूसरे खर्चो के नाम पर पैसा वसूलते थे। एकाउंट में पैसे डलवाते थे। पैसा वे हमेशा एटीएम के थ्रू निकालते थे। जांच के दौरान टीम को पता चला कि रैकेट के मेंबर्स सिविल लाइंस में मौजूद हैं। जिसके बाद टीम ने घेराबंदी करके टीम के छह मेंबर्स को नवाब युसुफ रोड से गिरफ्तार कर लिया।

ऐसे बनाते थे शिकार

जालसाजों ने बताया कि वे बैंकों के एकाउंट खुलावाकर एटीएम कार्ड ले लेते थे। खुलवालए गए एकाउंट नम्बर को सउदी अरब व पाकिस्तान के कुछ अपराधी तत्वों को बता देते थे और वे लोग इंटरनेट व फोन के माध्यम से लाटरी, पुरस्कार, वाहन जीतने आदि का झांसा देकर प्रोसेसिंग के नाम पर मोटी फीस व टैक्स के नाम पर बैंक एकाउंट में पैसे जमा कराते थे। पैसा जमा होने के कुछ ही देर बाद उसे एटीएम के थ्रू निकाल लिया जाता था। कभी-कभी इन पैसों को खाड़ी देशों में रह रहे भारतीयों द्वारा एजेंटों के माध्यम से इंडिया में अपने फैमली मेंबर्स को भेजी गई करेंसी के बदले इंडिया में इस गिरोह के द्वारा प्रदान कर दी जाती थी। पुलिस के हत्थे चढ़े सिप्तैन अली व मनीष अग्रवाल इंटरनेट व फोन कॉल के जरिए पाकिस्तान व खाड़ी देशों के उक्त अपराधी तत्वों के संपर्क में रहते थे। गिरोह के मेंबर्स ने असम, मेघालय, मिजोरम, गुजरात व यूपी के कई सिटी में लोगों को झांसा देकर रुपए जमा कराए।

पकड़े गए

सिप्तैन अली, सरायइनायत इलाहाबाद

मनीष अग्रवाल, कोतवाली इलाहाबाद

मो। अली, अतरसुइया, इलाहाबाद

संतोष कुमार, बैरहना, कीडगंज, इलाहाबाद

श्याम जी सिविल लाइंस, इलाहाबाद

इरफान

बरामदगी

एक लाख 45 हजार नकद

विभिन्न बैंकों के 12 एटीएम कार्ड

एक लैपटॉप, दो सिमकार्ड

-बैंक पासबुक व दूसरे कागजात बरामद किया।

(एसएसपी मंजिल सैनी ने खुलासा करने वाली टीम साइबर सेल इंचार्ज ज्ञानेन्द्र राय, स्वाट टीम के एसआई मृत्युंजय मिश्र समेत कुल 12 लोगों को पांच हजार रुपए नकद पुरस्कार के रूप में देने की घोषणा की है.)

कैसे खेलते हैं पूरा खेल

-मीडिया में एड पब्लिश कराकर चेहरा पहचानने का देते हैं ऑफर

-इंटरनेट और फोन के माध्यम से देते हैं विजेता बनने की जानकारी

-प्रोसेसिंग फीस और टैक्स के नाम पर पब्लिक से बैंक एकाउंट में जमा कराते थे पैसा

-दर्जनभर मोबाइल नंबर और एकाउंट करते हैं ऑपरेट

-खाड़ी देश और पाकिस्तान के अपराधियों से जुड़ा है इनका तार

-फ्राड का पैसा मनी लांड्रिंग में भी होता है इस्तेमाल

सावधान रहें, सुरक्षित रहेंगे

-चेहरा पहचानो एड पर रिस्पांस तभी करें जब संबंधित एजेंसी इसकी जिम्मेदारी ले

-मेल और इंटरनेट पर आने वाले लाखों डालरर/पाउंड जीतने के एड पर रिवर्ट बिल्कुल न करें

-रिजर्व बैंक के गवर्नर के तक के नाम का करते हैं इस्तेमाल

-किसी भी बैंक एकाउंट में टैक्स या प्रोसेसिंग फीस के नाम पर कोई भी एमाउंट जमा करने से पहले खाताधारक का डिटेल चेक करावें

-पुरस्कार का दावा करने वाली फेक साइट की ओरिजिनल साइट पर जाकर इंफार्मेशन क्रास चेक करें

-फ्राड का शिकार बन गए हैं तो साइबर सेल को तत्काल सूचना दें

पिता कर चुके हैं अली को बेदखल

वेडनसडे को गिरफ्तार कि गए मोहम्मद अली के पिता इसरत अली ने बेटे का गलत रास्ता पकड़ लेना पहले ही पता चल गया था। उन्होंने तत्काल पूरे परिवार को अलग कर लिया और उसे अपनी चल-अचल सम्पत्ति से बेदखल कर दिया था।

थोड़ी सी लालच में फंस गए

मास्टर माइंड शातिरों ने सेफ गेम के तहत उन लोगों को कमीशन पर हायर किया था जिनके बैंक एकाउंट का वे इस्तेमाल करते थे। इस एकाउंट का एटीएम भी शातिरों के पास ही होता था और एकाउंट होल्डर के लिए चार परसेंट राशि खाते में छोड़ दी जाती थी। शातिर पहले से ही जानते थे कि कभी न कभी तो पुलिस से पाला पड़ेगा ही। ऐसे में वह एकाउंट होल्डर को आगे करके बच निकलते। लेकिन, इस बार ऐसा नहीं हुआ।

Posted By: Inextlive