क्राइम ब्रांच को लगी भनक, नक्सलियों तक पहुंच रहे उड़ाए गए सामान

झारखंड व बिहार के कई युवकों को दी गई एकाउंट साफ करने की ट्रेनिंग

ALLAHABAD: बैंक कर्मचारी बनकर लोगों के एकाउंट को साफ करने की घटनाओं के बारे में तो आप रोज सुनते होंगे लेकिन यह जानकार आपके होश उड़ जाएंगे कि फ्राड कर खरीदा गया सामान किसके हाथ में पहुंच रहा है। भोले-भाले लोगों के खून पसीने की कमाई का इस्तेमाल देश विरोधी एक्टीविटी में हो रहा है। क्राइम ब्रांच को सुराग मिला है कि फ्राड कर ऑन लाइन खरीदे गए सामान झारखंड व छत्तीसगढ़ के उन इलाकों में पहुंच गए हैं जिन्हें नक्सलियों का गढ़ माना जाता है।

झारखंड के युवकों का गिरोह

पुलिस सोर्सेज का कहना है कि झारखंड व छत्तीसगढ़ के बेरोजगार युवकों का एक गिरोह तैयार किया गया है। सिम प्रोवाइड कराने के साथ-साथ युवकों को यह ट्रेनिंग भी दी जाती है कि उनको किन लोगों से और कैसे बात करनी है। टार्गेट ऐसे लोग होते हैं जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक होती है। ऐसे लोगों के बारे में इंफार्मेशन ठगों के पास कैसे पहुंचती है, इसकी जानकारी पुलिस को नहीं मिल सकी है। हालांकि संदेह जताया जा रहा है कि इस काम में बैंक के कर्मचारियों की मिलीभगत हो सकती है।

गैजेट व कपड़े की खरीद

यूपी ईस्ट में लोगों के पास 76 व 78 सीरीज के जिन नंबरों से फोन किए जाते हैं, वे झारखंड के हैं। क्राइम ब्रांच सोर्सेज के मुताबिक युवकों को सिम कार्ड नक्सली ही प्रोवाइड कराते हैं। जैसे ही किसी के एटीएम कार्ड नंबर व पिन की जानकारी मिल जाती है, उसका खाता साफ कर दिया जाता है। रुपए से ऑनलाइन शॉपिंग तो की ही जाती है, डीटीएच रिचार्ज भी किए जाते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए जो मोबाइल व लैपटॉप खरीदे जाते हैं, उसमें से कुछ नक्सली इलाकों में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। कई मोबाइल की लोकेशन पता चली है और बातचीत को भी सुना गया है। बाकी के सामान को बेचकर रुपए नक्सलियों तक पहुंचा जाते हैं। इस गैंग के कई कैरियर दिल्ली में हैं जो छोटा मोटा काम करते हैं।

एसएमएस भी भेजे जा रहे

साइबर शातिरों की हिम्मत इस कदर बढ़ गई है कि वह अब लोगों के पास मोबाइल नंबर से एसएमएस भी भेज रहे हैं। गुरुवार व शुक्रवार को सिटी में हजारों बीएसएनएल कंज्यूमर के पास मैसेज पहुंचा कि उन्होंने तीन करोड़ नौ लाख रुपए जीत लिए हैं। लोगों से नाम, एज, मोबाइल नंबर जैसी डिटेल एक ईमेल पर भेजने को कहा जाता है। मैसेज भेजने वाले खुद को यूके का बताते हैं लेकिन मोबाइल नंबर ही उनकी पोल खोल देता है। जिस नंबर से एसएमएस भेजा गया, वह झारखंड का है।

- साइबर क्राइम के मामलों की जांच के लिए अलग शाखा बनाई गई है। क्राइम ब्रांच ने कई लोगों को पकड़ने के बाद बड़ी रिकवरी भी की है। नक्सलियों से कनेक्शन की बात सामने आने के बाद दूसरे स्टेट की पुलिस से भी संपर्क किया जाएगा।

राजेश यादव, एसपी सिटी

Posted By: Inextlive