एक से दूसरे स्थान जाने के लिए फोन पर उपलब्ध है एंबुलेंस पैसे तैयार रखें मरीज की जरूरत नहीं। चार सवारी तक का किराया सात सौ से आठ सौ रुपया वसूलते हैं एम्बुलेंस के संचालक।

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dhruva.shankar@inext.co.in - ALLAHABAD: देश के महानगरों में ऐप से टैक्सी बुलाने की तर्ज पर इलाहाबाद में फोन पर एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध हो रही है। ऐसा नहीं है कि यहां ऐप वाली सवारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन वह कब तक पहुंचाएगी इसकी गारंटी नहीं है। कारण कि शहर में कुंभ को लेकर चल रहे विकास कार्यो की वजह से हर सड़क जाम की चपेट में है। ऐसे में एंबुलेंस ही ऐसा वाहन बची है जिसे जाम के बावजूद रास्ता दिया जाता है ताकि किसी की जिंदगी आफत में न पड़े। लेकिन शहर में 'जिंदगी' के नाम पर एंबुलेंस को 'गंदी कमाई' का जरिया बना लिया गया है।

 

सेवा के बदले वसूलते हैं मोटी रकम

यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के नाम पर एम्बुलेंस संचालक एक परिवार से सात से आठ सौ रुपए तक की वसूली कर रहे हैं। मामले की भनक लगने के बाद दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने जब स्टिंग किया तो पूरा खेल सामने आ गया। कैसे उपलब्ध हो रही है ये सेवा, आईए आपको भी बताते हैं

 

शहर के एक फेमस हॉस्पिटल के एंबुलेंस सेवा संचालक से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की फोन पर हुई बातचीत का अंश

रिपोर्टर : भैया परिवार के चार लोगों को चौफटका तक ले जाना है। शहर में खुदाई की वजह से हर तरफ जाम ही जाम है। जल्दी जाना जरूरी है।

संचालक : कितने बजे जाना है, कहां जाएंगे। चलिए मिल जाएगी। कितने लोगों को जाना है। सात आठ सौ रुपये दे दीजिएगा।

रिपोर्टर : कैसे मिलेगी हमें एम्बुलेंस?

संचालक : जब आपको जाना होगा उससे आधा घंटे पहले फोन कर दीजिएगा। ड्राइवर का नम्बर दे देंगे वह आपके बताए स्थान पर पहुंच जाएगा।

शहर के दूसरेफेमस हॉस्पिटल के एंबुलेंस सेवा संचालक से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की फोन पर हुई बातचीत का अंश

रिपोर्टर : एंबुलेंस सेवा देखने वाले बोल रहे हैं। हमारे घर से दो-तीन लोगों को जाना है। कई बार मरीज को लेकर आपसे सेवा ली है।

संचालक : अच्छा। बताइए क्या सेवा करें। कहां छोड़ना है।

रिपोर्टर : हाईकोर्ट रेजीडेंशियल कालोनी तक जाना है।

संचालक : यहां से वहां छोड़कर चले आना होगा।

रिपोर्टर : हां बस छोड़ना ही है।

रिपोर्टर : कितना रुपया देना होगा।

संचालक : यहां से वहां तक मरीज को छोड़ने के लिए हॉस्पिटल का चार्ज आठ सौ रुपए होता है।

संचालक : कहां से ले जाना होगा

रिपोर्टर : बक्शी बांध रेलवे क्रासिंग के पास हम पहुंचे जाएंगे।

संचालक : ठीक है। गाड़ी अभी सिविल लाइंस में है। जब जाना होगा बता दीजिएगा।

 

रोड टैक्स में मिलती है छूट

एम्बुलेंस में रजिस्टर्ड वाहनों का रोड टैक्स माफ होता है। कॉमर्शियल वाहनों को हर तिमाही रोड टैक्स देना होता है, जो पंद्रह हजार रुपये से अधिक होता है। यही नहीं एम्बुलेंस के नाम पर रजिस्ट्रेशन कराने वालों की चेकिंग भी नहीं होती है।

 

ऐसे चलता है खेल

सवारी ढोने वाली एम्बुलेंस के संचालक खुद किसी हास्पिटल से अपने वाहन को रजिस्टर्ड करा लेते हैं और मरीजों को ढोने की बजाय सवारी ढोते रहते हैं। इसे लेकर प्रदेश स्तर पर शिकायत होने के बाद परिवहन विभाग ने जांच की है। जांच में अनियमितता सामने आई है।

 

हमारे संज्ञान में इस तरह का मामला अभी तक नहीं आया है। ऐसा हो रहा है तो हमे बताएं ऐसे लोगों के खिलाफ निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी। नियमानुसार एम्बुलेंस रोड टैक्स के दायरे से बाहर है।

रविकांत शुक्ला, एआरटीओ प्रवर्तन

Posted By: Inextlive