दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की परिचर्चा में सिस्टम पर खुलकर रखे विचार

कहा, पब्लिक कदम बढ़ाए तो सुधर सकते हैं हालात

ALLAHABAD: आजादी के 72 साल बाद भी हम खुद को गुलामी की जंजीरों में जकड़ा महसूस कर रहे हैं। कारण हमारा सिस्टम है। कुछ भी व्यवस्थित नही है। सड़क पर जाम है तो आफिसों में लंबी लाइन। फाइल बढ़वाने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है। डॉक्टर इलाज के नाम पर लूट रहे हैं। यह विचार दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की परिचर्चा में सामने आए। लोगों ने विभिन्न सामाजिक समस्याओं के सुधार पर अपने विचार बहुमूल्य विचार रखे।

पब्लिक ही तोड़ती है रूल

परिचर्चा के दौरान लोगों ने कहा कि कोई भी नियम बनता है तो सबसे पहले पब्लिक उसे ब्रेक करती है। एक की पहल के बाद पूरा सिस्टम फेल्योर हो जाता है और शासन व प्रशासन पब्लिक की मनमानी को फायदा उठाते हैं। वह सिस्टम को सुधारने के बजाय पब्लिक पर दोष मढ़कर मुंह फेर लेते हैं। यही कारण है कि तमाम सरकारी योजनाओं के नाम पर खुलेआम लूटखोरी मची हुई है।

शहर की सबसे बड़ी समस्या है जाम

शहर के किसी भी हिस्से में पहुंचने में जाम की वजह से दो से तीन गुना समय खर्च होता है। यह वर्तमान में शहर की सबसे बड़ी समस्या है। इससे निजात पाना आसान नही है। सबसे पहले पब्लिक को कार की बजाय दो पहिया का यूज करना होगा। वही ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन को इस समस्या से निपटने की रोजाना अलग-अलग प्लानिंग पर काम करना होगा। परिचर्चा में इस समस्या पर लंबा मंथन चला।

गवर्नमेंट के साथ हमलोग भी बराबर के जिम्मेदार हैं। हम किसी भी सिस्टम को साथ लेकर नहीं चलते। अपने हिसाब से चीजों को ढालते हैं। इसी कारण जाम, रिश्वत, खराब चिकित्सा जैसी समस्या सामने आ रही है।

नीरज यादव

आजादी के 72 साल हो जाने के बाद भी हम गुलामी महसूस करते हैं। हर जगह करप्शन का बोलबाला है। जिसे देखो ब्लेकमेलिंग कर रहा है। नदियों के नाम पर करोड़ों रुपए पानी में बहाए जा रहे हैं।

अरुण गुप्ता

हॉस्पिटल्स में लंबी लाइन लग रही है। महिलाएं दिन के उजाले में घर से निकलने में डरती हैं। इसका कौन जिम्मेदार है। जिनको नियमों का पालन कराना है वह पब्लिक की ओर ध्यान नही दे रहे।

विजय सिंह

महंगी शिक्षा प्रणाली हमारे समाज के लिए नासूर बन गई है। गरीब का बच्चा स्कूल में पढ़ नही सकता। सरकारी स्कूलों में मास्टर आते नही हैं। ऐसे में एक समान मूल्य की शिक्षा व्यवस्था देश में लागू करना होगा।

डीके चौधरी

हर माह बिल देने के बाद भी घंटो बिजली की कटौती होती है। यह पूरी तरह अघोषित है। कम से कम जितना सरकार वादा कर रही है उतनी बिजली तो सरकार को देनी चाहिए।

सोमदेव यादव

हमे पूरी तरह से आजादी नही मिली है। इसे हासिल करने के लिए सरकार को रोटी, कपड़ा और मकान के लक्ष्य को हर व्यक्ति तक पहुंचाना होगा। तभी आजाद भारत का सपना पूरा होगा।

रामअवतार गुप्ता

ताजा उदाहरण कुंभ की तैयारियों का है। जो सड़क कुछ महीने पहले बनी थी उसे फिर से खोद दिया गया है। यह जनता के पैसे की बर्बादी है। इसकी भरपाई कौन करेगा।

बलराम सिंह

विकास की बात होती है लेकिन इसकी कोई प्लानिंग नही है। सरकार ने करोड़ों दे दिए तो अधिकारी उसे खर्च करने में लग जाते हैं। कमीशनबाजी होती है जो करप्शन को बढ़ावा देती है।

श्रीकांत पांडेय

लगातार बढ़ रही छेड़छाड़ और रेप की घटनाएं चिंताजनक है। इससे छुटकारा दिलाने वाली पुलिस पर से लोगों का भरोसा उठ चुका है। लोग अब पुलिस के पास जाने से डरते हैं।

धनराज सिंह

पूरा शहर धूल की चपेट में था। बहुत से लोग सांस के मरीज बन गए। अब इसकी भरपाई कौन करेगा। विकास के नाम पर होने वाली समस्याओं को दूर करने का प्लान कहां पर है।

अजय सिंह

ऑनलाइन सिस्टम का प्रचार प्रसार जरूरी है। आज भी लोग कार्यालयों में लाइन लगाते हैं। उन्हें पता नही कि एक क्लिक पर उनका काम आसानी से हो जाएगा।

डॉ। हरिप्रकाश यादव

गांव में कई जगह हैंडपंप सूखे पड़े हैं। नलों का पानी टूटी पाइप लाइन से बह रहा है। इसकी मरम्मत कब होगी। गांव में पेयजल का स्तर आज भी बदतर स्थिति में है।

रविप्रकाश गुप्ता

Posted By: Inextlive