आप की बात का लोगो

- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने कराई परिचर्चा, जल बचाने को दिए सुझाव

- लंबे समय से जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरुक कर रहे हैं यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र जल संरक्षण पर लंबे समय से जनता को जागरुक करने में लगे हैं। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने जल बचाओ, कल बचाओ अभियान के तहत इन छात्रों के बीच जल संचय और पानी की बर्बादी रोकने को लेकर परिचर्चा कराई। ऐसे में युवाओं ने इस गंभीर मामले पर खुलकर अपनी बात रखी।

हम जागरुक तो समाज जागरुक

वैसे तो यह छात्र गांव और शहर घूम-घूमकर जल संरक्षण के बारे में बताते हैं। वह बताते हैं कि कैसे जल की बर्बादी को रोककर जल का संचय किया जा सकता है। इनमें तालाब से कब्जे हटवाने, उन्हें रिचार्ज करना, कुओं का पुनरुद्धार किया जाना, भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना, साइकिल से कई किमी लंबी जल यात्रा निकालना, चारागाह के लिए जगह उपलब्ध कराने जैसी मुहिम शामिल है। फिर भी इन लोगों का कहना है कि व्यक्तिगत रूप से भी जल संचय के प्रयास किए जाने चाहिए। यह केवल सरकार की जिम्मेदार नहीं बल्कि आम जनता की जवाबदेही है।

सबने रखी दिल की बात

शोध छात्र रामबाबू तिवारी के नेतृत्व में जल संरक्षण की दिशा में कार्य करने वाले यह छात्र पीजी और लॉ के हैं। परिचर्चा में उन्होंने एक-दूसरे के तर्को का जमकर सामना किया। किसी ने व्यक्तिगत एफर्ट को जरूरी बताया तो किसी ने पूरे समाज को मिलकर जल बचाने की बात कही। यह भी बताया कि किस तरह से छात्र पूरे भारत में तालाब मुक्ति अभियान चला रहे हैं।

यह कहते हैं छात्र

हमने जल बचाओं संकल्प हजारों लोगों को दिलवाया है। इसको लेकर लोग जागरुक भी हैं। कई लोगों ने संकल्प के अनुरूप काम करना भी शुरू कर दिया है। सभी को इस दिशा में आगे आना चाहिए।

-नितिन सिंह

हमने कई किमी लंबी जल यात्रा निकाली है। इसके पहले बांदा से लखनऊ तक हम साइकिल से गए थे। 23 जून को बांदा से खजुराहो तक जल यात्रा प्रस्तावित है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए हमने एक कमेटी बनाई है जो लोगों के बीच जागरुकता फैला रही है।

-जन्मेजय तिवारी

जिन गांव में सरकारी तालाबों पर कब्जा किया गया है वहां पर हम जाकर इसे मुक्त कराते हैं। बबेरू में तालाब मुक्ति केंद्र की स्थापना भी की गई है। तालाबों में जल संचय किया जाना एक बड़ा सॉल्यूशन है।

-अहमद इलियास

हम स्वच्छ भारत अभियान में भी काम कर रहे हैं। लेकिन स्वच्छता का मतलब यह नहीं कि रोजाना नहाने और कपड़े धोने के नाम पर हजारों लीटर बर्बाद किया जाए।

-अभिषेक त्रिपाठी

पौधरोपण के जरिए भी जल संचय किया जा सकता है। इससे पाताल में पानी का लेवल बना रहता है। यही कारण है कि लगातार पौधरोपण अभियान चलाकर लोगों को प्रेरित किया जाता है।

-महेश मिश्रा

लोग तभी आगे आएंगे जब हम खुद पौधरोपण करेंगे। मै खुद पौधे लगाता हूं। फिर उनको तैयार किया जाता है। ऐसा नही है कि पौधे लगाने के बाद उनका ध्यान नही दिया जाता है। यह हमारा दायित्व है।

-सचेंद्र मिश्रा

हम देखते हैं कि लोग कपड़े धोने और नहाने के नाम पर पानी बहाते हैं। उस पानी का दोबारा उपयोग किया जा सकता है। जैसे वाटर प्यूरिफायर के पानी से कई काम किए जा सकते हैं।

-विशाल जायसवाल

जैसे जीवन के प्रत्येक पल का महत्व होता है उसी तरह से पानी के प्रत्येक बूंद की कीमत समझनी चाहिए। आज हम जल को बर्बाद करेंगे तो भविष्य में हमारे बच्चे प्यासे रह जाएंगे।

-भगवानदास

Posted By: Inextlive