RANCHI: बच्चों के यौन शोषण के मामले में दिन और रात का फर्क मिट चुका है। दरिंदगी की हदें पार करने वालों को सिर्फ मौका चाहिए होता है, समय कुछ भी हो, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। रांची के लोग यौन शोषण के समय को लेकर कुछ ऐसी ही राय रखते हैं। 'बचा रहे बचपन' मुहिम के तहत 'दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट', रेडियो सिटी और परवरिश संस्था की ओर से कराए गए सर्वे में शामिल लोगों ने यौन शोषण के समय को लेकर लगभग एक ही तरह की राय जाहिर की। जितने लोगों ने कहा कि रात में यौन शोषण के मामले ज्यादा होते हैं, करीब-करीब उतने ही लोगों ने यह भी कहा कि दिन में भी यौन शोषण के मामले होते हैं। इस मामले में 51 फीसदी लोगों ने कहा कि रात में यौन शोषण ज्यादा होते हैं। वहीं 49 फीसदी लोगों ने कहा कि दिन में चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज के केसेज ज्यादा होते हैं। यानी समय के मामले में लोगों की राय करीब-करीब एक जैसी रही।

महिलाओं की राय जुदा

बच्चों के यौन शोषण के समय को लेकर महिलाओं की राय थोड़ी जुदा है। करीब 71 फीसदी महिलाओं का मानना है कि ऐसे केसेज रात में ज्यादा होते हैं। वहीं केवल 29 फीसदी महिलाओं ने माना कि गंदी हरकत करने वाले दिन में ही अपनी कुंठा बच्चों पर निकालते हैं।

जिसे दादा कहती थी, उसी ने तोड़ा विश्वास

कांके के जयपुर निवासी सोना (नाम परिवर्तित) तब सिर्फ छह साल की थी। अपने साथ हुई ज्यादती के बारे में उसे कुछ पता भी नहीं था। जिसने उसके साथ यौन शोषण किया उसकी तकलीफ इतनी थी कि वह चुप न रह पाई। सोना असहनीय पीड़ा से गुजर रही थी। उसने मां को आपबीती सुनाई, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। रिश्ते में दादा लगने वाले ने ही सोना के साथ दरिंदगी की थी। अब सोना 15 साल की हो चुकी है। वह बताती है कि दादा उसे अपने साथ खेत में ले गए थे। वहां उसने जो कुछ किया, उसे आज भी याद करके सिहर उठती है।

कई दिनों तक सो न सकी

सोना एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है। जब उसके साथ यह सब हुआ, उस वक्त उसके पिता गुजर चुके थे। मां के कंधों पर घर चलाने का दारोमदार था। मां अक्सर दूसरे शहरों में काम के लिए जाती थी। इसी दौरान सोना के दादा ने उसके साथ यौन शोषण किया। सोना बताती है कि उस घटना के बाद वह कई दिनों तक सो नहीं पाई थी। हर वक्त वह खौफनाक मंजर उसकी आंखों के सामने घूमने लगता था।

मां ने हिम्मत जुटाकर किया एफआईआर

वह बताती कि उसकी मां को गुजरे चार साल हो गए। अपनी बेटी के साथ हुई दरिंदगी का सदमा बर्दाश्त न कर सकी। लेकिन, अपनी मौत से पहले उसने आरोपी के खिलाफ एफआईआर कराने की हिम्मत जरूर जुटा ली। कोर्ट में मामले चला। सोना के बयान के आधार पर ही अदालत ने उसके रिश्ते के दादा को दोषी करार दिया। आज वह उम्र कैद की सजा काट रहा है। सोना को मलाल है कि उसके साथ जो कुछ हुआ, उसका खामियाजा उसे अपनी मां को खोकर चुकाना पड़ा। आज भी जब वो सब याद आता है, तो सिहरन पैदा हो जाती है।

Posted By: Inextlive