-कहा, युवाओं पर टिका है भविष्य, नालंदा परंपरा की शिक्षा जरूरी

- आईआईएम बोधगया में धर्मगुरु दलाईलामा ने दिए मूलमंत्र, संस्थान के लोगो का किया अनावरण

GAYA/PATNA:

'प्राचीन भारतीय शिक्षा सर्वश्रेष्ठ थी। वह मानवीय मूल्यों पर आधारित थी। वर्तमान शिक्षा हमें भौतिकतावादी बनाती है, जबकि शांति व सुख आध्यात्मिकता से मिलती है। अगर कहें कि वर्तमान के युवाओं पर दुनिया का भविष्य निर्भर है तो गलत नहीं होगा। सभी नालंदा परंपरा का अध्यन करें। इससे खंडन करने व तर्क करने की क्षमता विकसित होगी.' ये बातें मंगलवार को बोधगया स्थित भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) में शिक्षकों व विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाईलामा ने कहीं। उन्होंने आईआईएम के लोगो का अनावरण किया और परिसर में पीपल के पौधे लगाए। निदेशक डॉ। विनीता सहाय ने अंगवस्त्र प्रदान कर उनका स्वागत किया और परिसर में धर्मगुरु के आगमन को ऐतिहासिक व सम्मानजनक बताया।

मंच पर दलाईलामा ने हाथ हिलाकर सभी का अभिवादन स्वीकार किया। कहा कि सुख और दुख आप पर निर्भर करता है। यदि आपके मन में शांति नहीं है तो चित्त ब्रह्मा की तरफ नहीं जाएगा। उसके लिए बोधि चित्त का अभ्यास जरूरी है।

अ¨हसा और करुणा आज विश्व के लिए अति जरूरी है, जो भारत की हजारों वर्ष पुरानी परंपरा रही है। महात्मा गांधी ने भी अ¨हसा का संदेश दिया था। आज भी लोग मानवता के कल्याण को छोड़कर हथियारों को जमा करने में जुटे हैं। यह दुखद है।

अध्यात्मवाद पर स्टूडेंट्स से संवाद

संबोधन के बाद विद्यार्थियों ने अध्यात्मवाद के बारे में सवालों के जवाब प्राप्त किए। दलाईलामा के ज्ञानवर्धक शब्दों ने संदेह और भ्रम की स्थिति को दूर कर दिया। उसके बाद निदेशक डॉ। सहाय ने दलाईलामा से कहा कि छात्रहित में यहां माइंड फिटनेस सेंटर खोलने की योजना है। इसके संचालन में आपके सहयोग की अपेक्षा है। इस पर धर्मगुरु ने कहा कि हमारे पास बहुत भिक्षु, भिक्षुणी और रिसर्चर हैं। आप योजना तय करें। हम सहयोग करेंगे, क्योंकि तिब्बत को नालंदा के विद्वान आचार्यो ने बहुत कुछ दिया है। हमें पुन: भारत में उसे देने में खुशी होगी।

Posted By: Inextlive