-एसएस खन्ना डिग्री कॉलेज में दामोदर श्री प्रतिभा सम्मान प्रतियोगिता का आयोजन

-निबंध लेखन में सेलेक्ट हुए प्रतिभागियों ने प्रजेंटेशन में बेबाकी से रखी अपनी बात

ALLAHABAD: गांधी जयंती के अवसर पर यूं तो शहर भर में एक से बढ़कर एक आयोजन हुए। लेकिन सिटी का एक कोना ऐसा भी रहा, जहां मानव मूल्यों पर देशभर से आए प्रतिभागियों ने अपनी बात रखकर एक सार्थक पहल की ओर कदम बढ़ाया। सिटी के एसएस खन्ना ग‌र्ल्स डिग्री कॉलेज में दामोदर श्री 2015 राष्ट्रीय अकादमिक सर्वोच्च प्रतिभा सम्मान प्रतियोगिता में पार्टिसिपेंट्स ने मानव होने का अर्थ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।

10 प्रतिभागियों का लाइव प्रजेंटेशन

उपरोक्त विषय पर आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता के लिए देशभर से आवेदन मांगे गए थे। स्क्रूटनी के बाद सेलेक्शन कमेटी ने दस प्रतिभागियों का चयन किया था। इन्हीं प्रतिभागियों ने फ्राईडे के प्रोग्राम में लाइव प्रजेंटेशन दी। पार्टिसिपेंट्स ने दिल खोलकर अपनी बातें रखीं और समाज को नई दिशा देने की कोशिश की। मसलन, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में केमेस्ट्री डिपार्टमेंट की छात्रा अमिता सिंह का यह कहना कि जब जब मनुष्य पर पाश्विकता हावी हुई है, तब तब विनाश को दावत दी गई।

जो अच्छा मिले ग्रहण कर लें

उनकी तेजतर्रार विचारधारा पर निर्णायक मंडल में शामिल एक सदस्या ने पूछा कि आपकी सोच इतनी पश्चिमवादी क्यों है? इसपर अमिता का कहना था कि सोच देशी और विदेशी होने से फर्क नहीं पड़ता, जहां से जो अच्छा मिले ग्रहण कर लेना चाहिए। उनकी स्पीच के बाद सवाल किया गया कि अगर आज का मानव इतना घृणित हो चला है तो महाभारत का युद्ध क्यों हुआ? इसका बेहद ही खूबसूरती से जवाब देते हुए अमिता ने कहा कि महाभारत का युद्ध भी इतना निकृष्ट होकर नहीं लड़ा गया, जितना स्तर आज के मानव का गिर गया है। इसपर तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हाल गूंज उठा।

सवाल-जवाब का चला दौर

प्रोग्राम के दौरान मनुष्यता पर हो रहे चिंतन में एक प्रतिभागी का यह शेर बिल्कुल फिट बैठा कि तुम्हारी तहजीब अपने खंजर से खुद ब खुद कत्लेआम हो जाएगी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फिलासफी डिपार्टमेंट के आलोक कुमार द्विवेदी ने प्रेम को मानवीय स्वभाव का सर्वोत्तम प्रतिमान बताया। उन्होंने आचरण को मनुष्य की बहुमूल्य निधि बताया। स्पीच में धर्म के दस लक्षण भी बताए। उनकी स्पीच पर निर्णायक मंडल ने कई सवाल भी किए। पूछा कि अगर कोई इंसान मानवता की पराकाष्ठा पर नहीं है तो क्या वह मनुष्य नहीं है? पूछा कि जो ठोकर नहीं खाता क्या वह मनुष्य नहीं है? यह भी सवाल किया गया कि मनुष्य अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है, क्या यह कोई सिद्धांत है?

इन्होंने भी रखी बात

इस अवसर पर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की छात्रा अनामिका मिश्रा, नेशनल लॉ इंस्ट्यूट यूनिवर्सिटी भोपाल के अनुभव राजशेखर, महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज जयपुर की अपूर्वा लूनिया, गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के अरिंजय एस व्यास, नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी बंगलुरु की भुवन्या विजय, माउंट कार्मल कॉलेज बंगलुरु की धृति मेहरोत्रा, बैचलर ऑफ आर्किटेक सुशांत स्कूल ऑफ आर्ट एंड कल्चर अंसल यूनिवर्सिटी गुड़गांव की जैसला वालिया एवं जीबी पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट इलाहाबाद के संतोष पाल ने भी अपनी बात रखी। निर्णायक मंडल में जस्टिस एपी साही, प्रो। आरसी त्रिपाठी, प्रो। केके भूटानी, प्रो। प्रतिमा गौड़, प्रो। स्मिता अग्रवाल, प्रो। यूसी श्रीवास्तव आदि शामिल रहे।

पद्मश्री ने कहा खुद पर गर्व करें महिलाएं

इस असवर पर एमरेट्स प्रोफेसर और पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित प्रो। राज बवेजा ने महिला सशक्तिकरण पर अपनी बात रखते हुए कहा कि अपनी आत्मा जाग्रत करो। अपनी सुरक्षा स्वयं करो। अपनी समता को पहचानो और महिला होने पर गर्व करो। वाइस चेयरमैन प्रो। पीएन मेहरोत्रा ने मनुष्यता का अर्थ बताते हुए कहा कि आदमी को मयस्सर नहीं है इंसान होना। प्रो। अलका अग्रवाल ने मनुष्य का अर्थ संवेदना, भावुकता व प्रेम का भाव बताया। इस मौके पर प्रिंसिपल डॉ। शिप्रा सान्याल, शिक्षाविद् डॉ। एनएस धर्माधिकारी, डॉ। आशा उपाध्याय, डॉ। अल्पना अग्रवाल, कृष्णा बनर्जी, डॉ। अर्चना त्रिपाठी, डॉ। रचना आनंद गौड़, डॉ। शालिनी, डॉ। श्रुति आनंद आदि मौजूद रहे।

इन्हें मिला दामोदरश्री सम्मान

भुवन्या विजय

सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागी के रूप में दामोदर श्री सम्मान एक लाख रुपए

अनामिका मिश्रा

प्रथम उपविजेता के रूप में 51 हजार का पुरस्कार

अरिंजय एस व्यास

द्वितीय उपविजेता के रूप में 31 हजार का पुरस्कार

संतोष पाल

सर्वश्रेष्ठ पुरूष प्रतिभागी के रूप में 31 हजार का पुरस्कार

जैसला वालिया

सर्वश्रेष्ठ महिला प्रतिभागी के रूप में 21 हजार का पुरस्कार

नेहा मेहरोत्रा

विशेष पुरस्कार 11 हजार रुपए

Posted By: Inextlive