- पेपर वर्क के चक्कर में फंसे व्यापारी, हो रही परेशानी

- फाइन के डर से सीए भी खडे़ रहे हाथ, सोच समझकर कर रहे काम

बरेली : इनकम टैक्स ऑडिट की डेट 30 नवंबर होने के बाद भी व्यापारियों की टेंशन कम होने का नाम नहीं ले रही है। डिटेल्स देने में पसीने छूट रहे हैं। इसके अलावा, टेंशन सीए को भी कम नहीं है। उन्हें फाइन लगने का डर सता रहा है। वे किसी प्रकार की ऑडिट रिपोर्ट में सर्टिफिकेट देने में पूरी ईमानदारी दिखा रहे हैं।

पकड़ी जा रही गलत जानकारी

सरकार ने इनकम टैक्स और जीएसटी के सेंट्रल सर्वर को लिंक कर दिया है। इससे जीएसटी आर थ्री फॉर्म भरने के दौरान सीए को गलत जानकारी देते ही पकड़ में आ जा रही है, क्योंकि आमतौर पर देखा जाता है कि परचेजिंग के दौरान जीएसटी आर वन फॉर्म में सेल की पूरी डिटेल होती है, जिसके आधार पर जीएसटी आर टू फॉर्म अपडेट हो जाता है। जिसमें परचेजिंग टैक्स की जानकारी होती है, लेकिन अक्सर होता ये था कि बेनिफिट के लिए व्यापारी टैक्स की चोरी कर लेते था। जिससे जीएसटी आर थ्री के फॉर्म को भरते समय मिस मैच हो जाता है।

फिक्स हैं 180 दिन

रूल्स के हिसाब से व्यापारियों के लिए पेमेंट का टाइम फिक्स है। यह 180 दिन में करना है। अगर किसी वजह से इतने दिनों में पेमेंट नहीं हो पाता है, तो परचेजिंग की सही जानकारी नहीं मिल पाती है। इसलिए जीएसटी आर थ्री फॉर्म भरने के दौरान वह सीए को भी सही जानकारी नहीं दे पाते हैं।

अब नहीं हो सकेगा अमेंडमेंट

बेनिफिट के लिए जीएसटी आर वन में जानकारी छुपाने वालों को एक मौका दिया जाता है, क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि यह गलती एक पक्ष से होती है। लेकिन बचाव के लिए व्यापारी को पूरा बिल सुरक्षित रखना होता है। साल 2018 के व्यापारियों को इनकम टैक्स ऑडिट में अमेंडमेंट का मौका नहीं मिल पाएगा। टाइम खत्म हो गया है। जो आडिट 2019 में होना है, वह 30 सितंबर तक अमेंडमेंट करा सकते हैं।

सीए पर भी होगा फाइन

सरकार ने इस बार सीए पर भी फाइन का प्रावधान कर दिया है। यानि सीए जीएसटी आर 9 फॉर्म में बिना बिल के कोई डाटा फीड नहीं कर सकते हैं। इतना ही नहीं, अगर उन्हें हर ट्रांजेक्शन का ऑडिट करना होगा और उसी हिसाब से ऑडिट रिपोर्ट में टैक्स, पेनाल्टी और इंट्रेस्ट भी दिखाना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो संबंधित व्यापारी पर लगने वाले टैक्स का 50 चार्ज तक सीए को फाइन के रूप में देना होगा। इस कारण वे किसी भी रिपोर्ट को लगाने से पहले कई बार सोच रहे हैं और पूरी ईमानदारी दिखा रहे हैं।

व्यापारियों की डिटेल के मिलान के बाद ही ऑडिट रिपोर्ट तैयार की जा रही है। डिटेल लेने में व्यापारियों को कुछ दिक्कतें आ रही हैं, जिसका ऑप्शन देना चाहिए।

-सुधीर मेहरोत्रा सीए

सरकार पेपरलेस की बात करती है, लेकिन इसमें तो पेपर ही बढ़ा दिए गए हैं। हम लोगों को सालभर में 16 रिटर्न फाइल करने पड़ रहे हैं। ऐसे में सारी डिटेल दे पाने में दिक्कत होती है। - राजेंद्र गुप्ता, प्रांतीय महामंत्री, उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल

पोर्टल ही स्लो चल रहा है। रात में ही ऑपरेटर किसी तरह डाटा निकाल पाता है, जबकि ओटीपी हमलोगों के मोबाइल पर आता है। ओटीपी एक्सपायर हो जाने की वजह से परेशानी हो रही है। इसमें सुधार होना चाहिए।

- संजीव चांदना, प्रदेश संयुक्त महामंत्री, उद्योग व्यापार मंडल

Posted By: Inextlive