- 8 दिन में 60 नई लड़कियां बैडमिंटन सीखने पहुंची स्टेडियम में

- कुश्ती सीखने के लिए भी पहुंच रही लड़कियां

Meerut । कहते हैं, अपने देश में भेड़चाल है। ऐसा है, तो अच्छा है। बशर्ते आगे चलने वालीं पीवी सिंधु और साक्षी तोमर हों। कौन नहीं जानता कि इन दोनों बेटियों ने ही ओलंपिक में देश का मान रखा है। ऐसा ही सम्मान पाने के लिए मेरठ की बेटियां भी आतुर हैं। बैडमिंटन में पीवी सिंधु और कुश्ती में साक्षी की बेमिसाल जीत ने उन्हें जज्बा दिया है कि वे भी कुछ कर दिखाएं। इसी बाबत मेरठ के ट्रेनिंग सेंटर्स में पहुंचने वाली लड़कियों की संख्या हाल में काफी बढ़ गई है।

बढ़ रहा रुझान

यह खुलासा शनिवार को आई नेक्स्ट कार्यालय में आए बैडमिंटन कोच प्रभात शर्मा और कुश्ती कोच जबर सिंह सोम ने किया। प्रभात कैलाश प्रकाश स्टेडियम में बैडमिंटन सिखाते हैं। उनके मुताबिक, पीवी सिंधु की जीत ने आम लड़कियों का हौसला बढ़ाया है। इस खेल के प्रति उनका रुझान भी बढ़ा है। सिंधु को ओलंपिक में मेडल लिए हुए सिर्फ 8 दिन हुए हैं, लेकिन तब से शनिवार तक स्टेडियम में करीब 60 लड़कियां बैडमिंटन सीखने की ख्वाहिश लिए आ चुकी हैं। प्रभात कहते हैं, इनमें ग्रैजुएशन कर चुकी युवतियां भी हैं, लेकिन इस खेल की शुरुआत की उम्र निकल जाने के कारण हमें उन्हें मना करना पड़ा। इसके अलावा, कई छोटी बच्चियों के पेरेंट्स भी हाल में उनके पास आए और सिंधु की तरह बेटियों को इस खेल का हुनरमंद बनाने की अपील की।

खेल को बढ़ावा

वहीं जबर सिंह सोम यूनिवर्सिटी में कुश्ती के कोच हैं। एशियन चैंपियन रहीं अलका तोमर समेत कई नामी खिलाडि़यों के कोच सोम कहते हैं, मेरे शिष्यों में तो लड़कियां ही ज्यादा होती हैं, हाल में साक्षी की जीत के बाद से करीब 7-8 लड़कियां क्वेरी कर चुकी हैं। सोम ने बताया कि मीडिया में खेल हाईलाइट होते हैं, तो प्रतिभाएं सामने आती हैं। पिछले दिनों फिल्म सुल्तान में अनुष्का शर्मा से प्रभावित होकर भी उनके पास कई युवतियां पहुंची थीं।

हौसलों में उड़ान होती है

1. परिक्षितगढ़ की रहने वाली अनुग्रह रोजाना बस से 30 किलोमीटर का सफर तय करके स्टेडियम पहुंचती है, सिर्फ 1 घंटे की बैडमिंटन प्रैक्टिस के लिए। शाम साढ़े छह बजे वापस लौटती है और घर पहुंचते-पहुंचते उसे रात हो जाती है। उसके कोच प्रभात बताते हैं कि अनुग्रह रोज इन बसों में मुश्किल भरा सफर तय करते हुए अपने जुनून को अंजाम दे रही है।

2. काजल राज का सेलेक्शन हाल ही में फैजाबाद के ग‌र्ल्स हॉस्टल में हुआ है। प्रभात की स्टूडेंट रहीं काजल के परिवार के पास उनके लिए शूज और रैकेट खरीदने तक के पैसे नहीं थे, जिसका इंतजाम कराया गया और आज वह अपने जुनून से सिंधु की राह पर हैं।

अरमानों को आपकी आस

तमाम अभावों में खिलाडि़यों को तराशने वाले कोच कहते हैं कि खेल जगत में स्पॉन्सर्स भी उगते सूरज को ही सलाम करते हैं। जब वे कोई बड़ा मेडल लाते हैं, तो उन पर पैसों की बौछार हो जाती है, लेकिन जब उन्हें वाकई सुविधाओं की जरूरत है, तब उनकी मदद को कोई आगे नहीं आता। मेरठ के खिलाड़ी भी तमाम अभावों में अग्निपथ पर बढ़ रहे हैं। उन्हें समय रहते सुविधाएं मिलें, तो वे भी बड़ा नाम कर सकते हैं।

आईकनेक्ट

अगर आप करना चाहते हैं खिलाडि़यों की मदद तो हमें बताएं। हम आपकी बात सही जगह तक पहुंचाएंगे।

Posted By: Inextlive