- टिपिकल सोच से बाहर निकलकर अब मुस्लिम लड़कियां तय कर रहीं नई दिशा

- बीते दो सालों में एनसीसी की ओर बढ़ा ज्यादा रुझान, समाज के प्रति सेवा करने की चाह

अंकित चौहान, बरेली : लेफ्ट - राइट की तेज आवाज पर 'वर्दी' में तनी ग‌र्ल्स की कदम ताल और फुर्ती देखते ही बन रही थी। ट्रेनिंग के पहले सेशन के बाद एनससीसी के बारे में जब इन ग‌र्ल्स ने अपने विचार रखे तो इनमें देश और समाज के प्रति सेवा भाव का अलग ही जज्बा दिखा। परिचय पूछा तो माथा ठनक गया। पास में खड़ी इस विंग की लेफ्टिनेंट डॉ। वंदना शर्मा ने बताया कि यह लड़कियां मुस्लिम हैं लेकिन कौम से ऊपर उठकर मिसाल पेश कर रही हैं। इन्हें बस सेवा से मतलब है वह देश की हो या समाज की या फिर किसी जरूरतमंद की। हमारी विंग में एनससीसी कैडेट्स में मुस्लिम लड़कियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

अब नहीं किसी की परवाह

रुढि़वादी सोच अब नहीं चलेगी, हम भी मुख्यधारा में आकर बराबरी की बात करेंगे, देश की तरक्की और समाज के विकास में अपना योगदान देंगे। डॉ। वंदना शर्मा ने बताया कि उनके पास अब मुस्लिम लड़कियां एनसीसी में शामिल होते समय में यही तर्क दे रही हैं। उनके परिवार वाले भी इससे सहमत हैं। उनको अब फिक्र नहीं है कि कौन क्या कहेगा। सेकेंड विंग की लेफ्टिनेंट वीनम सक्सेना ने बताया कि इन मुस्लिम ग‌र्ल्स के घरवाले खुले विचारों के हैं। इनकी बेटियां भी इसी सोच को लेकर आगे बढ़ना चाहती हैं।

बढ़ा उत्साह, बनी पहचान

शहर में कोई भी बड़ा आयोजन हो या फिर कोई धार्मिक कार्यक्रम हर जगह एनसीसी कैडेट निस्वार्थ भाव से आपको सेवा करते नजर आएंगे। इनको ट्रेनिंग के दौरान यह सारे ही कार्य सिखाए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में भागीदारी करके इनमें सहनशीलता, तेजी और मित्रता का भाव आता है। मिलजुलकर कार्य करते हैं।

मुस्लिम ग‌र्ल्स की बढ़ी भागीदारी

पिछले तीन सालों में नेशनल कैडेट कोर में मुस्लिम ग‌र्ल्स की भागीदारी तकरीबन तीस फीसदी बढ़ी है। वह सामाजिक सरोकारों के कार्यो में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। वर्तमान में बरेली कॉलेज बरेली में एनसीसी की फ‌र्स्ट विंग में 160 कैडेट शामिल हैं जिनमें से पांच मुस्लिम हैं पहले एक भी नहीं थी। कैडेट शामिल हैं। दो साल पहले इनकी भागीदारी नहीं थी। वहीं, सेकेंड विंग की बात करें तो यहां 160 कैडेट में 10 मुस्लिम ग‌र्ल्स हैं।

अड़ गईं तो बदली मानसिकता

मुस्लिम ग‌र्ल्स कैडेट बताती हैं कि जब उन्होंने एनसीसी ज्वाइन किया और मोहल्ले में वर्दी पहनकर निकलती थीं तो कुंठित मानसिकता के लोग तरह-तरह की बातें भी करते थे, लेकिन जब वह पीछे हटने को तैयार नहीं हुईं तो सब चुप हो गए। साथ ही, दूसरी लड़कियों को भी प्रेरणा मिली है।

डोर टू डोर अवेयरनेस कैंपेन

एक साल पहले उनकी दोस्त समरा खान ने एनसीसी ज्वाइन करने का मन बनाया तो काफी खुशी मिली। समरा को साथ ले जाकर घर-घर जाकर एनसीसी के बारे में बताया। इससे दूसरी मुस्लिम ग‌र्ल्स भी एनसीसी से जुड़ीं। अवेयरनेस अभी कर रहे हैं। दूसरे मोहल्लों में भी जाकर एनसीसी के कार्य बता रहे हैं।

- मनप्रीत कौर, सीनियर एनसीसी कैडेट

बेटियां किसी मायने में कम नहीं हैं। किसी को तो पहल करनी ही है। हमने भी ऐसा ही किया और आज दूसरे हमसे प्रेरणा ले रहे हैं। हम आगे बढ़ना चाहते हैं। हमारे हौसले में कमी नहीं है।

अलीशा खान, कैडेट

परिवार नहीं समाज में कुंठित सोच वाले महिलाओं को कमतर आंकते हैं। एनसीसी ज्वाइन करने पर पहले परिवार ने आपत्ति की लेकिन परिवार से बात की और ज्वाइन किया पहले ताने मिले लेकिन अब सराहना होती है।

समरा खान, कैडेट।

पिछले कुछ सालों से मुस्लिम ग‌र्ल्स कैडेट की संख्या बढ़ी है। यह सुशिक्षित समाज की सराहनीय पहल है। अब मुस्लिम समाज बुर्के के साथ ही वर्दी में भी बेटियों को देखना चाहता है।

लेफ्टिनेंट डॉ। वंदना शर्मा, एनसीसी अधिकारी, बरेली कॉलेज बरेली।

मुस्लिम ग‌र्ल्स भी एनसीसी ज्वाइन कर रही हैं। बेशक माहौल बदला है। सोच का दायरा बढ़ा है। बेटियों की तरक्की के लिए यह जरूरी भी हैं, हम चाहते हैं कि सभी आगे बढ़ें हैं। सोच की बंदिशें न हों।

- लेफ्टिनेंट वीनम सक्सेना, एनसीसी अधिकारी, बरेली कॉलेज बरेली

Posted By: Inextlive