डीएवी में एबीवीपी का किला ढहाने की चुनौती
डीएवी पीजी कॉलेज में पिछले 11 वर्षो से लगातार चुनाव जीतकर परचम लहरा रहा एबीवीपी
इससे पहले एनएसयूआई का थी डीएवी में दबदबा देहरादून, छात्रसंघ चुनाव की बिसात बिछ गई है। सभी संगठनों ने अपने-अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है। इस बार सबकी नजर एक बार फिर डीएवी पीजी कॉलेज में टिकी है। छात्र संख्या के लिहाज से प्रदेश के सबसे बड़े कॉलेज में एबीवीपी लगातार 11 सालों से कब्जा जमाए हुए हैं और 12वीं बार जीतकर रिकॉर्ड कायम करने का दावा भी कर रही है। इस चुनाव में एनएसयूआई के लिए डीएवी में अपना अस्तित्व बचाने और एबीवीपी का किला ढहाने का चैलेंज भी है। एनएसयूआई ने इस बार डीएवी कॉलेज पर पूरा फोकस किया हुआ है। इसके लिए सोशल मीडिया से लेकर जनसंपर्क और नए तरीकों को भी अपनाया जा रहा है। कांग्रेस-बीजेपी की प्रतिष्ठाछात्र राजनीति में एबीवीपी और एनएसयूआई दो प्रमुख संगठन सक्रिय हैं। इन संगठनों की जीत और हार से कांग्रेस और भाजपा की राजनीतिक प्रतिष्ठा भी जुड़ी होती है। उत्तराखंड की में डीएवी पीजी कॉलेज को छात्र राजनीति का केन्द्र माना जाता है। यहां से कई मेनस्ट्रीम के नेता भी निकले हैं। ऐसे में डीएवी छात्रसंघ चुनाव अपने में है एक बड़ा चुनाव है। लगातार 11 वर्षो से डीएवी में एबीवीपी के ही प्रत्याशी परचम लहराते आ रहे हैं। वर्ष 2007 में डीएवी पीजी कॉलेज में एनएसयूआई के संग्राम सिंह पुंडीर अध्यक्ष रहे। इसके बाद एनएसयूआई का कोई भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया है। ऐसे में इस बार एनएसयूआई के आगे इस जीत के रथ को रोकने का बहृत बड़ा चेलेंज सामने है। एनएसयूआई ने इस बार चुनाव जीतने के लिए पूरा दमखम लगा दिया है।
बिष्ट बनाम बिष्टएनएसयूआई से इस बार आदित्य बिष्ट पर दांव खेला है, जबकि एबीवीपी ने जितेन्द्र बिष्ट को प्रत्याशी बनाया है। एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी ने कहा कि पिछले जो भी चुनाव हम हारे हैं उसमें जीत का अंतर 20 से 30 वोटों का ही रहा है। जबकि एमकेपी और एसजीआरआर में पिछले वर्ष एनएसयूआई ने कब्जा जमाया था। ऐसे में साफ है कि स्टूडेंट्स के बीच एनएसयूआई की सोच और नीति स्वीकार्य है। इस बार हमें जीत का पूरा भरोसा है। उन्होंने बताया कि हम चुनाव में डीएवी पर पूरा फोकस कर रहे हैं। और सिर्फ 2 पदों पर ही प्रत्याशियों को उतारा गया है। साथ ही एक 2 दिनों में मेनिफेस्टो भी जारी कर दिया है। मोहन ने बताया कि इस बार मेनिफेस्टो से स्टूडेंट्स को अपने साथ जोड़ा जाएगा। साथ ही सोशल मीडिया के जरिए पहले से ही प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इसके अलावा अन्य कॉलेजों के स्टूडेंट्स को भी अपने साथ जोड़कर उनके जरिए डीएवी के स्टूडेंट्स को वोट अपील की जा रही है। इधर 11 बार से डीएवी में जीत दर्ज कर रही एबीवीपी 12 वीं बार जीत को लेकर आश्वस्त है। एबीवीपी के प्रांत संगठन मंत्री प्रदीप शेखावत का दावा है कि संगठन अनुशासन और अपने कार्यकर्ताओं के बलबूते सभी स्टूडेंट्स को हर वर्ष की तरह इस बार भी अपने पक्ष में कर लेंगे।