- डीसी ने ली निजी स्कूलों के प्रिंसिपल्स, संचालकों की क्लास

- दिए संकेत, अनऐडेड के नाम पर नियमों से खिलवाड़ की छूट नहीं

- री एडमिशन व बिल्िडग फंड के नाम पर आरटीई के प्रावधानों का किया उल्लेख

JAMSHEDPUR: कोई भी स्कूल अगर लीज या सबलीज की जमीन पर संचालित हो रहा है तो वह सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल की कैटेगरी में आएगा। कैपिटेशन फीस पर पनिशमेंट का प्रावधान है। बिना मान्यता के किसी स्कूल का संचालन नहीं किया जाएगा। डीसी डॉ। अमिताभ कौशल ने सेंटर फोर एक्सीलेंस के ऑडिटोरियम में शहर के निजी स्कूलों के प्रिंसिपल व संचालकों के लिए आयोजित वर्कशॉप में इस बात के स्पष्ट संकेत दिए कि 'अनऐडेड' की बात कह वे खुद को स्वतंत्र न समझें। प्रशासन को अधिकार है कि वह नियमों के अधीन उनपर अंकुश लगा सके। इसके प्रावधान आरटीई में हैं। इस कार्यशाला में प्रशासन के स्तर से किसी तरह का दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया। प्रिंसिपलों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम ख्009, झारखंड नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम नियमावली ख्0क्क् के अलावा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की प्रतिलिपि उपलब्ध कराते हुए उसके प्रावधानों का बारीकी से अध्ययन कर किसी तरह की आपत्ति, सुझाव या अपना मंतव्य लिखित रूप से देने को कहा।

सोमवार तक अपना पक्ष दें

निजी स्कूलों के प्रिंसिपल्स को उपलब्ध कराई गई झारखंड नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम नियम ख्0क्क्, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति का अध्ययन कर अपना पक्ष रिटेन में सोमवार तक प्रशासन को देना है। उनकी ओर से उठाए गए विंदुओं को समाहित कर राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी। डीसी ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम का अनुपालन करने संबंधी ठोस दिशा-निर्देश सरकार की ओर से शीघ्र ही जारी किया जाएगा।

इनकी रही मौजूदगी

मौके पर डीसी अमिताभ कौशल के अलावा धालभूम एसडीओ प्रेम रंजन, डीईओ मुकेश कुमार सिन्हा, डीएसई इंद्रभूषण सिंह उपस्थित थे। संचालन जिला शिक्षा परियोजना के अखिलेश कुमार ने किया। स्कूलों की ओर से डीबीएमएस स्कूल के समन्वयक बी चंद्रशेखर, एसोसिएशन ऑफ अनएडेड प्राइवेट स्कूल ऑफ जमशेदपुर के महासचिव एपीआर नायर, जेएच तारापोर व तारापोर एग्रिको स्कूल के संचालक बेली बोधनवाला, लोयोला स्कूल के प्रिंसिपल सेबेस्टियन पुथनपुरा, सेंट मेरीज इंग्लिश स्कूल के प्रिंसिपल फादर डेविड विंसेंट, सेक्रेड हार्ट कान्वेंट स्कूल की प्रिंसिपल सिस्टर मृदुला, डीएवी पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल प्रज्ञा सिंह, राजेंद्र विद्यालय के प्रिंसिपल पीबी सहाय, विद्या भारती चिन्मया विद्यालय की प्रिंसिपल विपिन शर्मा, केरला समाजम मॉडल स्कूल की प्रिंसिपल नंदिनी शुक्ला, मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल आशु तिवारी, दयानंद पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल स्वर्णा मिश्रा, कारमेल जूनियर कॉलेज की प्रिंसिपल सिस्टर सिल्वी सहित लगभग सभी प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूल के प्रिंसिपल्स प्रजेंट थे।

फोर योर इन्फॉर्मेशन

ये बातें अाईं सामने

- सरकारी सहायताप्राप्त की कैटेगरी में आएंगे लीज या सबलीज पर संचालित स्कूल।

- एक्ट के प्रावधानों के अनुसार एडमिनिस्ट्रेशन को स्कूलों की मॉनीटरिंग, निरीक्षण का अधिकार।

- आरटीई के उल्लंघन पर पहली सुनवाई स्कूल प्रबंधन समिति करेगी। उसके बाद डीएसई, स्टेट काउंसिल फोर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट़्स, नेशनल काउंसिल फोर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स को शिकायत की जा सकती है।

- कोई भी ऐसा स्कूल संचालित नहीं किया जा सकता जो मान्यताप्राप्त नहीं हो।

- कानून के प्रावधानों के अनुरूप कैपिटेशन फीस दंडनीय है।

- बीपीएल कैटेगरी के बच्चों के लिए ख्भ् फीसद आरक्षित सीटों पर एडमिशन जरूरी।

- एक्ट में कमजोर वर्ग की व्याख्या मौजूद।

- चाइल्ड का मतलब म् से क्ब् साल तक उम्र का बच्चा।

इन्होंने किए सवाल

बेली बोधनवाला : आरटीई के प्रावधानों के अनुसार 8वीं कक्षा तक के बच्चों को अनुत्तीर्ण नहीं किया जा सकता? आरक्षित वर्ग के बच्चे पढ़ाई में काफी कमजोर हों तो क्या किया जाए। फर्जी जन्म प्रमाणपत्र पर रोक के लिए बच्चे के जन्म से एक साल के अंदर बने प्रमाणपत्र को अनिवार्य किया जाए।

प्रज्ञा सिंह : डीएवी समूह के स्कूलों में छठा वेतन आयोग लागू है। अभी जो ट्यूशन फीस ली जा रही है उससे शिक्षकों के वेतन का भुगतान बमुश्किल होता है। ऐसे में शुल्क बढ़ाना मजबूरी है।

डेविड विंसेंट : कोई बच्चा किसी क्लास में फेल होता है तो इसके लिए स्कूल को जिम्मेदार बताया जाता है। ऐसा क्यों? वहीं एडमिशन के लिए जमा किए जानेवाले जन्म प्रमाणपत्र भी कई बार असमंजस में डालनेवाले होते हैं। हमारा स्कूल सरायकेला जिले की सीमा से नजदीक है। वहां के बच्चों का नामांकन लेने पर दूसरे जिले का बच्चा माना जाएगा।

सेबेस्टियन पुथनपुरा : नि:शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा म् से क्ब् साल तक के बच्चों के लिए है। हमारे स्कूल में एंट्री लेवल पर चार-पांच साल की उम्रवाले बच्चों का एडमिशन होता है। ऐसे में अधिनियम इस मामले में लागू होगा? इसके अलावा निजी स्कूल में अच्छे शिक्षकों को वेतन भी बेहतर देना होता है। पर्याप्त फंड के बिना अच्छे शिक्षक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी जा सकती।

नंदिनी शुक्ला : आरटीई में बच्चों के बारे में क्ब् साल तक उम्र का जिक्र है। यह स्पष्ट नहीं है।

विपिन शर्मा : अभिवंचित वर्ग की पहचान कैसे की जाएगी। कितनी आय वाले परिवार के बच्चे इसमें शामिल किए जा सकते हैं। पोषक क्षेत्र का निर्धारण कैसे किया जाए?

आशु तिवारी : आरटीई कहता है कि फ् किलोमीटर के दायरे में रहनेवाले बच्चों को नामांकन में प्राथमिकता दी जाए। कई ऐसे स्कूल हैं जो बच्चों के निवास से हमारे स्कूल की अपेक्षा नजदीक हैं। फिर हमें प्राथमिकता देनी चाहिए या अपेक्षाकृत नजदीक के स्कूलों को?

बी चंद्रशेखर : एलीमेंटरी एजुकेशन को और स्पष्ट करने की जरूरत है। कुछ ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि आठवीं तक बच्चे को उत्तीर्ण करने के बाद उसे एलीमेंटरी एजुकेटेड का प्रमाणपत्र दिया जाए। इसके बाद की शिक्षा अभिभावकों की मर्जी पर छोड़ दी जाए।

एपीआर नायर : कई बार ऐसा होता है कि दादा के बीपीएल प्रमाणपत्र के आधार पर पोते का नामांकन आरक्षित सीट पर कराया जाता है जबकि बच्चे के पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है।

मीडिया को बात सामने लाने का अधिकार, सवाल न उठाएं

कार्यशाला के दौरान जब प्रिंसिपल्स के मंतव्य जारी करने की बारी आई तो डीएवी पब्लिक स्कूल बिष्टुपुर की प्रिंसिपल ने कहा हमसे संबंधित समाचार में मीडिया जिस तरह की भाषा का प्रयोग करता है वह अस्वीकार्य है। कई बार भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न होती है। इसपर ध्यान देने की जरूरत है। जवाब में डीसी डॉ। अमिताभ कौशल ने कहा कि भारतीय संविधान में उल्लिखित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत मीडिया को अपनी बात कहने की स्वतंत्रता है। मीडिया के माध्यम से आनेवाली बात पर किसी तरह का भ्रम हो तो संबंधित विभाग से जानकारी की जा सकती है।

Posted By: Inextlive