- रोड पर खड़े बडे़ वाहन बन रहे गंभीर हादसों का सबब

- कार्रवाई न होने का खामियाजा भुगत रही है पब्लिक

- खड़े वाहनों से दुर्घटनाओं के साथ लगता है जाम

- जनवरी 2014 से 30 मई तक हो चुकी हैं 346 दुर्घटनाएं

- ट्रैफिक पुलिस भी नहीं चलाती इनके खिलाफ अभियान

रोड पर खड़े बडे़ वाहन बन रहे गंभीर हादसों का सबब

- कार्रवाई न होने का खामियाजा भुगत रही है पब्लिक

- खड़े वाहनों से दुर्घटनाओं के साथ लगता है जाम

- जनवरी ख्0क्ब् से फ्0 मई तक हो चुकी हैं फ्ब्म् दुर्घटनाएं

- ट्रैफिक पुलिस भी नहीं चलाती इनके खिलाफ अभियान

MeerutMeerut: वेस्ट यूपी में पिछले तीन माह में कई गंभीर दुर्घटनाएं हुई। इसमें पिलखुआ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और मेरठ की रोड खून से सनी। सभी दुर्घटनाओं में एक बात कॉमन रही कि एक्सीडेंटस का कारण रोड पर खड़े भारी वाहन बने। अब बात अपने शहर की करते हैं। सिटी से गुजरने वाला हाईवे हो या स्टेट हाईवे हो या संपर्क मार्ग सभी पर आए दिन हादसे हो रहे हैं, हादसे होने के कारण भी कई है, लेकिन मुख्य कारण रोड पर खड़े भारी वाहन ही बन रहे हैं। रोड पर खड़े होने वाले वाहन आए दिन निर्दोष यात्रियों का जीवन लील रहे हैं। उधर, पुलिस और प्रशासन की चुस्ती का आलम देखिए कि रोड पर खड़ी मौत को रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं है।

यहां कोई नहीं रोकेगा

कहने को शहर में सुबह म् से रात क्0 बजे तक नो एंट्री है। शहर में भारी वाहनों का प्रवेश रोकने के लिए सभी एंट्री रोड पर पुलिस की तैनाती भी रहती है। लेकिन नो एंट्री का सच सब को पता है। मात्र दस रुपए में नियम ताक पर होता है और भारी वाहन सिटी की ट्रैफिक व्यवस्था के लिए काल साबित होता है। इसके अलावा भारी वाहनों के शहर में आ जाने से एक्सीडेंट की संभावाना भी कई गुणा बढ़ जाती है। इसके कई उदाहरण पिछले दिनों सिटी में देखने को मिले।

रोड है या पार्किंग

सिटी की रोड पहले ही ट्रैफिक के बोझ से हांफ रही है। उधर, रोड के दोनों किनारों पर अवैध अतिक्रमण उसकी चौड़ाई पर ग्रहण लगाए हुए हैं। ऐसे में रोड पर भारी वाहनों का खड़ा होना स्थिति को ओर भयानक बना देता है। दिल्ली रोड से लेकर मवाना रोड, हापुड़ रोड, गढ़ रोड, बागपत रोड तक सभी रोड पर बनी पार्किंग से बेहाल है। दिन हो रात का समय सड़क पर भारी वाहन खड़े रहते हैं और पब्लिक इसका खामियाजा भुगतती है।

गुनाहगार कौन

सिटी में बढ़ता व्यापार और बाहर से आयात होने वाले सामान को अपने प्रतिष्ठान पर ही अधिकांश व्यापारी उतरवाते हैं। ऐसे में लोडिड वाहन प्रतिष्ठान के बाहर घंटों तक खड़ा रहता है, उधर, सिटी में ट्रांसपोर्टनगर के अलावा ऐसी कोई जगह नहीं है जहां माल लोडिंग और अन लोडिंग की व्यवस्था हो। इसके अलावा रात के समय चालक अपने वाहन को रोड पर खड़ा कर आराम से सो जाता है। जबकि कुछ चालक पुलिस कार्रवाई से बचने को अपने वाहन को खराब होना भी बता देते हैं।

आंख बंद कर देख रहे तमाशा

सिटी की रोड पर कब्जा किए इन भारी वाहनों के प्रति पुलिस और प्रशासन का रवैया हमेशा से उदासीन रहा है। बात बात पर चैकिंग अभियान चलाने वाली पुलिस ने शायद ही कभी ऐसे वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया हो, उधर, लोगों की जान के लिए आफत बने इस वाहनों को हटाने के प्रति ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ भी अपने कदम हमेशा पीछे ही रखता है। सूत्रों के अनुसार रोड खड़े वाहन पुलिस की जेब भरने का जरिया है, पुलिस कर्मी रोड पर खड़े वाहनों से पार्किंग शुल्क वसूलते हैं।

खड़ा वाहन अधिक खतरनाक

रोड पर खड़ा वाहन चलते वाहन से अधिक खतरनाक होता है। अधिकांश चालक अपने भारी वाहन को लापरवाही से खड़ा कर देते हैं और चेतावनी के लिए कोई संकेतक भी उनके पास नहीं होता। ऐसे में तेज गति से आने वाले वाहन चालक को पता ही नहीं चलता कि वाहन खड़ा है या चल रहा है, ऐसे में दुर्घटना की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। कई हादसे इसी कारण हुए कि चालक खड़े वाहन को समझ पाने में नाकाम रहा और यहीं कारण गंभीर हादसे का सबब बना।

जाम के लिए भी जिम्मेदार

रोड पर खड़े भारी वाहनों के कारण सिटी की ट्रैफिक व्यवस्था भी ध्वस्त हो रही है। दिल्ली रोड पर सुबह से लेकर शाम तक जाम की स्थिति रहती है। जिसका मुख्य कारण रोड के किनारे खड़े भारी वाहन हैं। वाहनों के खड़े होने से रोड संकरी गली में तब्दील हो जाती है, उधर इस रोड पर ट्रैफिक भी अधिक रहता है। हापुड़ रोड, गढ़ रोड, मवाना रोड की भी ऐसी ही हालत है।

आंकडे़ खोल रहे सच

मेरठ में ही रोड एक्सीडेंट के आंकड़ों पर गौर करे, तो स्थिति काफी भयावह नजर आती है। साल ख्0क्ब् में एक जनवरी से फ्0 मई के बीच फ्ब्म् गंभीर हादसे हुए। इसमें ख्फ् लोगों ने अपनी जान गवाई। अधिकांश हादसों का कारण रोड पर खड़े वाहन बने।

वर्जन

रोड पर खड़े भारी वाहन हादसे और जाम का कारण बनते हैं, ऐसे वाहनों को रोड से हटाने के लिए पुलिस तैनात रहती है। कई बार वाहन का चालान भी किया जाता है। लेकिन लोगों को भी इसके लिए जागरूक होना चाहिए।

- पीके तिवारी, एसपी ट्रैफिक

Posted By: Inextlive