गांधी-नेहरू परिवार के करीबी और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण नेहरू का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार देर रात निधन हो गया. उन्होंने गुडग़ांव के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली. वह 69 साल के थे. पारिवारिक सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को राजधानी में ही पूर्व नेता का अंतिम संस्कार किया जाएगा.


लखनऊ में जन्म24 अप्रैल 1944 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मे अरुण नेहरू राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में बेहद असरदार मंत्रियों में शुमार किए जाते थे और गृह मंत्रालय में उनकी तूती बोलती थी. लेकिन बोफोर्स घोटाला उठाने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह के साथ तीन बार सांसद रहे अरुण नेहरू ने कांग्रेस छोड़ दी थी. कांग्रेस से नाता तोडऩे के कुछ समय बाद ही राजनीतिक गलियारों में वह अलग-थलग पड़ गए थे.झेल रहे थे राजनीतिक निर्वासन
करीब दो दशक से राजनीतिक निर्वासन झेल रहे पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नेहरू जनता दल के टिकट पर उत्तर प्रदेश की बिल्हौर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे. वह कॉरपोरेट जगत का सफल करियर छोडक़र राजनीति में आए थे. जब राजीव गांधी वर्ष 1984 में प्रधानमंत्री बने तो उनके करीबी सलाहकार और आंतरिक सुरक्षा मामलों के राज्य मंत्री थे. सीबीआइ ने नेहरू के राज्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान तत्कालीन चेकोस्लोवाकिया से 1988 में हुई पिस्तौल खरीद मामले में उन्हें सरकारी राजस्व के नुकसान पहुंचाने का आरोपी बनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उस मामले में कार्यवाही पर रोक लगाई थी. कम उम्र में ही छोड़ दिया था पारिवारिक घर


नेहरू कम उम्र में ही इलाहाबाद स्थिति अपने पारिवारिक घर को छोड़ दिया था. नेहरू ने लखनऊ के लॉ मार्टीनियर कॉलेज से पढ़ाई के बाद 20 साल की उम्र में कॉरपोरेट जगत में सफल करियर की शुरुआत की थी. सत्रह साल बाद इंदिरा गांधी के कहने पर राजनीति में शामिल हुए थे. कई दशक तक नेहरू के करीबी रहे लॉर्ड स्वराज पॉल ने उनकी मौत पर शोक जताते हुए कहा कि वह एक वफादार दोस्त थे.

Posted By: Satyendra Kumar Singh